भारत-ताइवान की ‘सेमीकंडक्टर हब’ और मुक्त व्यापारी समझौते पर हुई चर्चा

नई दिल्ली/ताइपे – भारत ने ताइवान के साथ सहयोग मज़बूत करने की दिशा में कदम बढ़ाएँ हैं| भारत और ताइवान के बीच मुक्त व्यापारी और निवेश के समझौते पर चर्चा शुरू हुई है| इसी के साथ ताइवान के सहयोग से देश में ‘सेमीकंडक्टर हब’ का निर्माण करने की दिशा में भारत ने गतिविधियॉं शुरू की हैं| कुछ ही दिन पहले भारत के विदेश सचिव ने संकेत दिए थे कि, चीन के साथ व्यापारी संबंधों पर भारत सावधानी से निर्णय लेगा| इस पृष्ठभूमि पर ताइवान और भारत का यह सहयोग ध्यान आकर्षित कर रहा है|

Semiconductor-Hubभारत ने हाल में ही सेमीकंडक्टर क्षेत्र का शीर्ष देश बनने के लिए १० अरब डॉलर्स निवेश की महत्वाकांक्षी योजना का ऐलान किया था| भारत को ‘सेमीकंडक्टर हब’ के तौर पर विकसित करने के लिए कंपनियों से चर्चा जारी है और इसमें ताइवान की ‘टीएसएमसी’ और ‘यूएमसी’ जैसी प्रमुख कंपनियों का समावेश है| ‘टीएसएमसी’ सेमीकंडक्टर क्षेत्र की विश्‍व की सबसे बड़ी कंपनी के तौर पर पहचानी जाती है| इस कंपनी ने भारत का प्रस्ताव स्वीकार किया तो यह भारत के लिए काफी बड़ा अवसर होगा, ऐसा विश्‍लेषकों का दावा है|

इससे पहले ताइवान की कंपनियों ने अमरीका में सेमीकंडक्टर हब का निर्माण किया है और यह निर्णय रणनीतिक स्तर पर अहम माना जाता है| सेमीकंडक्टर क्षेत्र में ताइवान ने भारत में निवेश करना व्यापार से अधिक रणनीतिक नज़रिये से अहम होगा, यह कहा जा रहा है| सेमीकंडक्टर क्षेत्र के अलावा भारत ने अन्य क्षेत्रों में भी ताइवान के साथ सहयोग मज़बूत करने की कोशिश शुरू की है| भारत और ताइवान के बीच मुक्त व्यापारी समझौता एवं द्विपक्षीय निवेश के समझौते पर पहले ही बातचीत शुरू हुई है| इस चर्चा के दो दौर पूरे होने की बात कही जा रही है|

ताइवान अपना ही भूभाग होने का दावा करके ताइवान के स्वतंत्र देश ना होने की धमकियॉं चीन लगातार दे रहा है| ऐसी स्थिति में ताइवान के साथ भारत की सतर्क नीति बदल रही है और अब भारत सरेआम ताइवान से सहयोग के लिए पहल कर रहा है| यह चीन के लिए भारत का झटका साबित होता है। अन्य छोटे देशों की तरह ताइवान के मसले पर भारत को चुनौती देना चीन को महंगा पड़ सकता है क्योंकि, ‘एलएसी’ के तनाव की वजह से भारतीय नागरिक पहले ही चीन पर काफी गुस्सा हैं| ऐसी स्थिति में यदि चीन ने राजनीतिक स्तर पर भारत के खिलाफ आक्रामकता दिखाई तो दोनों देशों के व्यापार पर इसका बुरा असर पड़ेगा| इससे चीन का काफी बड़ा नुकसान हो सकता है|

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