‘एससीओ’ बैठक के दौरान भारत ने चीन के विरोध में अपनाई आक्रामक भूमिका – चीन के सरकारी माध्यमों की शिकायत

नई दिल्ली – ‘एससीओ’ बैठक से पहले आयोजित द्विपक्षीय चर्चा के दौरान भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन के रक्षा मंत्री ली शांगफू को ‘एलएसी’ को लेकर सख्त शब्दों में संदेश दिया। भारत के रक्षा मंत्री ने इस विषय में किए बयान बड़े सख्त और भड़काऊ होने की शिकायत चीन के सरकारी माध्यमों ने किया है। जबकी, चीन के रक्षा मंत्री ने चीन के रक्षा मंत्री ने ‘एलएसी’ की स्थिति स्थिर हैं ऐसा कहकर द्विपक्षीय सहयोग के दायरे में रहकर इसका उचित हल निकाला जाएगा, ऐसी समझदारी की भूमिका अपनाई होने का दावा चीनी माध्यमों ने किया है। इस वजह से एलएसी को लेकर भारत आक्रामक भूमिका अपना रहा हैं, यह आरोप लगाकर चीन इस विवाद का ठिकरा भारत पर फोड़ने की तैयारी जुटाता दिख रहा है। 

‘एससीओ’शुक्रवार को ‘शांघाय को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन’ (एससीओ) की बैठक का आयोजन हुआ। इसमें रशिया, चीन, उझबेकिस्तान, कझाकस्तान, ताजिकिस्तान, किरगिझिस्तान एवं ईरान के रक्षा मंत्री शामिल हुए थे। इसके अलावा ‘एससीओ’ के सदस्य पाकिस्तान के रक्षा मंत्री इस बैठक में प्रत्यक्ष मौजूद रहने के बजाय वर्चुअली उपस्थित रहें। इस दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रशिया, कझाकस्तान एवं ईरान के रक्षा मंत्री से द्विपक्षीय चर्चा की। गौरतलब है कि, इस बैठक के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ मंत्री ली शांगफू से हाथ मिलाने से भी दूर रहे, ऐसी चर्चा माध्यमों में शुरू हुई है। इसके ज़रिये रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारत की नाराज़गी चीनी रक्षा मंत्री के सामने पेश की, यह दावे किए जा रहे हैं।

साथ ही गुरुवार को हुई चर्चा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रक्षा मंत्री ली शांगफू को द्विपक्षीय सहयोग के लिए ‘एलएसी’ पर शांति और सद्भाव ज़रूरी होने की चेतावनी दी थी। रक्षा मंत्रालय ने जारी किए निवेदन में यह बात पुख्ता तौर पर पेश की गई थी। यही संदेश देने के लिए भारत ने सख्त शब्दों का प्रयोग किया और यह भड़राऊ रवैया होने की आलोचना चीन के सरकारी मुखपत्र ग्लोबल टाईम्स ने की है। इसके अलावा भारत आक्रामक भूमिका अपना रहा था तभी चीन के रक्षा मंत्री ने फिर भी एलएसी पर स्थित स्थिर होने का बयान करके यह विवाद द्विपक्षीय दायरे में खत्म करने की समझदार भूमिका अपनाई, यह दावा भी चीनी माध्यम कर रहे हैं।

भारत ने चीन के विरोध में ऐसी आक्रामकता अपनाना उचित नहीं होगा, यह चीनी विश्लेषकों का कहना हैं।

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