व्यापारयुद्ध, हुवेई मामला एवं ‘झिंजिआंग’ की वजह से चीन के राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग पर अंतर्गत दबाव बढा

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरबीजिंग – अर्थव्यवस्था में शुरू गिरावट, अमरिका के साथ शुरू हुआ व्यापार युद्ध और ‘हुवेई’ एवं ‘झिंजिआंग’ के मुद्देपर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रही आलोचना की पृष्ठभूमि पर चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग की चुनौतीयों में बढोतरी हुई है, यह दावा विश्‍लेषक कर रहे है| रविवार के दिन चीन के सत्तारूढ कम्युनिस्ट पार्टी की बैठक शुरू हुई| मंगलवार से संसद का सत्र शुरू हो रहा है| इसमें जिनपिंग पर दबाव लाया जाने की संभावना व्यक्त हो रही है|

जिननिपंग इन्होंने पिछले कुछ वर्षों में पार्टी और सत्तापर अपनी पकड जमाने में सफलता प्राप्त की है| चीन के कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक माओ झेडॉंग इनके बराबरी का स्थान प्राप्त करने की जिनपिंग इनकी कोशिश है और इसके लिए उन्होंने पार्टी के साथ प्रशासकीय स्तर पर भी बदलाव किए है| यह करते समय उन्होने अपने समर्थकों को अहम पद पर नियुक्त करने का ध्यान भी रखा है|

अपने कार्यकाल के दौरान चीन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महसत्ता बनाने की महत्वाकांक्षा जिनपिंग इन्होंने रखी है और पिछले कुछ वर्षों में उनकी नीति यही संकेत दे रही ही| ‘बेल्ट ऍण्ड रोड इनिशिएटिव्ह’ जैसा महत्वाकांक्षी कार्यक्रम, रक्षा बलों को आधुनिकरण, तैवान के मुद्दे पर लगातार आक्रामक भूमिका, रशिया के साथ बनाई नजदिकीयां, युआन चलन का पुरस्कार, सोना एवं ईंधन के लिए निर्माण की हुई स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय यंत्रणा, ऐसे निर्णयों से जिनपिंग इन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीन का स्थान मजबूत करने की कोशिश की थी|

लेकिन, अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प इन्होंने चीन के विरोध में अपनाई भूमिका के बाद जिनपिंग इनकी कोशिशों को झटके मिलना शुरू हुआ है| अमरिका ने शुरू किया व्यापार युद्ध और उससे चीन की अर्थव्यवस्था को लगे झटकें जिनपिंग इनके लिए सबसे बडा सिरदर्द साबित हुआ है| जिनपिंग इन्होंने अमरिका के साथ बातचीत करने का निर्णय किया है, लेकिन फिर भी इस चर्चा में अमरिका की बाजू मजबूत होने की बात लगातार स्पष्ट हो रही है| इस वजह से चीन को इस मुद्दे पर पीछे हटने पर विवश होना पडेगा, ऐसे संकेत प्राप्त हो रहे है|

अमरिका ने ही चीन की ‘हुवेई’ कंपनी के विरोध में शुरू की हुई मुहीम चीन की हुकूमत के लिए नए संकट खडी करनेवाली साबित हो रही है| ‘हुवेई’ की वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव निर्माण करेन की चीन की कोशिश को बडा तगडा झटका मिला है और ऑस्ट्रेलिया के साथ ही यूरोपीय देशों में भी चीन के उद्देश्यों को लेकर संदिग्धता का माहौल निर्माण हुआ है| इस दौरान चीन की अर्थव्यवस्था के गुब्बारे से हवा निकलनी शुरू हुई है और इसका बडा झटका अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को भी महसूस होगा, ऐसी चेतावनी जागतिक संस्था एवं विश्‍लेषक दे रहे है|

ऐसी पृष्ठभूमि पर कम्युनिस्ट पार्टी एवं उसी का वर्चस्व होनेवाले संसद का सामना करना जिनपिंग के लिए कुछ मात्रा में कठिनाई का मामला होने के दावे किए जा रहे है| अबतक जिनपिंग इन्होंने अपने विरोध में निकलनेवाला नाराजगी का स्वर रोकने में सफलता प्राप्त की है| लेकिन अब आनेवाले समय में यह सफलता बरकरार रहेगी, इसकी गारंटी नही रही, ऐसा विश्‍लेषकों का कहना है|

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