डिजिटल मुद्रा के इस्तेमाल को लेकर संयुक्त राष्ट्रसंघ की रपट में चिंता – सबसे अधिक डिजिटल मुद्रा रखनेवालों की सुचि में भारतीय सातवें स्थान पर

संयुक्त राष्ट्रसंघ – डिजिटल करन्सी का इस्तेमाल कर रहे देशों में भारत सातवें स्थान पर है। भारत की जनसंख्या में से सात प्रतिशत जनता क्रिप्टोकरन्सी का इस्तेमाल कर रही है, ऐसी जानकारी साझा कर रही रपट संयुक्त राष्ट्रसंघ ने जारी की। साथ ही क्रिप्टो करन्सी का इस तरह से इस्तेमाल बढ़ता रहा तो वैध कारोबार में क्रिप्टो करन्सी को स्थान मिलेगा। इससे देशों की आर्थिक संप्रभुता को खतरा निर्माण होगा, ऐसी चेतावनी इस रपट में दी गई है।

डिजिटल मुद्राभारत काफी पहले से क्रिप्टो करन्सी के खिलाफ विश्व को सावधान करता आ रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ महीने पहले ऑस्ट्रेलिया में आयोजित परिषद को वर्चुअली संबोधित करते हुए क्रिप्टोकरन्सी से विश्व के जनतांत्रिक देशों को खतरा होने की बात पर ध्यान आकर्षित किया था। भारत की रिज़र्व बैंक ने भी क्रिप्टो करन्सी के कारोबार में सुरक्षा ना होने का बयान करके बड़ी आय की उम्मीद से इसमें निवेश ना करने की सूचना भी की थी। संयुक्त राष्ट्रसंघ की ‘युनाइटेड नेशन्स कॉन्फरन्स ऑन ट्रेड ऐण्ड डेवलपमेंट’ (यूएनसीटीएडी)’ द्वारा जारी की गई ‘ऑल दैट ग्लिटर्स इज नॉट गोल्ड : द हाय कॉस्ट ऑफ लीविंग क्रिप्टोकरन्सीज्‌‍ अनरेग्युलेटेड’ नामक रपट में भी इसी तरह की चिंता जताई गई है।

इस रपट में साल २०२१ में डिजिटल करन्सी सबसे अधिक मात्रा में रखनेवाले देशों की सूचि प्रसिद्ध की गई है। इसमें यूक्रेन सबसे आगे है और यूक्रेन की १२.७ प्रतिशत जनता डिजिटल करन्सी रखती है। इसके बाद रशिया ११.९, वेनेजुएला १०.३, सिंगापुर ९.४, केनिया ८.५ और अमरीका के ८.३ प्रतिशत नागरिकों के अलावा भारतर इस सूचि में सातवें स्थान पर है। सन २०२१ में भारत की ७.३ प्रतिशत जनता डिजिटल करन्सी रखती थी, ऐसा इस रपट में कहा गया है।

डिजिटल मुद्राकोरोना की महामारी चोटी पर होने की स्थिति में डिजिटल करन्सी का इस्तेमाल प्रचंड मात्रा में बढ़ा था। एक देश से दूसरे देश पैसे भेजने के लिए क्रिप्टोकरन्सी का बडे पैमाने पर इस्तेमाल हुआ। इस वजह से क्रिप्टो में निवेश करनेवालों को बड़ा लाभ हुआ और इसके अलावा पैसों की आपूर्ति के सुलभ माध्यम के तौर पर भी इसे देखा गया। लेकिन, इस तरह से क्रिप्टो करन्सी का इस्तेमाल बढ़ता रहा तो अगले समय में चलनों के कारोबार में वैध विकल्प के तौर पर क्रिप्टो से कारोबार किए जाएँगे। इससे देशों की आर्थिक संप्रभुता को खतरा निर्माण होकर रहेगा, ऐसी चेतावनी इस रपट में दी गई।

इसी बीच इस रपट में जताई गई चिंता भारत ने पहले ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कही थी। किसी का नियंत्रण ना होनेवाली क्रिप्टो करन्सी या अन्य डिजिटल करन्सी की वजह से अवैध कामों के लिए निधि प्रदान करना आसान होता है। आतंकवाद और नशीले पदार्थों के कारोबार के लिए इसका उपयोग हो सकता है। इससे जनतांत्रिक देशों की युवा पीढ़ी बरबाद हो सकती है, ऐसी चेतावनी भारत ने बार-बार दी थी।

इसके अलावा किसी एक देश ने कार्रवाई करके या प्रतिबंध लगाकार इन चलनों के अवैध कारोबार को रोकना मुमकिन नहीं होगा। इसके लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एकजुट होने की जरुरत है, यह इशारा भी भारत ने दिया था। ‘यूएनसीटीएडी’ की रपट भी यही बात कह रही है।

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