सुएझ नहर के क्षेत्र में भारतीय उद्योगों के लिए भूमि आवंटित करने के लिए इजिप्ट तैयार – भारत को दिया ‘मास्टर प्लैन’ तैयार करने का प्रस्ताव

नई दिल्ली – राष्ट्राध्यक्ष अब्देल फताह अल-सिसी के भारत दौरे में इजिप्ट से भारत को रणनीतिक नज़रिये से बड़ा अहम प्रस्ताव प्राप्त हुआ है। विश्व की कुल १२ प्रतिशत व्यापारी यातायात सुएझ नहर से होती है और इस नहर के ‘इकॉनॉमिक झोन’ में भारतीय कंपनियों के लिए स्वतंत्र क्षेत्र आवंटित करने की तैयारी इजिप्ट ने दर्शायी है। इसके लिए भारत ‘मास्टर प्लैन’ तैयार करें, यह सुझाव भी इजिप्ट ने दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्राध्यक्ष अल-सिसी के संयुक्त निवेदन में यह मुद्दा दर्ज़ किया गया है। इसके साथ ही भारत और इजिप्ट की पहले स्थापित ‘नाम’ यानी गुटनिरपेक्ष देशों के अभियान के प्रति दोनों देशों ने फिर से अपनी प्रतिबद्धता घोषित की है।

सुएझ नहरमेडिटेरियन सी यानी भूमध्य समुद्र और रेड सी क्षेत्र को जोड़ने वाले सुएझ नहर से हर दिन विश्व के करीबन १२ प्रतिशत वैश्विक व्यापार की यातायात होती है। इसी कारण से व्यापारी एवं रणनीतिक नज़रिये से सुएझ नहर को और इस क्षेत्र की अहमियत प्रचंड़ है। इसपर गौर करके चीन ने इस अहम क्षेत्र के इर्द गिर्द मौजूद देशों में अपने निवेश और प्रभाव बढ़ाने के लिए प्लैन बनाकर कदम उठाए थे। ऐसी स्थिति में आर्थिक संकट से घिरे इजिप्ट ने अपने हितसंबंधों की सुरक्षा के लिए भारत का सहयोग मज़बूत करने का रणनीतिक निर्णय किया है। इसी वजह से राष्ट्राध्यक्ष अल-सिसी के इस भारत यात्रा के दौरान ‘सुएझ कनाल इकॉनॉमिक झोन’ (एससीईझेड) में भारत के लिए विशेष क्षेत्र या भूमि आवंटित करने के तैयारी इजिप्ट ने दर्शायी है।

‘एससीईझेड’ में निवेश करने की क्षमता रखने वाली भारतीय कंपनियों को यहां पर बड़े अवसर प्राप्त हो सकते हैं। इसके लिए आवश्यक हर तरह की सहायता प्रदान होगी, ऐसा आश्वासन इजिप्ट ने दिया है। इजिप्ट से प्राप्त हुआ यह प्रस्ताव यानी भारत के लिए अच्छा अवसर साबित होगा और इससे भारत के व्यापार को काफी बड़ा लाभ प्राप्त हो सकता है। इसी कारण से इजिप्ट से प्राप्त हुए इस प्रस्ताव की और भारत बड़ी गंभीरता से देख रहा है। यह योजना आगे बढ़ी तो भारत और इजिप्ट के सहयोग को नई उंचाई प्राप्त होगी। पश्चिमी एशियाई क्षेत्र में मौजूद भारत के हितसंबंधों के लिए इजिप्ट के साथ मज़बूत हो रहा यह सहयोग सहायक साबित होगा और भारत का प्रभाव प्रचंड़ मात्रा में विस्तार होगा, ऐसे संकेत भी प्राप्त हो रहे हैं।

इसी बीच, अमरीका और सोवियत रशिया के शीतयुद्ध के दौर में ‘नॉन अलायन्स मुवमेंट’ (नाम) का गठन करके भारत और इजिप्ट ने इस शीतयुद्ध में किसी के भी पक्ष में खड़े होने के बजाय गुटनिरपेक्ष रहने की नीति अपनाई थी। अब ‘नाम’ का यह अभियान के साथ भारत और इजिप्ट की प्रतिबद्धता राष्ट्राध्यक्ष अल-सिसी के इस भारत दौरे में फिर से व्यक्त की गई। अंतरराष्ट्रीय कानून और सभी देशों की संप्रभुता एवं क्षेत्रिय अखंड़ता का सम्मान करना ही ‘नाम’ का बुनियादी सिद्धांत हैं। इसे प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्राध्यक्ष अल-सिसी के संयुक्त निवेदन में फिर से दोहराया गया है। रशिया औड़ यूक्रेन के युद्ध की पृष्ठभूमि पर दोनों देशो के जारी निवेदन में शामिल किया गया यह मुद्दा ध्यान आकर्षित करता है। साथ ही अन्न सुरक्षा के मुद्दे पर भारत और इजिप्ट ने एक-दूसरे की सहायता करने का निर्णय किया हैं और यह मुद्दा भी विश्लेषकों का ध्यान आकर्षित कर रहा हैं।

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