भारतीय माध्यम ताइवान के लिए मंच उपलब्ध ना कराएँ – चीन के राजनीतिक अधिकारी की मॉंग

नई दिल्ली – ‘भारतीय माध्यम ताइवान के अलगाववादियों को व्यासपीठ उपलब्ध ना कराएँ और सर्वमान्य ‘वन चायना’ नीति का सम्मान करें’, यह आपत्ति भारत स्थित चीनी दूतावास के प्रवक्ता ने जताई है| भारतीय माध्यमों के कुछ लोग ऐसा कर रहे हैं जिससे गलत संदेश दिया जा रहा है, ऐसा दावा चीनी दूतावास के प्रवक्ता वैंग शाऊजियांग ने किया| उन्होंने जताई इस आपत्ति की वजह से चीन का नया दर्द सामने आया है| भारत और ताइवान विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग करने लगे हैं और सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में भारत और ताइवान का सहयोग चीन की आँखों में चुभ रहा है| इसी पृष्ठभूमि पर चीन ने भारत को चेतावनी देने की कोशिश की है|

भारतीय माध्यमचीन के माध्यम आज़ाद नहीं हैं| चीन के माध्यमों के मालिकाना हक इस देश की कम्युनिस्ट हुकूमत के हाथों में है| इस वजह से चीन की हुकूमत के खिलाफ इन माध्यमों में एक भी शब्द बयान नहीं होता| अन्य देशों के माध्यम भी चीनी माध्यमों की राह पर चलेंगे, यह उम्मीद चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत करती है| इसी वजह से चीन अब ताइवान को लेकर भारतीय माध्यमों में जारी खबरों से बेचैन हैं और यह ‘वन चायना’ नीति का उल्लंघन कहकर चीन इस पर आपत्ति जता रहा है| ‘वन चायना पॉलिसी’ के अनुसार ताइवान को चीन का ही अंग माना जाता है और इसे भारत ने भी स्विकृति दी है| भारत के साथ सीमा व्यवस्थापन और अन्य समझौते पैरों तले रौंदने की उकसानेवाली हरकतें चीन ने की थीं| कोई भी समझौता तोड़ने का विशेष अधिकार चीन को है, लेकिन भारत को समझौते का पालन करना ही चाहिए, ऐसी फिजूल उम्मीद चीन करता है|

‘एलएसी’ पर चीन की उकसानेवाली हरकतें बढ़ रही हैं और ऐसे में भारत ने भी ताइवान के प्रति अपनी परंपरागत नीति में बदलाव करने के संकेत दिए हैं| भारत के पड़ोसी देशों को ज़रिया बनाकर चीन रणनीतिक रचना बना रहा है और ऐसे में भारत की नीति में हुए इन आक्रामक बदलावों का सामरिक विश्‍लेषक स्वागत कर रहे हैं| इसकी छवि भारतीय माध्यमों में देखी गई है| इस वजह से ताइवान के साथ भारत के सहयोग से संबंधित खबरों की मात्रा बढ़ रही है| ऐसे में ही इलेक्ट्रॉनिक उत्पादनों के लिए आवश्यक सेमीकंडक्टर्स के निर्माण क्षेत्र में बढ़त प्राप्त करनेवाला ताइवान इस क्षेत्र में भारत से सहयोग बढ़ा रहा है| इससे चीन को काफी बड़ा झटका लगा है|

सेमीकंडक्टर क्षेत्र की तैवानी कंपनी भारतीय कंपनियों के साथ इसी मुद्दे पर बातचीत कर रही है| यह बात चीन को असुरक्षित कर रही है और इससे वर्णित क्षेत्र में अपना प्रभाव खत्म होगा, यह चिंता चीन को सताने लगी है| साथ ही भारत जैसे जनतांत्रिक देश से ताइवान को प्राप्त हुआ रिस्पान्स अन्य देशों को भी यही करने के लिए प्रोत्साहित करेगा, यह ड़र चीन को परेशान कर रहा है| इसी वजह से इस विषय पर भारत को चेतावनी देने के लिए चीनी दूतावास के प्रवक्ता भारतीय माध्यमों को इशारा दे रहे हैं|

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