भारत के प्रधानमंत्री चीन यात्रा पर

वुहान: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के वुहान शहर में दाखिल हुए हैं और वुहान मे उनका जल्लोषभरा स्वागत होता दिखाई दिया है। चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने राजशिष्टाचार बाजू में रखते हुए प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत किया। इसकी वजह से डोकलाम का विवाद पीछे जाते हुए चीन भारत से नये सहयोग प्रस्थापित करने का चित्र फिलहाल दिखाई दे रहा है। उस समय बोलते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने भारत और चीन में कई शतकों से होनेवाले ऐतिहासिक संबंधों का दाखिला दिया है।

नरेंद्र मोदी, यात्रा, डोकलाम का विवाद, शी जिनपिंग, स्वागत, चीन, व्यापारपिछले २००० वर्षों में १६०० वर्ष भारत और चीन ने दुनिया के आर्थिक गतिविधियों को चालना दी थी। उस समय कुल मिलाकर जागतिक वित्त व्यवस्था के ५० फीसदी हिस्सा भारत एवं चीन के वित्त व्यवस्था से भरा हुआ था। आज भी दोनों देशों की जनसंख्या २.६ अरब होकर अपने जनता का एवं दुनिया का लाभ करने के लिए विराट अवसर दोनों देशों के सामने चले आ रहे हैं, ऐसा प्रधानमंत्री मोदी ने यहा कहां है। तथा चीन के राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग ने उस समय दोनों देशों में सहयोग विकसित होने की बात कहकर भारत एवं चीन का अपने क्षेत्र में एवं दुनिया पर प्रभाव आहिस्ता से बढ़ने का दावा किया है।

प्रधानमंत्री मोदी इनकी चीन भेंट आकस्मिक रुप से आयोजित की गई है। इस भेंट पर हुई सारी जानकारी अबतक उजागर नहीं हुई है। चीन के भारत में राजदूतों ने प्रधानमंत्री मोदी उनके भेंट में मुक्त व्यापार पर चर्चा होगी, ऐसा दावा किया था। तथा भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने प्रधानमंत्री मोदी इनके चीन दौरे में दोनों देशों के दीर्घकालीन संबंधों पर चर्चा अपेक्षित होने की बात कही थी। मुख्य तौर पर डोकलाम के विवाद पर भारत को युद्ध की धमकी देनेवाले चीन का सुर अब पूर्ण रूप से बदला है और चीन और भारत से सहयोग की भाषा बोलने लगा है।

अमरिका के साथ शुरू व्यापारयुद्ध यह प्रमुख कारण है, ऐसा विश्लेषकों का कहना है। २०१७ वर्ष में भारत-चीन में व्यापार २० फीसदी से बढ़कर ८४ अरब डॉलर तक आगे गया है। चीन के व्यापार मंत्रालय ने भी यह आंकड़े घोषित किए थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published.