अफ़गानिस्तान के मसले और आतंकवाद के खिलाफ भारत मध्य एशियाई देशों से बढ़ाएगा सहयोग

नई दिल्ली – अफ़गानिस्तान की जनता को शीघ्रता से ज़रूरी सहायता प्रदान करना, आतंकवाद के खिलाफ सख्त भूमिका अपनाने के अलावा भारत के मध्य एशियाई देशों से सभी स्तरों पर सहयोग व्यापक करने के मुद्दों पर दोनों ओर से सहमति हुई है| नई दिल्ली में आयोजित ‘इंडिया-सेंट्रल एशिया डायलॉग’ में मध्य एशिया के पांच देशों के विदेशमंत्रियों ने अफ़गानिस्तान के साथ व्यापार, कनेक्टिविटी और क्षमता बढ़ाने के मुद्दों पर सहयोग के लिए समान भूमिका अपनाई है| इसका दाखिला देकर किरगिज़स्तान, कज़ाकस्तान, तुर्कमेनिस्तान, उज़बेकिस्तान और ताजिकिस्तान के साथ भारत के सहयोग को नई उंचाई पर ले जाया जाएगा, यह विश्‍वास विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने व्यक्त किया है|

India-Asian-countriesपाकिस्तान में ‘ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक को-ऑपरेशन’ (ओआईसी) परिषद का आयोजन किया गया था| इस परिषद के माध्यम से पाकिस्तान अफ़गानिस्तान के मुद्दे पर अपनी भूमिका आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहा है| इसके साथ ही अपनी अहमियत बढ़ाकर ‘ओआईसी’ के सदस्यों से सहायता प्राप्त करने के लिए पाकिस्तान की कोशिशें छुपी नहीं रही हैं| ऐसी स्थिति में किरगिज़स्तान, कज़ाकस्तान, तुर्कमेनिस्तान, उज़बेकिस्तान और ताजिकिस्तान इन मध्य एशियाई देशों ने अपने विदेशमंत्रियों को नई दिल्ली की ‘इंडिया-सेंट्रल एशिया डायलॉग’ के लिए भेजा है| भारत ने जानबूझकर पाकिस्तान को झटका देने के लिए इस परिषद का आयोजन किया, यह आरोप कुछ पाकिस्तानी पत्रकारों ने लगाया है|

खास तौर पर अफ़गानिस्तान के मुद्दे पर भारत और मध्य एशियाई देशों ने समान भूमिका अपनाकर अफ़गान जनता को शीघ्रता से सहायता प्रदान करने का निर्णय किया है| साथ ही अफ़गानिस्तान की भूमि का आतंकवाद के लिए इस्तमाल ना हो, यह पुख्ता भूमिका भी इस परिषद में अपनाई गई है| यह पाकिस्तान को लगा हुआ नया झटका है| मध्य एशियाई देशों के अलावा रशिया और ईरान भी अफ़गानिस्तान के प्रति भारत ने अपनाई हुई भूमिका को अहमियत देने की बात सामने आ रही है| इस वजह से तालिबान के हाथों में अफ़गानिस्तान की सत्ता जाने के बाद अफ़गानिस्तान में भारत का प्रभाव पूरी तरह से खत्म होने के दावे करने वाले पाकिस्तान की उम्मीद टूट गई है|

भारत जल्द ही तालिबान को स्वीकृति प्रदान करेगा और इसके लिए भारत ने रशिया, ईरान और मध्य एशियाई देशों के सहयोग से कदम उठाए हैं, ऐसे दावे पाकिस्तान के ही ज्येष्ठ पत्रकार कर रहे हैं| इस वजह से पाकिस्तान बौखलाया हुआ दिख रहा है| भारत ने पाकिस्तान से पहले तालिबान को स्वीकृति प्रदान की या तालिबान के राज वाले अफ़गानिस्तान को भारी सहायता प्रदान की तो तालिबान इसे निश्चित ही ध्यान में रखेगी| आने वाले दिनों में भारत को इससे काफी बड़ा लाभ होगा, ऐसा इन पाकिस्तानी पत्रकारों का कहना है| भारत ने आवश्यक दवाईयों की आपूर्ति करने के बाद तालिबान के एक नेता ने पाकिस्तान का ज़िक्र सबसे बड़े शत्रु के तौर पर किया था, इस बात पर पाकिस्तानी विश्‍लेषक ध्यान आकर्षित कर रहे हैं|

इसके बावजूद पाकिस्तान भारत से पहले तालिबानी हुकूमत को स्वीकृति प्रदान कर नहीं सकता क्योंकि, ऐसा करने पर पाकिस्तान ने ही तालिबान को सहायता प्रदान करके उसे अफ़गानिस्तान की सत्ता पर बिठाया है, यह आरोप लगाया जाएगा| इसके बाद तालिबान की हरकतों के लिए पाकिस्तान को ही ज़िम्मेदार ठहराया जाएगा| इसी कारण पाकिस्तान तालिबान की नाराज़गी को स्वीकार करके उसकी हुकूमत को स्वीकृति प्रदान करने का निर्णय नहीं कर रहा है, ऐसा पाकिस्तानी विश्‍लेषक कह रहे हैं|

लेकिन, भारत ने इस स्थिति का लाभ उठाने के लिए कुटनीती का प्रदर्शन किया है और हमारे देश को घेरा है, यह बात पाकिस्तानी विश्‍लेषकों नी कबूली है|

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