भारतीय प्रधानमंत्री के ऐतिहासिक दौरे से भारत-अमरीका सैन्य सहयोग नई ऊंचाई प्राप्त करेगा – अमरिकी रक्षा मुख्यालय का दावा

नई दिल्ली/वॉशिंग्टन – प्रधानमंत्री मोदी का अमरीका दौरा ऐतिहासिक साबित होगा। इस दौरे की वजह से दोनों देशों के सहयोग को बड़ा उछाल प्राप्त होगा और यह सहयोग नई ऊंचाई पर पहुंचेगा। भारत और अमरीका के सैन्य सहयोग के नज़रिये से इस बार बहोत बड़े ऐलान होने की उम्मीद हैं। इससे रक्षा सामान का देश में निर्माण करने की भारत की क्षमता काफी मात्रा में बढ़ेगी, ऐसा दावा अमरिकी रक्षा मुख्यालय पेंटॅगॉन ने किया है।

पेंटॅगॉन के ‘इंडो-पैसिफिक सिक्योरिटी अफेअर्स’ के ‘असिस्टंट सेक्रेटरी ऑफ डिफेन्स’ पद के अधिकारी एली रैटनर ने यह कहा है कि, प्रधानमंत्री मोदी का यह अमरीका दौरा पेंटॅगॉन का उत्साह बढ़ाने वाला होगा। इस ऐतिहासिक दौरे में भारत और अमरीका का रक्षा सहयोग अगल ही ऊंचाई प्राप्त करेगा, यह भी रैटनर ने स्पष्ट किया। लेकिन, इसका ब्योरा उन्होंने सार्वजनिक नहीं किया। कुछ दिन पहले अमरिकी रक्षा मंत्री लॉईड ऑस्टिन ने भारत का दौरा किया था।  उस समय दोनों देशों के रक्षा सहयोग को लेकर अहम चर्चा हुई, यह कहकर प्रधानमंत्री मोदी के अमरीका दौरे में इसकी छवि देखी जाएगी, ऐसे संकेत रैटनर ने दिए हैं।

रक्षा सामान का संयुक्त विकास और निर्माण का मुद्दा भारत और अमरीका सहयोग में अहम मुद्दा साबित होगा, ऐसा रैटनर ने आगे कहा। इससे पहले भी दोनों देशों ने इस दिशा में कोशिश की थी और इसे अभी ज्यादा सफलता हासिल नहीं हुई है, इसकी कबुली भी रैटनर ने दी। लेकिन, इस बार की बात अलग होगी, इस बार इन कोशिशों को सफलता प्राप्त होगी, इसके स्पष्ट संकेत प्राप्त होने का दावा रैटनर ने किया। पहले के दौर में अमरीका  ने भारत को देने से इन्कार किए संवेदनशील प्रौद्योगिकी भारत को प्रदान करने के लिए अमरीका इस बार तैयार हुई है, ऐसा अनुमान रैटनर के दावे से निकाला जा सकता हैं। क्यों कि, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करके अमरीका भारत के साथ रक्षा सहयोग विकसित कर रही हैं, ऐसा रैटनर ने कहा है।

इसी बीच, अमरीका अब भारत को अपने रक्षा गुट ‘नाटो प्लस’ में शामिल होने का प्रस्ताव दे रही है। चीन जैसे देश से भारत की सुरक्षा को होने वाले खतरों के मद्देनज़र भारत के लिए अमरीका का यह सहयोग काफी लाभ पहुंचाएगा, ऐसा अमरिकी नेता और कुटनीतिक कह रहे हैं। लेकिन, चीन से अपनी रक्षा करने की क्षमता और साहस भारत रखता हैं, भारत अपनी ताकत पर चीन से टकरा सकता है, ऐसा विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने गुरुवार को ही स्पष्ट किया था। चीन की आक्रामक गतिविधियां और प्रचार युद्ध से ड़रनेवाला देश भारत नहीं हैं, इस मुद्दे पर भी जयशंकर ने ध्यान आकर्षित किया था। इस वजह से दूसरे देशों के सैन्य गुट का हिस्सा होने में भारत को रुचि नहीं हैं। लेकिन, रक्षा और स्थिरता स्थापित करने के लिए बराबरी के सहयोगी देश के तौर पर भारत रक्षा संबंधित रचना का हिस्सा बन सकता है, यह संदेश भारत को दिया है।

इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की स्थिरता, रक्षा और समृद्धि के लिए योगदान दे रही ‘क्वाड’ जैसी संगठन में भारत बराबरी के सदस्य देश के तौर पर अमरीका की सहायता यकीनन करेगा। लेकिन, नाटो प्लस में शामिल होकर अमरीका का कनिष्ठ सहयोगी होने के लिए हम तैयार नहीं हैं, यही बात भारत अलग शब्दों में अमरीका से कह रहा हैं। प्रधानमंत्री मोदी के अमरीका दौरे से पहले भारत ने यह संदेश देने से इसकी अहमियत अधिक बढ़ती दिख रही हैं।

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