जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो एबे की हत्या – प्रधानमंत्री मोदी ने बयान में कहा कि, भारत ने मित्र खोया

टोकियो – जापान के प्रधानमंत्री शिंजो एबे की हत्या हुई है। तेत्सुया यामागामी नामक व्यक्ति ने गोली मारकर एबे की हत्या की, ऐसा कहा जा रहा है। सबसे अधिक समय तक जापान के प्रधानमंत्री रहे एबे की हत्या की गूंज पूरे विश्व में सुनाई दे रही है और विश्व के सभी नेताओं ने इस पर शोक जताया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एबे भारत के विश्वासार्ह मित्र थे, ऐसा कहकर उनकी हत्या हमारे लिए सदमा होने का बयान किया है। एबे के लिए भारत ने एक दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है।

साल २०२० में एबे ने तबीयत बिगडने के कारण प्रधानमंत्री पद का इस्तीफा दिया था। इसके बावजूद वे राजनीतिक क्षेत्र में सक्रिय थे। शुक्रवार को जापान के चुनावों में अपने पार्टी के उम्मीदवार का प्रचार करते हुए लिए शिंजो एबे जनता को संबोधित कर रहे थे। इसी बीच उन पर गोलीयाँ दागी गईं। सीना और गर्दन में गोलियां लगने से गंभीर घावों से बहुतसारा खून बहने के दौरान ही उन्हें दिल का दौरा पड़ा था, यह जानकारी उन पर इलाज कर रहे हॉस्पिटल ने जारी की। एबे पर हमले के बाद प्रधानमंत्री फुमिओ किशिदा और जापान के अन्य नेताओं की सुरक्षा बढ़ायी गई है।

पूरे विश्व के प्रमुख देशों ने एबे की हत्या का निषेध करके शोक व्यक्त किया है। चीन ने एबे की हत्या झटका होने का बयान किया। लेकिन, चीन के सोशल मीडिया पर इस घटना पर सेलिब्रेशन शुरू हुआ है। एबे के हमलावर हिरो होने का दावा चीन के सोशल मीडिया पर किया जा रहा है। इसी दौरान भारत में शिंजो एबे के निधन पर दुख जताया जा रहा है। भारत का विश्वासार्ह मित्र होनेवाला नेता खो गया है, ऐसा कहकर प्रधानमंत्री मोदी ने इस पर शोक व्यक्त किया। मई में ही अपने जापान दौरे के बीच हमने शिंजों एबे से मुलाकात की थी, इसकी याद प्रधानमंत्री मोदी ने ताज़ा की।

६७ वर्ष के एबे जापान के सबसे अधिक समय तक प्रधानमंत्री रहे। एबे के दादा जापान के प्रधानमंत्री थे और उनके पिता ने जापान के विदेशमंत्री के पद पर काम किया था। ऐसी राजनीतिक विरासत प्राप्त होनेवाले शिंजो एबे साल २००६ में पहली बार प्रधानमंत्री बने। चीन और उत्तर कोरिया के विरोध में उन्होंकी सख्त नीति और उनकी आर्थिक नीति पूरे विश्व में चर्चा का विषय बना था। इसी दौरान उन्होंने पहले ‘इंडो-पैसिफिक‘ की संकल्पना रखकर हिंद महासागर से पैसिफिक महासागर तक के क्षेत्र का एक साथ विचार करने का प्रस्ताव दिया था।

साल २०१२ में फिर से जापान के प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने ‘इंडो-पैसिफिक’ की संकल्पना को बल प्रदान करके इस क्षेत्र में भारत की काफी बड़ी भूमिका होने के मुद्दे पर ध्यान आकर्षित किया था। भारत और जापान के सहयोग के मुद्दे पर एबे की भूमिका निर्धारित थी। समय-समय पर उन्होंने इसकी  पहल की थी। उन्हीं के कार्यकाल में भारत और जापान का सहयोग नई उंचाई प्राप्त हुई थी।

प्रधानमंत्री होते हुए एबे की भारत भेंट भारतीय नागरिकों के लिए आकर्षण का विषय बना था। भारतीय संस्कृति पर एबे हमेशा आदर व्यक्त करते रहे। इसी दौरान भारत ने भी शिंजो एबे का आदर और सम्मान किया। साल २०२१ में एबे को भारत ने पद्धविभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया था।

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