ईरान के परमाणु समझौते के मुद्दे पर संबंधों को नुकसान पहुँचाए बिना इस्रायल बना रहा है अमरीका पर दबाव

जेरूसलम – अमरीका के साथ संबंधों को नुकसान पहुँचाए बिना इस्रायल ईरान के परमाणु समझौते को लेकर अमरीका पर दबाव बढ़ा रहा है, ऐसा दावा इस्रायल के प्रधानमंत्री येर लैपिड ने किया। किसी भी तरह की चिल्लाहट के बिना इस्रायल ने बड़ी शांति से अमरीका के सामने ईरान के परमाणु समझौते के खिलाफ पुख्ता भूमिका अपनाई। इसका असर दिखाई देने लगा है और अमरीका इस्रायल का कहना मान रही है। लेकिन, भूतपूर्व सरकार ने इस मुद्दे पर इतनी आक्रामकता दिखाई थी कि, तब अमरीका ने इस्रायल की बात मानना ही छोड़ दिया था, ऐसा दावा प्रधानमंत्री लैपिड ने किया।

अमरीका पर दबावईरान के साथ अमरीका कर रही नए परमाणु समझौते का मुद्दा सिर्फ इस्रायल की सुरक्षा तक सीमित नहीं है और इस पर अब इस्रायल में ही अंदरुनि सियासत गरमाई हुई है। पूर्व प्रधानमंत्री बेंजामिन नेत्यान्याहू और इस्रायल के विपक्षी दल के आक्रामक नेता मौजूदा प्रधानमंत्री लैपिड की सरकार को किनारे पकड़ रहे हैं। अमरीका और पश्चिमी देश ईरान के साथ परमाणु समझौता कर रहे हैं और ऐसे में इस्रायल सरकार की भूमिका इस मुद्दे पर काफी सौम्य होने का आरोप इन सबने लगाया है। इस आपत्ति पर प्रधानमंत्री लैपिड ने जवाब दिया।

इस्रायल अमरीका के साथ संबंधों को नुकसान पहुँचाए बिना ईरान के परमाणु समझौते को लेकर अमरीका पर दबाव बढ़ा रहा है। यह हमारी सरकार की राजनीतिक कुशलता का हिस्सा है, ऐसा प्रधानमंत्री लैपिड का कहना है। इससे पहले प्रधानमंत्री रहे बेंजामिन नेत्यान्याहू ने ईरान के परमाणु समझौते के खिलाफ काफी तीखी और आक्रामक भूमिका अपनाई थी। इस मुद्दे पर उन्होंने अमरीका की जोरदार आलोचना की और इसका विपरित परिणाम इस्रायल-अमरीका के संबंधों पर पडा था। इस वजह से अमरीका ने इस्रायल का कहना मानना ही छोड़ दिया था। इस वजह से नेत्यान्याहू की इस नीति ने इस्रायल को नुकसान पहुँचाया था, यह दावा प्रधानमंत्री लैपिड ने किया।

अमरीका पर दबावलेकिन, मौजूदा में स्थिति बदली हुई है और इस्रायल की आपत्ति पर अमरीका ध्यान दे रही है। आक्रामक और तीखे भाषण करके और विवाद करने के बजाय इस्रायल की सरकार ने अपनाई यह भूमिका अधिक लाभदायी हैं, ऐसा प्रधानमंत्री लैपिड ने कहा हैं। इसी बीच अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष बनने के बाद ज्यो बायडेन ने विश्व के प्रमुख नेता और अमरिका के सहयोगी देशों के प्रमुखों के साथ फोन पर चर्चा की थी। लेकिन, तब इस्रायल के प्रधानमंत्री रहे बेंजामिन नेत्यान्याहू के साथ उन्होंने लंबे समय तक चर्चा नहीं की थी। ईरान के परमाणु समझौते का समर्थन कर रहे बायडेन को लेकर नेत्यान्याहू का मत अच्छा ना होने की बात कई बार स्पष्ट हुई थी। इसका असर अमरीका-इस्रायल संबंधों पर पड़ा था।

बाद में इस्रायल में राजनीतिक उथल-पुथल हुई और नेत्यान्याहू की सरकार के स्थान पर येर लैपिड की सरकार ने बागड़ोर संभाली। इसके बाद बायडेन प्रशासन के साथ इस्रायली सरकार के संबंधों में सुधार आया। उसी मात्रा में इस्रायल और रशिया के संबंधों में तनाव निर्माण हुआ है। यह बात ध्यान आकर्षित करती है। इस वजह से इस्रायल की अंदरुनि राजनीति में हो रहे बदलाव का इस्रायल के अमरिका एवं अन्य देशों के संबंधों पर बड़ा असर होता हुआ सामने आ रहा है।

इसके बावजूद ईरान के परमाणु कार्यक्रम और अमरीका-पश्चिमी देश ईरान के साथ कर रहे परमाणु समझौते के मुद्दे पर इस्रायल की नीति में खास बदलाव नहीं आया है। किसी भी स्थिति में ईरान को परमाणु अस्त्र से सज्जित होने नहीं देंगे, इस भूमिका पर प्रधानमंत्री येर लैपिड भी कायम हैं। साथ ही ज़रूरत पड़ने पर अमरीका के खिलाफ भी इस्रायल ईरान के परमाणु प्रकल्पों पर हमले करेगा, यह चेतावनी प्रधानमंत्री लैपिड ने कई बार दी थी।

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