केंद्रीय अर्थमंत्री सीतारामन का अमरीका को इशारा

वॉशिंग्टन – भारत के रशिया के साथ जारी रक्षा सहयोग रोकना ही हमारा ध्ये होने की बात अमरिकी रक्षा मुख्यलय पेंटॅगॉन ने कबुली हैं| पेंटॅगॉन के प्रवक्ता जॉन किरबाय ने यह ऐलान किया| इसके ज़रिये आगे के दिनों में रशिया के साथ भारत के जारी सहयोग पर अमरीका अधिक सख्त निर्णय करेगी, यह संकेत किरबाय ने दिए हैं| साथ ही अमरीका को भारत की अहमियत स्वीकार हैं, यह कहकर भारत के साथ मित्रता करना अमरीका के लिए अहम हैं, यह बयान करके किरबान ने स्थिति को संभाला| लेकिन, सच में अमरीका को भारत की मित्रता चाहिये हैं तो मित्रदेश को कमज़ोर करने की कोशिश अमरीका को छोड़ देनी होगी, ऐसी फटकार भारत की अर्थमंत्री निर्मला सीतारामन ने लगाई हैं|

वैश्‍विक बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष की बैठक के लिए केंद्रीय अर्थमंत्री निर्मला सीतारामन अमरीका के दौरे पर हैं| इससे पहले भारत और अमरीका की टू प्लस टू चर्चा के लिए विदेशमंत्री एस.जयशंकर और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह अमरीका के दौरे पर थे| इस दौरान भारत रशिया से खरीद रहें ईंधन का मुद्दा अमरीका ने उठाया था| इसपर विदेशमंत्री जयशंकर ने करारा प्रत्युत्तर दिया| भारत से कई गुना ज्यादा ईंधन यूरोपिय देश रशिया से खरीद रहे हैं, इस पर ध्यान देने के लिए अमरीका तैयार नहीं हैं| इस दोगले पन पर जयशंकर ने ध्यान आकर्षित किया था| साथ ही भारत ने रशिया से खरीदी हवाई सुरक्षा यंत्रणा के बाद भारत पर प्रतिबंध लगाने हैं या नहीं, यह पुरी तरह से अमरीका ही तय करें, ऐसा जयशंकर ने कहा था|

अमरीका के प्रतिबंधों की भारत परवाह नहीं करेगा, यह इशारा ही भारतीय विदेशमंत्री ने इस माध्यम से दिया था| इसके बाद भी अमरीका ने रशिया के साथ जारी सहयोग पर भारत पर दबाव बनाने की गतिविधियॉं बंद नहीं की हैं| अर्थमंत्री सीतारामन अमरीका में होने के दौरान भी पेंटॅगॉन के प्रवक्ता ने अमरीका रशिया के साथ भारत का सहयोग बर्दाश्त नहीं करेगी, यह संदेश दिया हैं| इसके लिए अमरीका अधिक से अधिक सख्त नीति अपनाएगी, ऐसी धमकी ही पेंटॅगॉन के प्रवक्ता ने देने की बात इस बयान से सामने आ रही हैं| लेकिन, अर्थमंत्री सीतारामन ने इसपर अमरीका को दो टूक लगाई हैं|

देश के उत्तरी और पश्‍चिमी को का पड़ोस यानी चीन एवं पाकिस्तान जैसें पड़ोसी देशों से भारत को होनेवाली चुनौतियों का अहसास अर्थमंत्री सीतारामन ने कराया| कोरोना की महामारी के दौरान भी भारत की उत्तरी सीमा पर तनाव निर्माण हुआ था| पश्‍चिमी ओर की सीमा की स्थिति भी चुनौती से भरी हैं| इसके साथ ही अफ़गानिस्तान की आतंकवादविरोधी कार्रवाई के लिए प्राप्त हुए हथियार भारत के खिलाफ इस्तेमाल हो रहे हैं| ऐसी स्थिति में भारत के सामने अन्य विकल्प नहीं हो सकता, ऐसा कहकर रशिया के साथ जारी भारत के रक्षा सहयोग का सीतारामन ने जोरदार समर्थन किया|

यदि अमरीका को भारत से मित्रता की उम्मी हैं, तो फिर मित्रदेश को कमजोर करने की कोशिश अमरीका ने छोड़ देनी होगी, ऐसें सटिक शब्दों में अर्थमंत्री सीतारामन ने अमरीका को जवाब दिया| पाकिस्तान और चीन संबंधित बायडेन प्रशासन की नीति भारत का विश्‍वासघात करती हैं| इस वजह से भारत रशिया जैसें अपने परंपरागत मित्रदेश से सहयोग करने से इन्कार करके पूरी तरह से अमरीका पर निर्भर नहीं रह सकता, इसका अहसास सीतारामन ने स्पष्ट शब्दों में कराया| साथ ही मौजूदा बायडेन के नेतृत्व की अमरीका भारत को कमज़ोर करने की कोशिश कर रही हैं, यह भी अर्थमंत्री ने राजनीतिक भाषा में रखा हुआ दिख रहा हैं|

ऐसी हरकतें करके अमरीका को भारत से मित्रता और सहयोग की उम्मीद रखना संभव नहीं होगा, यह संदेश भी सीतारामन के बयान से दिया गया हैं|

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