भारत-अमरीका की रक्षा भागीदारी मज़बूत करने पर सहमति

वॉशिंग्टन – अमरीका से भारत ‘एमक्यू-९बी रिपर ड्रोन’ खरीद कर रहा हैं। करीबन तीन अरब डॉलर के इस कारोबार के कारण भारत-अमरीका रक्षा सहयोग अधिक व्यापक होगा, ऐसा दावा किया जा रहा हैं। दोनों देशों के हथियार और रक्षा सामान के खरीद की प्रक्रिया गतिमान करने के लिए अमरिकी संसद में विधेयक पेश किया गया है। इससे रक्षा सामान एवं हथियारों के खरीद के कारोबरार में हो रही देरी काफी कम होगी और दोनों देशों के रक्षा संबंधित हितसंबंध अधिक मज़बूत होंगे, यह दावा अमरिकी सांसदों ने किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्राध्यक्ष बायडेन की चर्चा के दौरान अमरिकी रक्षा बलों के कमांड में भारत के तीन अधिकारी नियुक्त करने पर सहमति होने की बात कही जा रही है। इससे दोनों देशों का रक्षा सहयोग को मज़बूती प्राप्त होगी और गोपनीय जानकारी का आदान-प्रदान अधिक बढ़ेगा, यह दावा व्हाईट हाऊस ने किया है।

भारत के अधिकारी पहली बार अमरिकी कमांड में तैनात रहेंगे। इससे दोनों देशों का रक्षा सहयोग प्रचंड़ मात्रा में बढ़ेगा, यह विश्वास व्हाईट हाऊस ने व्यक्त किया है। इसके साथ ही दोनों देशों के बीच हथियार, रक्षा सामान और उससे संबंधित सामान की आपूर्ति करने के लिए सहयोग स्थापीत होगा। इससे जुड़ी सप्लाइ चेन में यकायक संकट उभरता है तो ऐसे में दोनों देश एक-दूसरे को आवश्यक सामान की आपूर्ति बड़ी आसानी से कर सकेंगे, इस तरह की यंत्रणा विकसित की जा रही है। इसके लिए दोनों देशों की चर्चा शुरू है, यह जानकारी व्हाईट हाऊस ने साझा की।

भारत ‘एमक्यू-९बी ड्रोन’ अमरीका से खरीद रहा हैं और इसके लिए किया गया करीबन ३ अरब डॉलर का समझौता दोनों देशों के रक्षा सहयोग को अधिक मज़बूती देगा। इसके साथ ही भारत को अमरीका एवं अमरीका के अन्य भागीदार देशों के लिए ‘लॉजिस्टिक हब’ के तौर पर विकसित करने की तैयारी अमरीका ने की है। अमरीका और मित्र देशों के युद्धपोत और विमानों की दुरूस्ती एवं मरम्मत की क्षमता भारत को प्राप्त हो, इस दिशा में अमरीका कोशिश कर रही है, ऐसा अमरिकी रक्षा मुख्यालय पेंटॅगॉन ने कहा है।

आगे के समय में दोनों देशों का यह सहयोग अधिक ही व्यापक होता जाएगा। स्वतंत्र एवं मुक्त इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए भारत और अमरीका का यह सहयोग आवश्यक होने का दावा पेंटॅगॉन के प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल पैट रायडर ने किया।

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