ईरान कुछ ही हफ्तों में परमाणु बम बना सकता है – अमरीका के विशेषदूत का आरोप

वॉशिंग्टन – ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम का सैनिकीकरण शुरू नहीं किया है। लेकिन, स्थिती बनी, तो ईरान कुछ ही हफ्तों में परमाणु बम बना सकता है, ऐसा आरोप ईरान के साथ बातचीत करने के लिए नियुक्त विशेषदूत रॉबर्ट मैली ने लगाया। कुछ दिन पहलें दोहा में ईरान के साथ हुई परमाणु समझौते की बातचीत असफल हुई थी। इसके लिए ईरान की बढ़ती माँगें ज़िम्मेदार होने का आरोप मैली ने लगाया। इसी बीच ईरान ने यह आरोप लगाया कि यह चर्चा नाकाम होने के लिए अमरीका ही ज़िम्मेदार है।

अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने पिछले साल ईरान के साथ परमाणु समझौते की बातचीत शुरू करने के लिए रॉबर्ट मैली को विशेषदूत नियुक्त किया था। साल २०१५ में ओबामा प्रशासन के कार्यकाल में किए गए परमाणु समझौते में भी मैली ने अहम भूमिका निभाई थी। इस वजह से, इस परमाणु समझौते को कामयाब करने में मैली सफल होंगे, ऐसे दावे अमरीका और यूरोप के माध्यमों ने किए थे। लेकिन, दस महीनों से वियना में चल रही और पिछले हफ्ते दोहा में आयोजित बातचीत असफल होने का दावा अमरिकी माध्यम कर रहे हैं।

अमरीका में रेड़ियो चैनल के साथ बातचीत करते समय मैली ने इसके लिए ईरान को ज़िम्मेदार बताया। इस बातचीत में शामिल हुए ईरान के प्रतिनिधि ने नई माँगें सामने रखीं, ऐसा आरोप मैली ने लगाया। इसके साथ ही परमाणु कार्यक्रम में ईरान ने की हुई प्रगति, पश्चिमी देशों को चेतावनी देनेवाली होने का दावा मैली ने किया। ईरान के परमाणु कार्यक्रम के युरेनियम संवर्धन की गति पर मैली ने ध्यान आकर्षित किया। ‘परमाणु बम का निर्माण करने के लिए ईरान ज़रूरी सामान पाने के काफी करीब पहुँचा है। लेकिन, फिलहाल ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम का सैनिकीकरण नहीं किया है’, ऐसा मैली ने कहा।

लेकिन, ईरान कुछ ही हफ्तों में परमाणु बम बना सकता है, यह दावा अमरीका के विशेषदूत ने किया। अगर ऐसा हुआ, तो अमरीका उचित जवाब देगी, यह चेतावनी भी अमरिकी विशेषदूत ने दी। ऐसें में अमरीका के विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राईस ने दोहा की बातचीत असफल होने के लिए ईरान पर आरोप लगाया। ईरान अपनी भूमिका से पीछे हटा है, यह आरोप प्राईस ने लगाया। साथ ही, अमरीका अनिश्‍चित समय तक ईरान के साथ बातचीत जारी नहीं रखेगी, यह बात भी उन्होंने ड़टकर कही।

इसी बीच, ब्रिटेन, फ्रान्स और जर्मनी इन यूरोप के ‘ई ३’ देशों के गुट ने ईरान पर सख्त प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी थी। साथ ही ईरान पर कार्रवाई करने के सभी विकल्प खुले होने का एहसास भी कराया था। इस वजह से परमाणु समझौते के मुद्दे पर अमरीका और यूरोपीय देश आक्रामक भूमिका अपनाते दिख रहे हैं।

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