राष्ट्रपति पद के चुनाव में द्रौपदी मुर्मू विजयी

नई दिल्ली – वोटों की गिनती के जारी रहते ही राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू की जीत सुनिश्‍चित हुई थी। इसके बाद मुर्मू पर पूरे देश से अभिवादन की बौछार होने लगी। आदिवासी समूदाय से देश की पहली राष्ट्रपति के तौर पर मुर्मू जल्द ही अपने पद की बागड़ौर स्वीकारेंगी। उनके चयन का पूरे देश से स्वागत हो रहा है। दौपदी मुर्मू आज़ादी के बाद जन्मी देश की पहली राष्ट्रपति होंगी।

द्रौपदी मुर्मू‘राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन’ यानी ‘एनडीए’ ने राष्ट्रपति पद के लिए द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार घोषित किया था। उनके विरोध में पूर्व वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा ‘संयुक्त पुरोगामी गठबंधन’ यानी ‘यूपीए’ के उम्मीदवार थे। लोकसभा, राज्यसभा और देश की सभी विधानसभाओं के विधायक बहुमत से राष्ट्रपति का चयन करते हैं। 18 जुलाई के दिन आयोजित चुनावों में द्रौपदी मुर्मू ने बहुमत प्राप्त किया। वोटों की गीनती जारी थी, और इसी दौरान मुर्मू ने पायी प्रचंड़ बढ़त ने उनकी जीत पहले ही सुनिश्‍चित कर दी थी।

ओड़िशा के संथाळ नामक आदिवासी समूदाय की द्रौपदी मुर्मू की पृष्ठभूमि काफी सामान्य है। कठिन स्थिति में उन्होंने अपनी शिक्षा प्राप्त की। सन 1997 में पार्शद बनकर उन्होंने अपने सियासी जीवन की शुरूआत की थी। सन 2000 से 2004 के दौरान उन्होंने ओड़िशा की सरकार में मंत्री पद का ज़िम्मा संभाला था। सन 2015 में उन्हें झारखंड़ की राज्यपाल के पद पर नियुक्त किया गया। सन 2021 तक वे झारखंड़ की राज्यपाल रहीं।

काफी प्रतिकूल स्थिति का सामना करके देश के सर्वोच्च पद तक मुर्मू का सफर प्रेरणादायी है, ऐसा राजनीतिक विश्‍लेषक कह रहे हैं। उनका राष्ट्रपति पद के लिए चयन देश के लोकतंत्र का सम्मान है, ऐसा कहकर आदिवासी समूदाय को प्राप्त हुए इस प्रतिनिधित्व का राजनीतिक विश्‍लेषक स्वागत कर रहे हैं।

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