भारत-अमरीका रणनीतिक सहयोग का आदर्श खड़ा करेंगे – ‘यूएसआईएसपीएफ’ के अध्यक्ष का दावा

न्यूयॉर्क – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमरीका दौरे की वजह से विश्व के दो बड़े जनतांत्रिक देशों के बीच आदर्श सहयोग विकसित होगा। इस सहयोग का लाभ ना की सीर्फ इन्हीं दो देशों के व्यापार को प्राप्त होगा, बल्कि भारत के २८ राज्य और केंद्रीय प्रदेश एवं अमरीका के ५० राज्यों में भी इससे रोजगार निर्माण होकर रहेगा, ऐसा दावा ‘यूएस-इंडिया स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप फोरम’ (यूएसआईएसपीएफ) के अध्यक्ष जॉन चेंबर्स ने किया है।

अमरिकी संसद के दोनों सदनों को प्रधानमंत्री मोदी संबोधित करेंगे। इससे पहले वर्ष २०१६ में प्रधानमंत्री मोदी ने अमरिकी संसद में भाषण किया था। इस वजह से अमरिकी संसद को दो बार संबोधित करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले भारतीय प्रधानमंत्री बनेंगे। इसका दाखिला देकर ‘यूएसआईएसपीएफ’ के अध्यक्ष चेंबर्स ने अमरिकी सांसद प्रधानमंत्री मोदी का नज़रिया और विचार समझने के लिए उत्सुक होने का दावा किया। डेमोक्रैट और रिपब्लिकन इन अमरीका के दोनों राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ प्रधानमंत्री मोदी के अच्छ ताल्लुकात हैं। इस वजह से मोदी एक ‘युनाइटिंग फोर्स’ यानी विश्व को एकत्र करने वाले नेता हैं, ऐसा दावा चेंबर्स ने किया।

भारत और अमरीका यह विश्व के सबसे बड़े जनतांत्रिक देश हैं। दोनों देश साथ मिलकर पूरे विश्व को इसका दाखिला दे सकते हैं कि, जनता के विकास में प्रौद्योगिकी कितनी अहम भूमिका निभा सकता है, इसपर चेंबर्स ने ध्यान आकर्षित किया। साथ ही भारत और अमरीका के व्यापारी सहयोग के काफी बड़े लाभ दोनों देशों को प्राप्त होंगे, इसपर भी चेंबर्स ने ध्यान आकर्षित किया है। दोनों देशों के व्यापारी सहयोग की वजह से भारत के २८ राज्य और केंद्रीय प्रदेशों में एवं अमरीका के ५० राज्यों में बड़ी मात्रा में रोजगार निर्माण होगा, यह विश्वास चेंबर्स ने व्यक्त किया है। इसी वजह से भारत यह अमरीका का सबसे अहम रणनीतिक भागीदार देश बनता है, यह दावा चेंबर्स ने किया। एशियाई महाद्वीप के सबसे अहम और रणनीतिक भागीदार देश के तौर पर अमरीका ने भारत का चयन किया है। लेकिन, अमरीका को फिर से ऐसा चयन करना पड़ता है तो भी अमरीका यकिनन भारत का ही चयन करेगी, ऐसा चेंबर्स ने कहा। पिछले ३० सालों में अमरीका में दोनों दलों के सरकार ने सत्ता की बागड़ोर संभाली है। लेकिन, भारत के सहयोग को लेकर अमरीका की भूमिका बदली नहीं हैं, यह मुद्दा भारत की अमरीका को महसूस हो रही अहमियत रेखांकित करती है, ऐसा दावा यूएसआईएसपीएफ के अध्यक्ष ने किया।

इसी बीच, प्रधानमंत्री मोदी के दौरे को अमरीका काफी उत्सुकता से देख रही हैं, यही बात व्हाईट हाऊस और पेंटॅगॉन समेत अन्य वरिष्ठ नेता और अधिकारियों के बयानों से स्पष्ट हो रही है। लेकिन, अमरीका की सभी उम्मीदों को हम पूरा नहीं कर सकते, इसका अहसास भारत विभिन्न तरीके से अमरीका को करा रहा हैं। नाटो प्लस में शामिल होने का प्रस्ताव अमरीका द्वारा भारत के सामने रखा जा रहा हैं। लेकिन, इसमें हमें रुचि ना होने का संदेश भारत ने दिया है। इसके अलावा चीन जैसे देश से होने वाले खतरे का मुकाबला करने की क्षमता हम रखते हैं, इसका अहसास भी भारत ने अमरीका को स्पष्ट शब्दों में कराया है। विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने सार्वजनिक कार्यक्रमों में ऐसे बयान किए हैं।

अमरीका को सहयोगी देश बनाने में भारत को रुचि नहीं हैं, बल्कि बराबरी के नाते से भागीदार देश के तौर पर अमरीका के साथ सहयोग करने के लिए भारत उत्सुक होने की बात भारत स्पष्ट कर रहा हैं। चेंबर्स ने भी भारत अमरीका का सहयोगी नहीं बल्कि रणनीतिक भागीदार देश होने की बात स्वीकारी है। दोनों देश अर्थव्यवस्था, रोजगार निर्माण से प्रौद्योगिकी और रक्षा क्षेत्र में भारी प्रदर्शन कर सकते हैं, यह दावा चेंबर्स ने व्यक्त किया है।

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