अफगानिस्तान के हालातों पर भारत ने जताई चिंता

नई दिल्ली – ‘पिछले दो दशकों की कालावधि में अफगानिस्तान ने जो कुछ भी कमाया है, उसकी रक्षा करने की आवश्यकता है। शांत, समृद्ध और लोकतंत्रवादी अफगानिस्तान भारत को अपेक्षित है’, ऐसा कहकर कामा इस देश में जारी रक्तपात त्वरित रोकने के लिए व्यापक संघर्ष बंदी लागू करें, ऐसी मांग भरत ने की है। कतार के दोहा में अफगानिस्तान के संदर्भ में ‘ट्रॉयका प्लस’ की यानी अमेरिका, रशिया, चीन समेत पाकिस्तान की बैठक जारी होकर, उसका भारत को निमंत्रण दिया गया। इस परिषद से भारत को दूर रखा होने की खबरें जारी हुईं थीं। उस पर पाकिस्तान ने संतोष ज़ाहिर किया था। इस कारण इस परिषद में भारत का सहभाग यह पाकिस्तान के लिए नाराज़गी का विषय बना है।

अफगानिस्तान के हालातविदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने, अफगानिस्तान में चल रहीं गतिविधियों की जानकारी देकर उसपर चिंता ज़ाहिर की। भारत अफगानिस्तान में शांति चाहता है। इसके लिए भारत अफगानिस्तान के सभी घटकों के साथ चर्चा कर रहा है, ऐसा सूचक बयान बागची ने किया। लेकिन इसका विवरण उन्होंने नहीं दिया है। दोहा में आयोजित ‘ट्रायका प्लस’ की बैठक से भारत को दूर रखा गया होने की चर्चा शुरू हुई थी और उस पर पाकिस्तानी संतोष जाहिर किया था। अफगानिस्तान में भारत की किसी भी प्रकार की भूमिका हो ही नहीं सकती, ऐसा पाकिस्तान का कहना है। लेकिन ७ अगस्त को ही कतार ने इस बैठक का भारत को आमंत्रण दिया था और उसके अनुसार भारत के प्रतिनिधि इस बैठक में सहभागी हुए हैं।

अफगानिस्तान में भारत के सुरक्षा विषयक हितसंबंध उलझे होकर, इस देश के विकास प्रोजेक्ट्स में भारत ने ३ अरब डॉलर्स का निवेश किया है। लेकिन ये विकास प्रोजेक्ट्स भारत के हैं ऐसा कहना गलत होगा, वे अफगानी जनता के ही प्रोजेक्ट्स हैं, ऐसा दावा विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने किया। उसी समय भारत, अफगानिस्तान में अल्पसंख्याक होनेवाले हिंदू और सिख समुदाय की सुरक्षा की ओर बहुत ही गंभीरता से देख रहा है, ऐसी जानकारी बागची ने दी। भारत के विदेश मंत्रालय द्वारा अफगानिस्तान के संदर्भ में ये बयान किए जा रहे हैं कि तभी तालिबान ने फिर एक बार यह माँग की है कि भारत अफगानिस्तान के संघर्ष में किसी का भी पक्ष न लेते हुए तटस्थ रहें ।

तालिबान का वर्चस्व बढ़ते समय, भारत ने अफगानिस्तान का चौथे नंबर का शहर होनेवाले ‘मझार-ए-शरीफ’ स्थित दूतावास के कर्मचारियों को स्वदेश बुलाया था। लेकिन तालिबान किसी भी देश के राजनीतिक कार्यालयों पर हमला नहीं करेगा, ऐसा बताकर तालिबान के प्रवक्ता ने भारत को आश्वस्त करने की कोशिश की। लेकिन भारत ने अफगानी लष्कर को सप्लाई किए हथियार तालिबान के विरोध में इस्तेमाल किए जा रहे हैं, ऐसा सूचक बयान करके तालिबान के प्रवक्ता ने यह माँग की है कि भारत इस संघर्ष में किसी का भी पक्ष ना लें।

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