पाकिस्तान की गतिविधियों पर भारत की नज़र – विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची

नयी दिल्ली/इस्लामाबाद – पाकिस्तान में चल रही गतिविधियों से भारत का संबंध नहीं है। फिर भी भारत उन पर नज़र रखे हैं, ऐसा विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा है। पाकिस्तान में जारी राजनीतिक उथल-पुथल को देखते हुए, भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर के प्रमुख देशों की नजरें उस पर गड़ीं हैं, यह बात सामने आ रही है। पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय ने, संसद को बर्खास्त करके नए से चुनाव लेने का सरकार का फैसला ख़ारिज किया। संसद का अधिवेशन शुरू करके प्रधानमंत्री इम्रान खान की सरकार 9 अप्रैल को अविश्‍वासदर्शक प्रस्ताव का सामना करें, ऐसे आदेश सर्वोच्च न्यायालय ने दिए हैं। वहीं, पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने 3 महीनों में चुनाव आयोजित करने के आदेश चुनाव आयोग को दिए हैं। इससे पाकिस्तान में संविधानिक पेंच निर्माण हुआ होकर, अपना देश अराजक के बवंडर में फँसा होने की चिंता पाकिस्तानी जनता व्यक्त कर रही है।

महँगाई, बेरोज़गारी, विदेश तथा आर्थिक नीति, ऐसे सभी मोरचों पर इम्रान खान की सरकार दारुण रूप से असफल साबित हुई है। ऐसी परिस्थिति में इम्रान खान का पाकिस्तान के लष्करप्रमुख के साथ संघर्ष शुरू हुआ। उसके बाद अमरीका ने उन्हें सत्ता से नीचे खींचने के लिए साज़िश रची होने के आरोप इम्रान खान ने शुरू किए थे। इस संदर्भ में उन्होंने भरी सभा में सबूत के तौर पर दिखाया पत्र झूठ होने की बात सामने आई है। इम्रान खान के सहयोगी उन्हें छोड़कर, विपक्षियों के साथ सहयोग करने लगे हैं। ऐसे हालातों में भी इम्रान खान अपनी सत्ता बरक़रार रखने के लिए चुनाव की माँग करके अपना राजनीतिक महत्व कायम रखने के लिए जानतोड़ कोशिश कर रहे हैं।

पाकिस्तान की संसद में अविश्वासदर्शक प्रस्ताव का सामना करने के आदेश सर्वोच्च न्यायालय ने पाकिस्तान की सरकार को दिए थे। उसी समय पाकिस्तान के राष्ट्रपति अल्वी ने चुनाव आयोग को 3 महीने में चुनाव का आयोजन करने के आदेश दिए हैं। लेकिन 3 महीनों में चुनाव लेना संभव नहीं है, इसके लिए कम से कम 6 महीनों की कालावधी आवश्यक है, ऐसा चुनाव आयोग ने कहा है। इससे यही बात सामने आ रही है कि चाहे कुछ भी हो, अपने हाथ से सत्ता की बागडोर छोड़ देने के लिए इम्रान खान तैयार नहीं हैं। उनमें और हिटलर में कुछ भी फर्क नहीं रहा है, ऐसी आलोचना प्रमुख विपक्षी नेता शाहबाज शरीफ ने की। पाकिस्तान भले ही विनाश की ओर चला जाए, फिर भी अपनी सत्ता बरकरार रखने के लिए इम्रान खान किसी भी हद तक जा सकते हैं, ऐसी आलोचना माध्यम कर रहे हैं।

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