‘सिंधु जल संधि’ को लेकर भारत की पाकिस्तान को चेतावनी – नोटिस देकर ९० दिनों में जवाब देने को कहा

नई दिल्ली – छह दशक पहले भारत और पाकिस्तान ने किए ‘सिंधु जल संधि’ को लेकर भारत ने पाकिस्तान को नोटिस भेजी है। इसपर ९० दिनों में जवाब देने के लिए भारत ने पाकिस्तान को कहा है। नहीं तो इस संधि पर अपना निर्णय करने के लिए भारत खुला होगा, ऐसी चेतावनी भी भारत ने दी है। भारत ने पहली बार  ‘सिंधु जल संधि’ को लेकर इतनी बड़ी आक्रामक भूमिका अपवाई है, ऐसा दावा किया जा रहा है। दोनों देशों के हुए युद्ध के दौरान भी भारत ने इस संधि को लेकर इतनी सख्त भूमिका अपनाई नहीं थी। लेकिन, भारत विरोधी भूमिका अपना रहे इस देश को आगे से अपने हिस्से का पानी देने की उदारता दिखाने के लिए हम तैयार नहीं हैं, यह संदेश भारत ने नोटिस भेजकर दिया है।

भारत और पाकिस्तान ने १९ सितंबर, १९६० के दिन ‘सिंधु जल संधि’ पर हस्ताक्षर किए थे। इसके अनुसार भारत से पाकिस्तान में बह रही नदियों के पानी का बंटवारा करने के मुद्दों का समावेश था। लेकिन, यह समझौता करके ६ दशकों से भी अधिक समय हुआ है। साथ ही इस समझौते में कुछ मुद्दे अभी भी अस्पष्ट हैं। इसमें सुधार करना ज़रूरी है, ऐसा भारत का कहना है। लेकिन, पाकिस्तान यह सुधार करने के लिए तैयार नहीं। उल्टा इस समझौते का पालन करना भारत के एि बाध्य होने के बावजूद भारत नदियों पर बांध बनाकर अपने हिस्से का पानी चुरा रहा हैं, ऐसा आरोप पाकिस्तान लगा रहा है। लेकिन, अपने यह आरोप अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण के सामने साबित करना पाकिस्तान को मुमकिन नहीं हुआ था। उल्टा भारत के हिस्से का पानी पाकिस्तान में जाया जा रहा है, यह बात भी इससे सामने आयी थी।

किशनगंगा और रेटल जल बिजली प्रकल्प पर आपत्ति जताकर पाकिस्तान ने साल २०१५ में वैश्विक बैंक से गुहार लगाई थी। सिंधू जल संधि में वैश्विक बैंक भी शामिल थी। इस वजह से वैश्विक बैंक से गुहार लगाकर भारत पर दबाव बनाने की पाकिस्तान की योजना थी। लेकिन, इस मामले का हल चर्चा से निकालने की सलाह वैश्विक बैंक ने दी थी। भारत ने पाकिस्तान से चर्चा करके इस मसले का हल निकालने की कोशिश की और इसके लिए साल २०१६ से भारत पाकिस्तान से चर्चा कर रहा हैं। लेकिन, पाकिस्तान इस मुद्दे पर हर संभव अड़ियल रवैया अपना रहा हैं। इस पृष्ठभूमि पर भारत के ‘इंडस्‌‍ वॉटर कमिशनर’ ने पाकिस्तान को यह नोटीस भेजी है और इसपर ९० दिनों में जवाब देने को भी कहा है।

‘सिंधु जल संधि’ में सुधार करने के लिए ज़रूरी चर्चा नहीं की तो भारत अपने आगे के निर्णय करने के लिए मुक्त होगा, ऐसा कड़ा संदेश भी पाकिस्तान को इस नोटीस से दिया गया है। सिंधु जल संधि होने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच चार युद्ध हुए। इस दौर में भी भारत ने पाकिस्तान से किए इस समझौते का उल्लंघन नहीं किया था। पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों ने भारत पर बार बार हमले किए और निरपराध भारतीय नागरिकों के मौत का कारण बने। ऐसे समय पर भी भारत ने यह समझौता तोड़ने का विचार नहीं किया था। लेकिन, अब अपनी उदारता का गलत लाभ पाकिस्तान को उठाने ना देने का निर्धार भारत ने किया हैं। इस वजह से आगे के समय में पाकिस्तान को भारत से प्राप्त हो रहा अतिरिक्त पानी मुहैया नहीं किया जाएगा, ऐसा इशारा भारत दे रहा है। इसमें भी पाकिस्तान को प्राप्त हो रहा पानी जाया जा रहा है और यह देश जल नियोजन में रुचि नहीं रखता है, यह भी पूरे विश्व को ज्ञात हुआ है। अमरीका की पूर्व विदेश मंत्री हिलरी क्लिंटन ने अपने कार्यकाल में पाकिस्तान को इस मुद्दे के स्पष्ट शब्दों में अहसास कराया था।

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