मंदी, कोरोना और ‘रियल एस्टेट क्राइसिस’ की पृष्ठभूमि पर अंतरराष्ट्रीय निवेशकों ने चीन को दिखाई पीठ – ‘आईएमएफ’ के अध्ययन मंड़ल की रपट का दावा

वॉशिंग्टन/बीजिंग – विश्व में दूसरे क्रमांक की अर्थव्यवस्था चीन को महसूस हो रहे झटकों का सिलसिला जारी है। पिछले महीने चीन के आर्थिक विकास दर की गिरावट ०.४ प्रतिशत तक होती दिखाई दी थी। इसके बाद अब अंतरराष्ट्रीय निवेशकों ने भी चीन को पीठ दिखाना शुरू करने की जानकारी सामने आयी है। अमरीका के ‘इन्स्टीट्यूट ऑफ इंटरनैशनल फाइनान्स’ (आईआईएफ) नामक अध्ययन मंड़ल की रपट के अनुसार विदेशी निवेशकों ने जुलाई में चीन के बांड और शेयर्स से भारी निधि निकाली है। साथ ही चीन का विदेशी निवेश भी कम हुआ है और रशिया एवं पाकिस्तान जैसे चीन के प्रमुख मित्रदेशों को भी इससे नुकसान पहुँचा है।

‘रियल एस्टेट क्राइसिस’‘इन्स्टीट्यूट ऑफ इंटरनैशनल फाइनान्स’ की रपट के अनुसार पिछले कुछ महीनों में विदेशी निवेशकों ने चीन के आर्थिक क्षेत्र में निवेश कम करना शुरू किया है। चीन का बांड़ मार्केट लगभग २० ट्रिलियन डॉलर्स का है। पिछले कुछ महीनों में कोरोना का लगातार हो रहा विस्फोट, कम्युनिस्ट हुकूमत ने प्रौद्योगिकी क्षेत्र की कंपनियों पर की हुई कार्रवाई और ‘रियल एस्टेट क्राइसिस’ की वजह से चीन की अर्थव्यवस्था में काफी बड़ी गिरावट आ रही है। इस गिरावट की वजह से अंतरराष्ट्रीय निवेशकों में बेचैनी बनी है और इसी के चलते वे चीन से अपना निवेश निकाल रहे हैं।

चीन के बांड मार्केट से लगातार छह महिनों से विदेशी निवेशक अपना निवेश घटा रहे हैं। जुलाई में बांड समेत चीनी शेयर्स से भी विदेशी निवेशकों निधि घटाने की बात सामने आयी है। जुलाई में विदेशी निवेशकों ने बांड से निकाली हुई निधि का मूल्य लगभग तीन अरब डॉलर्स है और पिछले छह महीनों में उन्होंने कुल ३.५ अरब डॉलर्स निकाले हैं। चीन के प्रमुख शेयर निर्देशांक ‘सीएसआई ३००’ की जुलाई में सात प्रतिशत गिरावट आई थी।

‘रियल एस्टेट क्राइसिस’चीन के शेयर बाज़ार से निधि बाहर जा रहा है और तभी ‘इमर्जिंग मार्केटस्‌‍’ के तौर पर जाने जा रहे अन्य देशों में ढ़ाई अरब डॉलर्स निवेश हुआ है, इस पर ‘आईआईएफ’ ने ध्यान आकर्षित किया। आनेवाले समय में चीन की अर्थव्यवस्था के आँकड़े एवं चीन-ताइवान तनाव जैसे विभिन्न मुद्दों पर चीन के निवेशक निवेश की सप्लाई का रुख करेंगे, ऐसा वर्णित अध्ययन मंड़्ल ने अपनी रपट में दर्ज़ किया है। आनेवाले कुछ महीनों में वैश्विक अर्थव्यवस्था को मंदी से नुकसान पहुँचने की संभावना है। इसके संकेत प्रमुख वित्तसंस्थाओं ने दिए हैं। इसकी गूंज भी चीन में निवेश पर असर करेगी, यह दावा ‘आईआईएफ’ ने किया।

चीन में विदेशी निवेशक कम होते जा रहे हैं और तभी चीन का विदेशों में निवेश भी कम होता देखा गया है। पिछले दशक में चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपींग ने महत्वाकांक्षी ‘बेल्ट ऐण्ड रोड इनिशिएटिव’ की शुरूआत की थी। इसके ज़रिये पूरे विश्व में एक ट्रिलियन डॉलर्स से अधिक निवेश होना था। शुरू के दौर में सबसे ज्यादा निवेश पाकिस्तान और रशिया जैसे मित्रदेशों में किया गया था। लेकिन, चीन की अर्थव्यवस्था को लगे झटकों का असर इन देशों में निवेश पर भी हुआ है। इस साल के पहले छह महीनों में ‘बेल्ट ऐण्ड रोड इनिशिएटिव के तहत रशिया में ज़ीरो निवेश हुआ। ऐसे में पाकिस्तान में हुए निवेश में ५६६ प्रतिशत गिरावट आई है। मंदी, कोरोना व ‘रियल इस्टेट क्रायसिस’ की पृष्ठभूमि पर आधारित है।

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