चीन की भड़कानेवाली हरकतों की वजह से ही भारत ने ‘एससीओ’ में सख्त रवैया अपनाया – भारतीय माध्यम और विश्लेषकों के संकेत

नई दिल्ली – ‘शांघाय को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन’ (एससीओ) की बैठक के दौरान भारत ने ‘एलएसी’ के तनाव का मुद्दा उठाकर चीन विरोधी आक्रामक भूमिका अपनाई, ऐसी आलोचना चीन के सरकारी मुखपत्र ने की थी। खास तौर पर चीन के रक्षा मंत्री ली शांगफू के साथ द्विपक्षीय वार्ता करते समय भारत के रक्षा मंत्री ने उनसे सख्त बातचीत की, ऐसा ग्लोबल टाईम्स ने कहा था। लेकिन, भारत के इस आक्रामक रवैये के लिए चीन की हरकते ही ज़िम्मेदार होने की बात सामने आ रही है। भारत को अलग रखकर चीन सीधे भूटान से चर्चा करने की तैयारी में है। साथ ही भारतीय सेना ने अमरिकी सेना के साथ चीन की सीमा के करीब युद्धाभ्यास करने के बाद चीन ने भारत विरोधी गतिविधियां अधिक तीव्र करने की तैयारी जुटाई है। इसका अहसास होने के कारण ही भारत ने एससीओ बैठक के दौरान चीन के विरोध में आक्रामक रुख अपनाने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं। 

‘एससीओ’रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीनी रक्षा मंत्री से बातचीत करने के बाद निवेदन जारी किया गया था। ‘एलएसी’ पर शांति और सद्भाव स्थापित हुए बिना दोनों देशों के बीच जारी तनाव खत्म नहीं होगा, ऐसा बयान करके भारतीय रक्षा मंत्री ने चीन को आगाह करने की बात इस निवेदन में दर्ज़ की गई थी। इसमें किया गया बयान काफी सख्त और आक्रामक होने की आलोचना चीन के विश्लेषकों ने किया था। इसके बाद लैटिन अमरिकी देशों का दौरा करने पहुंचे भारत के विदेश मंत्री ने भी भारत-चीन संबंध तनाव से भरे होने का बयान किया था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और इसके बाद विदेश मंत्री एस.जयशंकर के इन बयानों की वजह से चीन पर भारत राजनीतिक दबाव अधिक बढ़ाता दिख रहा हैं। 

भारत ने अपनाए इस सख्त रुख की पृष्ठभूमि हैं। भारत और अमरीका की सेना ने हाल ही में युद्धाभ्यास किया था। पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्र के युद्ध में भारतीय सेना सबसे बेहतर होने की बात कही जाती है। गलवान संघर्ष के बाद स्वयं चीन के सैन्य विश्लेषकों ने भी इसका स्वीकार किया था। ऐसी स्थिति अमरिकी सेना भारत के साथ पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्र के युद्धनीति का अध्ययन करके इसका अनुभव प्राप्त कर रही हैं, यह चीन के लिए बड़ी घातक होने का बयान चीन के रक्षा मंत्री ली शांगफू ने कहा था। इसके अलावा चीन इसके विरोध में कदम उठाए बिना नहीं रहेगा, ऐसे दावे भी चीन ने किए थे।

अमरीका के साथ किए युद्धाभ्यास पर चीन ने जताई आपत्ति के जवाब में भारत ने यह खुलासा किया था कि, वर्णित युद्धाभ्यास नियमों के दायरे में किया था। इससे पहले पाकिस्तान जैसे भारत का द्वेष कर रहे देश के साथ चीन ने भारत की सुरक्षा को चुनौती देने वाले कई युद्धाभ्यास किए थे। इसपर गौर करके भारत ने अमरिकी सेना के साथ किए युद्धाभ्यास पर आपत्ति जताने का अधिकार चीन नहीं रखता। फिर भी इससे बेचैन हुए चीन ने इस युद्धाभ्यास के बाद भूटान से जुड़ी भारत की सीमा पर गतिविधियां शुरू करके सीधे भूटान से संपर्क बनाने की कोशिश की थी। इसके साथ ही अरुणाचल प्रदेश के ठिकानों के नाम बदलकर चीन ने भारत को उकसाया था। ‘एससीओ’ बैठक के दौरान भारत इसपर प्रतिकिया दर्ज़ करता दिखाई दे रहा हैं। चीन ने ऐसी हरकतें जारी रखी तो भारत की भूमिका अधिक सख्त हो सकती हैं, इसका अहसास भी इसके ज़रिये चीन को कराया जा रहा हैं। 

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