महंगाई बकरार रहने से जर्मन अर्थव्यवस्था में मंदी के संकट की तीव्रता बढ़ेगी – शीर्ष अभ्यासगुट की चेतावनी

बर्लिन – रशिया-यूक्रेन युद्ध की वजह से जर्मनी में शुरू हुआ महंगाई का उछाल अभी भी कायम हैं और इस वजह से अर्थव्यवस्था में मंदी की स्थिति लंबे समय तक बरकरार रहेगी, ऐसी चेतावनी देश के शीर्ष अभ्यास गुट ने दी है। ‘आईएफओ इन्स्टीट्यूट’ ने अपनी नई रपट में वर्ष २०२३ में जर्मन अर्थव्यवस्था की ०.४ प्रतिशत गिरावट होगी, ऐसा अनुमान जताया है। वर्ष २०२४ में अर्थव्यवस्था की वृद्धि हुई तो भी उसकी गति काफी धीमी रहेगी, यह दावा भी जर्मन अभ्यास गुट ने किया।

पिछले महीने यूरोप की शीर्ष अर्थव्यवस्था जर्मनी को मंदी ने नुकसान पहुंचाया था। जर्मनी की अर्थव्यवस्था निर्यात पर निर्भर हैं। कोरोना के दौर में इस देश की निर्यात  फिसलना शुरू हुआ था। इसी बीच कच्चे सामान की कमी और मज़दूरों की किल्लत होने से जर्मनी का उत्पादन क्षेत्र बाधित हुआ। इसके बाद रशिया-यूक्रेन युद्ध के कारण जर्मनी की ईंधन सप्लाई को भी नुकसान पहुंचा और देश में महंगाई का भारी उछाल हुआ। इन वजहों से जर्मन अर्थव्यवस्था मंदी में फंसी, ऐसा आर्थिक विशेषज्ञ और विश्लेषकों ने कहा है।

वर्ष २०२२ की चौथी तिमाही में जर्मनी का जीडीपी ०.५ प्रतिशत फिसला था। इसके बाद २०२३ की पहली तिमाही में जर्मनी का जीडीपी ०.३ प्रतिशत और फिसला। जब किसी अर्थव्यवस्था लगातार दो तीमाहियों में नकारात्मक गतिविधियां दर्शाती हैं तब वह अर्थव्यवस्था मंदी के घेरे में फंसी समझी जाती है। इस वहज से जर्मनी की अर्थव्यवस्था भी मंदी के भंवर में होने का ऐलान किया गया था। लेकिन, जर्मन सरकार ने मंदी से बाहर निकलने की कोशिश शुरू होने का दावा करके जल्द ही अर्थव्यवस्था में सकारात्मक बढ़ोतरी देखी जाएगी, ऐसा कहा था। लेकिन, इस अभ्यास गुट की चेतावनी अर्थव्यवस्था के सामने चिंता कायम होने के संकेत देती हैं।

जर्मनी की अर्थव्यवस्था निर्यात पर निर्भर हैं। लेकिन, कोरोना के दौर से इस देश की निर्यात की भारी गिरावट हुई। अभी तक हमारा देश कोरोना के झटके से संभल नहीं कसका है, ऐसा दावा जर्मन विश्लेषक कर रहे हैं। इसी बीच, रशिया-यूक्रेन युद्ध के कारण जर्मनी की ईंधन सप्लाइ बादित हुई है और इससे जर्मन अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचा हैं। इससे जर्मनी में महंगाई उछाल पर हैं और आम जनता बड़ी परेशान है। जर्मनी के फेडरल सटैटिस्टिक्स ऑफिस ने साझा की हुई जानकारी के अनुसार देश की अर्थव्यवस्था पर कुल २.३७ ट्रिलियन युरो कर्ज का भार है। जर्मनी में कर्ज की यह मात्रा बढ़कर ६६ प्रतिशत तक जा पहुंची है।

जर्मनी यूरोपिय महासंघकी शीर्ष अर्थव्यवस्था होने से इसकी आर्थिक मंदी, कर्ज के भार का असर युरोपिय अर्थव्यवस्था के सामने खड़ी चुनौतियां बढ़ाएगी, यह समझा जाता है। जर्मन अर्थव्यवस्था की मंदी के बाद इस महीने के शुरू में यूरोप के २० शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं के समावेश वाले ‘युरोझोन’ को भी आर्थिक मंदी से नुकसान पहुंचा था।

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