संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में आतंकियों का बचाव कर रहे चीन पर भारत की आलोचना

संयुक्त राष्ट्रसंघ – मुंबई पर २६/११ का आतंकी हमला करने की साज़िश करनेवाले प्रमुख सूत्रधारों में से एक अब्दुल रेहमान मक्की पर संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद के प्रतिबंध लगाने के लिए भारत और अमरीका ने संयुक्त प्रस्ताव पेश किया था। लेकिन, जून में सुरक्षा परिषद के सामने आया यह प्रस्ताव चीन ने रोक दिया। इसका दाखिला देकर संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत की राजदूत रुचिरा कंबोज ने चीन समेत पाकिस्तान की भी आलोचना की। आतंकवाद पर इस तरह से दोगली नीति सुरक्षा परिषद की विश्वसनीयता को खतरे में डालती है, ऐसी तीखी आलोचना रुचिरा कंबोज ने की।

सुरक्षा परिषदगुनाहगारों का आतंकी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल कर रहे ‘सिंडिकेट’ का अनुभव भारत ने पहले ही किया है, ऐसा कंबोज ने कहा। कुख्यात तस्कर दाऊद इब्राहिम का इस्तेमाल करके पाकिस्तान ने भारत में आतंकी हमले कराए थे। इसके बाद के समय में पाकिस्तान दाऊद इब्राहिम को अपने देश में सुरक्षा प्रदान कर रहा है, इसका अहसास कंबोज ने सिंडिकेट का ज़िक्र करके कराया। सुरक्षा परिषद की ‘थ्रेटस्‌‍ टू इंटरनैशनल पीस ऐण्ड सिक्युरिटी कॉज़्ड बाय टेररिस्ट ऐक्ट्स’ के विषय पर चर्चा में राजदूत रुचिरा कंबोज बोल रही थीं। चीन ही इस चर्चा के अध्यक्षस्थान पर होने से कंबोज ने पाकिस्तान के साथ चीन की आलोचना करने की अहमियत बढ़ रही है।

खौफनाक आतंकियों के खिलाफ पुख्ता सबूत के आधार पर कार्रवाई करने का प्रस्ताव रोका जाता है, यह काफी दुर्भाग्यशाली बात है। इस वजह से आतंकवाद को लेकर दोगली नीति और इस पर हो रही राजनीति के कारण सुरक्षा परिषद की विश्वासनीयता काफी कम हुई है, ऐसी आलोचना कंबोज ने की। अगले दिनों में आतंकवाद के खिलाफ सभी देश एकजुट होंगे और एकमुखता से आतंकियों पर कार्रवाई करने का निर्णय करेंगे, यह उम्मीद रुचिरा कंबोज ने इस दौरान व्यक्त की। साथ ही आतंकियों पर कार्रवाई की प्रक्रिया अधिक पारदर्शी, उत्तरदाई और निष्पक्ष होनी चाहिए, यह माँग कंबोज ने रखी।

चीन ने पहले भी भारत में आतंकी हमले करनेवाले पाकिस्तानी आतंकियों का सुरक्षा परिषद की कार्रवाई से बचाव किया था। साल २०१७ में ‘जैश-ए-मोहम्मद’ के प्रमुख मौलाना मसूद अज़हर पर सुरक्षा परिषद की कार्रवाई का प्रस्ताव चीन ने नकाराधिकार का इस्तेमाल करके रोका था। इसके लिए चीन ने तकनीकी वजह बतायी थी।

मुंबई पर किए गए आतंकी हमलों के प्रमुख सूत्रधारों में से एक अब्दुल रेहमान मक्की पर कार्रवाई करने का प्रस्ताव रोककर चीन ने फिर से अपना भारत द्वेष सार्वजनिक किया हुआ दिख रहा है। इसका दाखिला देकर भारत की राजदूत द्वारा आलोचना चीन के लिए इशारा है।

पिछले कुछ महीनों से चीन की भारत विरोधी हरकतों पर मुँहतोड़ जवाब देने की आक्रामक नीति भारत ने अपनाई है। भारत के साथ सहयोग करने से इन्कार करने के परिणाम आगे चीन को भुगतने पडेंगे, इसका अहसास भारत लगातार करा रहा है। सुरक्षा परिषद में रुचिरा कंबोज ने की हुई आलोचना भी इसी का हिस्सा दिखता है।

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