अरब-इस्लामी देशों की बैठक में इस्रायल ने गाजा पर जारी हमले रोकने की उठायी मांग

बीजिंग – गाजा पट्टी में शुरू की हुई कार्रवाई इस्रायल तुरंत बंद करें, ऐसी मांग चीन के विदेश मंत्री वैंग ई ने अरब-इस्लामी देशों की बैठक में उठाई। साथ ही द्विराष्ट्रवाद को भी चीन का समर्थन हैं, यह कहकर विदेश मंत्री वैंग ने गाजा में मानवीय सहायता आसानी से प्रदान करने के लिए पहल करने की आवश्यकता बयान की। इस बैठक के दौरान चीन ने इस्रायल की आलोचना की। लेकिन, इसमें हमास के आतंकवादियों ने इस्रायल पर किए भीषण हमलों का निषेध करने से चीन दूर रहा। इस वजह से खूश होकर कतरन ने चीन में आयोजित यह बैठक कामयाब होने का दावा ठोक दिया।

इस साल के शुरू में चीन ने सौदी अरब और ईरान की सुलह करने के लिए मध्यस्थता करके खाड़ी की राजनीति में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश की थी। इसके ज़रिये चीन ने खाड़ी में अमेरिका के वर्चस्व को झटका देने के दावे चीन के माध्यमों ने ही किए थे। अरब-इस्लामी देशों की बैठक में इस्रायल ने गाजा पर जारी हमले रोकने की उठायी मांगलेकिन, सितंबर महीने में ईरान के परमाणु कार्यक्रम से संबंधित मसले पर सौदी अरब ने जो भूमिका अपनाई थी उसके बाद खाड़ी में अपना प्रभाव बढ़ाने की अपनी कोशिश विफल होने का अहसास चीन को होने की चर्चा शुरू हुई थी। ऐसे में इस्रायल और हमास के बीच शुरू हुए संघर्ष का लाभ उठाकर चीन फिर से अरब-इस्लामिक देशों का नेतृत्व करने की कोशिश करता दिख रहा है।

इसके लिए चीन ने अरब-इस्लामिक देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक का आयोजन किया था। इसमें खाड़ी और अफ्रीका के अरब देशों के विदेश मंत्री शामिल हुए थे। चीन ने अपने मित्र देश पाकिस्तान को इस चर्चा से दूर रखा था। सोमवार को हुई इस बैठक में चीन ने विदेश मंत्री वैंग ने गाजा में शुरू संघर्ष तुरंत बंद करने का आवाहन किया। इसके लिए चीन अरब-इस्लामिक देशों से सहयोग करेगा, ऐसा विदेश मंत्री वैंग ने कहा। साथ ही चीन ने हमेशा से ही अरब-इस्लामिक देशों के हितसंबंध और पैलेस्टिन के अधिकारों को सबसे अधिक अहमियत दी है, ऐसा दावा विदेश मंत्री वैंग ने किया।

अरब-इस्लामिक देश चीन के भाई होने का बयान वैंग ने इस बैठक में किया। गाजा के इस संकट का मुद्दा चीन जल्द ही संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में उठाएगा, ऐसी जानकारी विदेश मंत्री वैंग ने प्रदान की। संयुक्त राष्ट्र संघ में पिछले महीने से तीन बार इस्रायल विरोधी विधेयक पेश किया गया था। इसमें चीन ने हमेशा से ही इस्रायल विरोधी भूमिका अपनाई थी, इस ओर पश्चिमी माध्यम ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। ऐसे में अब दक्षिण अफ्रीका में कुछ ही समय बाद ‘ब्रिक्स’ देशों की वर्चुअल बैठक का आयोजन हो रहा है। इस बैठक में भी चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग इस्रायल-हमास युद्ध पर चर्चा करेंगे, ऐसा कहा जा रहा है।

गौरतलब है कि, चीन ने इससे पहले वेस्ट बैंक में इस्रायली शरणार्थियों के लिए किए निर्माण कार्य के विरोध में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पैलेस्टिनी नेतृत्व को समर्थन दिया था। इसके अलावा ७ अक्टूबर को किए गए आतंकी हमले में १२०० इस्रायली नागरिकों की हत्या हुई थी और उनपर अत्याचार हुए थे, इसका निषेध करने भी चीन दूर रहा था। इसपर इस्रायल ने नाराज़गी जताई थी। लेकिन, चीन सीर्फ पैलेस्टिन का नहीं, बल्कि हमास के पक्ष में भी खड़ा होने की बात इससे सार्वजनिक हुई। कुछ विश्लेषकों ने तो हमास के इन हमलों के लिए सहायता करने वाले देशों में चीन का प्रमुखता से समावेश होने के दावे किए हैं।

हमास ने इस्रायल पर किए आतंकवादी हमले का मास्टरमाईंड मोहम्मद दैफ ने चीन में प्रशिक्षण प्राप्त करने की खबरें भी प्रसिद्ध हुई थी। चीन ने ही गाजा में हमास को उन्नत ‘टनेल नेटवर्क’ बनाकर दिया और इसके लिए चीनी मज़दूर काम कर रहे थे, ऐसे आरोप भी लगाए जा रहे हैं। इस्राय ने गाजा पर हमले शुरू करने के बाद यही चीनी मज़दूर गाजा के टनेल में फंसे होने की जानकारी कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर साझा की थी। लेकिन, इसकी अभी अधिकृत स्तर पर पुष्टि नहीं हुई है। पर, चीन लगातार इस्रायल के सामने गाजा पर हो रहे हमले रोकने की मांग रख रहा हैं और इससे अलग ही संकेत प्राप्त हो रहे हैं। साथ ही इस्रायल-हमास युद्ध शुरू होते ही चीन ने अपने पांच युद्धपोत इस क्षेत्र के करीब तैनात रखने की जानकारी भी सामने आयी थी।

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