राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल ईरान दौरे पर

तेहरान – राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल ने सोमवार को ईरान का दौरा किया। इस दौरे में डोवल ने ईरान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के साथ आर्थिक, राजनीतिक और सुरक्षा संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने की जानकारी सामने आ रही हैं। अमरीका और पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों की परवाह किए बिना भारत रशिया की तरह ईरान से भी ईंधन खरीद शुरू करें, ऐसा आवाहन ईरान बार बार कर रहा हैं। साथ ही ईरान में भारत ने विकसित किया छाबर बंदरगाह प्रकल्प आगे बढ़ाने के साथ इसके ज़रिये मध्य एशियाई देशों के साथ कनेक्टिविटी बढ़ाने की लगातार कोशिश हो रही हैं। इसी बीच, सौदी अरब और ईरान की सुलह होने के बाद भारत के किसी वरिष्ठ अधिकारी ने पहली बार ईरान का दौरा किया हैं और इस वजह से इसकी अहमियत बढ़ी है। 

अजित डोवलराष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल ने सोमवार को ईरान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अली शामखानी से मुलाकात की। इस दौरान दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की मौजूदा भू-राजनीतिक स्थिति से लेकर विभिन्न मुद्दों पर गहरी चर्चा हुई, यह जानकारी ईरान की सरकार की अधिकृत वृत्तसंस्था ने साझा की है। विभिन्न अंतरराष्ट्रीय एवं अहम क्षेत्रीय गतिविधियां और आर्थिक, राजनीतिक, सुरक्षा के मुद्दे पर डोवल ने शामखानी से बातचीत की। इसके बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार डोवल ने ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमिर अब्दोल्लाहियान से मुलाकात करके बातचीत की, ऐसा ईरानी वृत्तसंस्था ने कहा है।

पिछले कुछ हफ्तों की गतिविधियों की पृष्ठभूमि पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल के दौरे की अहमियत अधिक बढ़ी हैं। एक महीने पहले चीन ने सौदी अरब और ईरान की सुलह करवायी थी। इन दोनों देशों के साथ भारत के मित्रता के संबंध हैं। सौदी और ईरान से भारत ईंधन खरीद रहा हैं। साथ ही दोनों देशों के साथ व्यापार बढ़ाने की कोशिश में भारत लगा हैं। सौदी अरब और ईरान की सुलह करने में कामयाब हुए चीन का ईरान पर प्रभाव बढ़ेगा, ऐसे दावे किए जा रहे थे। लेकिन, ईरान ने इससे पहले ही यह स्पष्ट किया था कि, भारत हमारे लिए अहम हैं और इन गतिविधियों का भारत के ताल्लुकात पर असर नहीं होगा। ईरान और सौदी अरब की सुलह होने के बाद पहली बार भारत के किसी वरिष्ठ अधिकारी ने ईरान का दौरा किया है।

छाबर बंदरगाह इन दोनों देशों के द्विपक्षीय सहयोग का प्रमुख मुद्दा हैं। यह बंदरगाह भारत और ईान दोनों के लिए रणनीतिक नज़रिये से काफी अहम हैं। भारत ने ईरान के लिए विकसित किए इस बंदरगार की वजह से चीन ने पाकिस्तान में निर्माण किए ग्वादर बंदरगाह की अहमियत खत्म होने का दावा किया जा रहा हैं। इस बीच ऐसी भी खबर सामने आयी थी कि, छाबर बंदरगाह का इस्तेमाल चीन भी कर रहा हैं। इस बंदरगार के कारण पाकिस्तान को बाजू में रखकर अफ़गानिस्तान और मध्य एशियाई देशों तक पहुंचने का नया मार्ग तैयार हुआ है।

दो हफ्ते पहले ही भारत और मध्य एशियाई देशों की छाबर बंदरगाह का इस्तेमाल करने के मुद्दे पर एक बैठक हुई थी। इस बंदरगाह के माध्यम से संपर्क और व्यापार बढ़ाने का निर्णय हुआ था। ईरान के राजदूत इराज इलाही ने पिछले महीने में ही यह कहा था कि, छाबर बंदरगाह प्रकल्प का कार्यान्वयन पुरी तरह से शुरू होने पर भारत और ईरान को काफी बड़ा लाभ प्राप्त होगा। यह बंदरगाह ‘ट्रान्सिस्ट हब’ बनेगा और आगे जाकर इस प्रकल्प की ओर आर्थिक नज़रिये से देखना होगा, यह भी इलाही ने कहा था।

भारत फिलहाल शांघाय को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) का अध्यक्ष पद संभाल रहा हैं। अगले हफ्ते गोवा में ‘एससीओ’ के विदेश मंत्रियों की बैठक का आयोजन हो रहा है। इस बैठक में ईरान को ‘एससीओ’ की सदस्यता प्रदान होगी। ऐसी पृष्ठभूमि पर डोवल के इस दौरे की अहमियत अधिक बढ़ी है।
इसी बीच, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार डोवल ईरान के दौरे पर थे तभी भारत के विदेश राज्यमंत्री व्ही.मुरलीधरन पांच दिन के लिए सौदी दौरे पर पहुंचे हैं। इस दौरे में दोनों देशों की रणनीतिक भागीदारी बढ़ाने पर चर्चा होगी, ऐसा कहा जा रहा है। फिलहाल सूड़ान में हो रहे संघर्ष के दौरान भारतीय नागरिकों को वहां से सुरक्षित बाहर निकालने के लिए सौदी अरब भारत की सहायता कर रहा हैं। इस के लिए भी सौदी का शुक्रिया अदा किया जाएगा। 

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