चीन के साथ व्यापारी सहयोग करने पर भारत सावधानी से फ़ैसला करेगा – विदेश सचिव श्रिंगला के संकेत

नई दिल्ली – लद्दाख की एलएसी पर तनाव कम करने के लिए भारत और चीन के लष्करी अधिकारियों के बीच चर्चा का १४वाँ सत्र जल्द ही शुरू होगा। उससे पहले चीन भारत के पास, व्यापारी संबंध पहले जैसे करने की माँग कर रहा है। भारत हालांकि इस पर विचार कर रहा है, फिर भी यह बात भारत पर बूमरैंग नहीं होगी, इसकी तसल्ली भारत को कर लेनी पड़ेगी। सरकार उस पर सभी पहलुओं से विचार कर रही है, ऐसी जानकारी विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रिंगला ने दी।

व्यापारी सहयोगसप्लाई चेन, निवेश विषयक सहयोग तथा तंत्रज्ञान तीन मोरचों पर भारत चीन के साथ सहयोग करने पर विचार कर रहा है, ऐसे संकेत विदेश सचिव ने दिए। लेकिन इससे पहले भारत ने, एलएसी पर तनाव निर्माण हुआ होने के बावजूद भी चीन के साथ व्यापारिक सहयोग कायम रखा था और उसके दुष्परिणाम भारत को ही भुगतने पड़े थे, इसकी विदेश सचिव ने अलग शब्दों में याद करा दी। अबकी बार वैसा नहीं होगा, इसके एहतियात भारत को बरतने होंगे, ऐसे संकेत विदेश सचिव ने दिए हैं।

लद्दाख की एलएसी पर चीन ने किये कारनामे दोनों देशों के संबंधों के लिए उपकारी नहीं थे। इस कारण चीन के साथ संबंध पहले जैसे बनाना भारत के लिए आसान नहीं रहा है, ऐसे स्पष्ट शब्दों में हर्षवर्धन श्रिंगला ने, चीन ही इस परिस्थिति के लिए ज़िम्मेदार होने की बात कही है। इस कारण चीन के साथ व्यापार के संदर्भ में फ़ैसला करते समय, भारत को अपने व्यापक सामरिक तथा सुरक्षा विषयक हितसंबंधों का विचार करना अनिवार्य है, ऐसा विदेश सचिव ने आगे कहा। इस बारे में फैसला करते समय भारत को अपना आर्थिक विकास तथा अन्य देशों के साथ साझेदारी भी विकसित करने के संदर्भ में गहराई से सोचना पड़ेगा, ऐसा विदेश सचिव ने आगे कहा।

इसी बीच, भारत और चीन के बीच लद्दाख की एलएसी पर तनाव कम करने के लिए चर्चा का १४वाँ सत्र शुरू होने से पहले भारत चीन को वास्तविकता का अहसास करा दे रहा है। सीमा पर तनाव क़ायम रखकर चीन भारत से व्यापारी सहयोग की उम्मीद नहीं रख सकता, यह भारत के नेता और राजनीतिक अधिकारी चीन को लगातार जता रहे हैं। लद्दाख की एलएसी पर चीन ने किए कारनामों के कारण, पिछले कुछ दशकों में चीन ने भारत का विश्वास गँवाया है, ऐसी आलोचना विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने की थी।

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