भारत और फ्रान्स के बीच ब्ल्यू इकॉनॉमी और सागरी व्यवस्थापन का समझौता

पॅरिस – जर्मनी के म्युनिक में संपन्न हुई सुरक्षा विषयक बैठक के बाद भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर फ्रान्स में दाखिल हुए। उनकी फ्रान्स के विदेश मंत्री जीन येस ले-द्रियान के साथ तथा रक्षा मंत्री फ्लॉरेन्स पर्ली के साथ चर्चा संपन्न हुई। ब्ल्यू इकॉनॉमी यानी सागर से जुड़ा अर्थ कारण और सागरी व्यवस्थापन विषयक सहयोग समझौते पर विदेश मंत्री जयशंकर और विदेश मंत्री द्रियान ने हस्ताक्षर किए।

ब्ल्यू इकॉनॉमीबहुपक्षीय तथा नियम पर आधारित सागरी व्यवस्था यह भारत और फ्रान्स के सहयोग का प्रमुख मुद्दा होने की बात विदेश मंत्री जयशंकर के इस दौरे में अधोरेखित की गई। हालांकि ठेंठ उल्लेख नहीं किया गया है, फिर भी वर्तमान समय में सागरी सुरक्षा को चीन की वर्चस्ववादी नीतियों से चुनौती मिल रही है। ऐसी परिस्थिति में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत और फ्रान्स का सहयोग बहुत ही महत्वपूर्ण साबित होता है। हालांकि फ्रान्स युरोपीय देश है, फिर भी फ्रान्स के द्वीप इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में है। इन पर फ्रेंच नागरिकों की बस्ती होकर उनकी सुरक्षा को तथा इस क्षेत्र के अपने हितसंबंधों की भी सुरक्षा को फ्रान्स प्राथमिकता दे रहा है। इसी कारण इस क्षेत्र में अहम देश होनेवाले भारत के साथ सहयोग करने के लिए फ्रान्स ने पहल की है।

भारत और फ्रान्स के बीच के इस सामरिक सहयोग को चीन की वर्चस्ववादी हरकतों की पृष्ठभूमि प्राप्त हुई है। उसका हल्का सा उल्लेख करके दोनों देश ब्ल्यू इकॉनॉमी और सागरी व्यवस्थापन विषयक समझौते का महत्व को अधोरेखांकित कर रहे हैं। मंगलवार को फ्रान्स में युरोपीय महासंघ की विशेष बैठक आयोजित की है। युरोपीय महासंघ के सदस्य होनेवाले देशों के वरिष्ठ मंत्री इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के सहयोग के मुद्दे पर इस बैठक में अपने-अपने देश की भूमिका रखेंगे। युरोपीय संघ का अध्यक्ष होनेवाले फ्रान्स ने इस बैठक के लिए पहल की, इसके लिए भारत के विदेश मंत्री ने फ्रान्स का शुक्रिया अदा किया है।

भारत और फ्रान्स का सहयोग यह इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की सुरक्षा के लिए उठाया गया बड़ा कदम साबित होगा, ऐसा विश्वास भारत के विदेश मंत्रालय ने व्यक्त किया है। साथ ही, विदेश मंत्री जयशंकर और विदेश मंत्री द्रियान के बीच हुई चर्चा में युक्रेन, अफगानिस्तान, ईरान का अमरीका के साथ परमाणु समझौता आदि विषयों पर चर्चा संपन्न हुई। युक्रेन के मुद्दे पर अमरीका और रशिया के बीच संघर्ष भड़कने का खतरा उद्भवित हुआ है, ऐसे में फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष इमॅन्युअल मॅक्रॉन ने दोनों देशों के बीच मध्यस्थ की भूमिका अपनाकर यहाँ का तनाव कम करने के लिए कोशिशें की हैं। भारत भी यही स्पष्ट रूप में कह रहा है कि युक्रेन की समस्या केवल राजनीतिक चर्चा के ज़रिए हल हो सकती है। इस मसले पर भी भारत और फ्रान्स की भूमिका एकसमान दिखाई दे रही है।

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