महंगाई में उछाल से विकसनशील देशों में गरीबी बढ़ी – संयुक्त राष्ट्र संगठन का इशारा

न्युयॉर्क – रशिया-यूक्रेन युद्ध के बाद बढ़ी हुई महंगाई की वजह से विकसनशील देशों में गरीबी की मात्रा काफी बढ़ी है, ऐसी चेतावनी संयुक्त राष्ट्र संगठन ने दी। मार्च से मई तक के तीन महीनों के दौरान विकसनशील देशों में गरिबों की संख्या में सात करोड़ की बढ़ोतरी होने की बात ‘यूएन डेवलपमेंट प्रोग्राम’ (यूएनडीपी) की रपट में कही गयी है। पूरे विश्व की यंत्रणा महंगाई को काबू करने के लिए ब्याजदर बढ़ा रही है और इससे मंदी होने का ड़र है। इस मंदी के कारण पूरे विश्व में गरीबी की समस्या अधिक तीव्र होगी, ऐसा इशारा ‘यूएनडीपी’ ने अपनी रपट में दिया है।

संयुक्त राष्ट्र संगठन ने पूरे विश्व के डेढ़ सौ से अधिक विकसनशील देशों की स्थिति का अध्ययन किया। इन देशों में बढ़ी हुई महंगाई के कारण पहले से गरीबी में गुजारा कर रहे परिवारों को बड़ा नुकसान पहुँचा है। अनाज समेत सभी सामान की कीमतों में आया उछाल यानी कई लोगों के लिए कल पाया गया अनाज आज मिलने का भरोसा नहीं होगा, यही होता है, इन शब्दों में संयुक्त राष्ट्र संगठन के वरिष्ठ अधिकारी ऐचिम स्टेनर ने चिंताजनक संकट पर ध्यान आकर्षित किया। ‘कॉस्ट ऑफ लीविंग क्राइसिस’ की वजह से करोड़ों लोग गरीबी की खाई में धकेले जा रहे हैं और कई लोगों को भुखमरी का सामना भी करना पड़ रहा है। साथ ही सामाजिक असंतोष का खतरा बढ़ रहा है, इस पर ध्यान रखना होगा, यह इशारा भी स्टेनर ने दिया।

गरीबी की मात्रा बढ़ रहे देशों में बाल्कन देश, कैस्पियन सी क्षेत्र के देश और अफ्रीका के ‘साहेल रीजन’ के देशों का समावेश होने का बयान ‘यूएनडीपी’ ने किया है। विकसनशील देशों में आरक्षित विदेशी मुद्रा भंड़ार तेज़ी से घट रहा है, तथा अर्थव्यवस्था पर कर्ज़ का भार प्रचंड़ मात्रा में बढ़ रहा है। ऐसी स्थिति में अंतरराष्ट्रीय बाज़ार बढ़ते ब्याजदरों की वजह से विकसनशील देशों के सामने अभूतपूर्व चुनौतियाँ खड़ी हुई हैं और इसका संज्ञान पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय को लेना होगा, इसका अहसास ‘यूएनडीपी’ ने कराया।

बढ़ती महंगाई के संकट का मुकाबला करने के लिए कई देशों ने व्यापारी प्रतिबंध, ईंधन पर अनुदान एवं ज़रूरतमंदों के खातों में पैसे जमा करने जैसे प्रावधानों का इस्तेमाल किया। इनमें से ईंधन अनुदान का लाभ सिर्फ धनिक वर्ग को होता दिख रहा है और खातों में पैसे जमा करने का लाभ सबसे अधिक गरीबों को होता हुआ देखा गया है, यह निरीक्षण भी ‘यूएनडीपी’ ने अपनी रपट में दर्ज़ किया है। विकसनशील देशों को ऐसी योजनाओं के लिए निधि उपलब्ध होना चाहिए और इसके लिए उन्हें कर्ज़ देनेवाले अन्य देशों ने इसके भुगतान के लिए कम से कम दो साल स्थगिती देनी होगी, ऐसी सलाह इस रपट से दी गई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.