भारत पड़ोसी देशों को प्रदान करेगा १४.२७ अरब डॉलर्स की ऋणसहायता

नई दिल्ली – श्रीलंका, बांगलादेश, नेपाल, म्यांमार और मालदीव के तकरीबन १६२ परियोजनाओं के लिए भारत ने १४.२७ अरब डॉलर्स ऋणसहायता का ऐलान किया है। इसके अलावा १४.०७ अरब डॉलर्स की अतिरिक्त ऋणसहायता भारत ने अफ्रीका के ४२ देशों की परियोजनाओं के लिए घोषित की हैं। शुक्रवार को लोकसभा में पूछे गए सवाल पर जवाब देते हुए विदेश व्यापार राज्यमंत्री वी.मुरलीधरन ने यह जानकारी साझा की।

ऋणसहायता

भारत के पड़ोसी देशों के साथ अन्य एशियाई और अफ्रीकी महाद्वीप के देश फिलहाल अनाज की भीषण किल्लत का सामना कर रहे हैं। अब तक इन देशों को चीन ने भारी मात्रा में कर्ज़ देकर अपने फंदे मे फंसाया था। लेकिन, पिछले कुछ सालों से चीन के कर्ज़े के फंदे के विरोध में वैश्‍विक स्तर पर चेतना निर्माण हुई है। श्रीलंका में फिलहाल उभरे भीषण आर्थिक संकट और अन्न तथा र्इंधन की किल्लत के लिए भी चीन ज़िम्मेदार है, यह आरोप लगाए जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में भारत ने श्रीलंका के साथ अपने अन्य पड़ोसी देश और अफ्रीकी देशों के लिए भी बड़ी मात्रा में ऋण सहायता उपलब्ध करायी है।

लोकसभा में अन्य पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने भारत की भूमिका रखी। अपनी ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति के तहत भारत पड़ोसी देशों के साथ सौहार्द्रता के सहयोग स्थापित करने के लिए सबसे अधिक प्राथमिकता दे रहा है। इसके तहत भारत श्रीलंका के आर्थिक विकास के लिए बड़ा सहयोग कर रहा है, ऐसा जयशंकर ने कहा। जनवरी से अब तक भारत ने श्रीलंका को करन्सी स्वैप समझौते के तहत ४० करोड़ डॉलर्स सहायता के रूप में दिए हैं, इस पर भी जयशंकर ने ध्यान आकर्षित किया। इसके साथ ही श्रीलंका र्इंधन खरीद सके इसके लिए भारत ने ५० करोड़ डॉलर्स की निधि इस देश को दी है, इसकी याद भी जयशंकर ने दिलाई।

अनाज, दवाईयाँ और रोज़मर्रा के जीवन के लिए अन्य ज़रूरी सामान के लिए अतिरिक्त १ अरब डॉलर्स की सहायता भी श्रीलंका को प्रदान की गई है, ऐसा जयशंकर ने कहा। श्रीलंका की स्थिति पर चिंता जता रहे देशों ने र्इंधन के लिए अब तक हमारे देश की सहायता नहीं की, यह अफ़सोस श्रीलंका के र्इंधन मंत्री ने कुछ दिन पहले जताया था। र्इंधन के लिए श्रीलंका की सहायता करनेवाला भारत एकमात्र देश है, ऐसा श्रीलंकन र्इंधन मंत्री ने कहा था।

आर्थिक और राजनीतिक संकट के इस दौर में श्रीलंका को पीठ दिखानेवाले चीन की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना हो रही है। चीन से ज्यादा ब्याजदर से पाए गए कर्ज़ और अव्यवहार्य परियोजनाओं के लिए इस्तेमाल किए गए कर्ज़ ही श्रीलंका की मूल समस्या है, ऐसे दावे पूरे विश्‍व के आर्थिक विशेषज्ञ कर रहे हैं। श्रीलंका की स्थिति को देखकर चीन से कर्ज़ उठानेवाले देशों में हलचल निर्माण हुई है। चीन के करीबी मित्रदेश पाकिस्तान के विश्‍लेषक भी अपने देश की स्थिति श्रीलंका जैसी होगी, यह ड़र जता रहे हैं। इसी बीच पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष के सामने जीतनी रकम के लिए हाथ फैला रहा है, उतनी राशि भारत ने श्रीलंका को सहायता के तौर पर प्रदान की है, इस ओर पाकिस्तान के कुछ ज़िम्मेदार विश्‍लेषक और पत्रकार ध्यान आकर्षित कर रहे हैं।

दक्षिण एशियाई और अफ्रीकी देशों को भारत से प्राप्त हो रही सहायता किसी एक देश के लिए नहीं बल्कि दोनों पक्षों को लाभदायी होने का दावा विदेश व्यवहार राज्यमंत्री मुरलीधरन ने किया। भारत गरीब देशों को अपने फंदे में फंसाने के लिए कर्ज़े का इस्तेमाल नहीं करता, बल्कि इन देशों के विकास में भारत को रूचि है, यह बात अब पूरे विश्‍व को ज्ञात हो चुकी है। इस वजह से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की प्रतिमा अधिक उजागर होती हुई दिख रही है।

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