आसियान एवं ईस्ट आशिया परिषद् के लिए प्रधानमंत्री मोदी फिलिपाईन्स मे दाखिल हुए

मनीला: फिलिपाईन्स में भारत आसियान परिषद के लिए राजधानी मनीला में दाखिल हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प, जापान के प्रधानमंत्री शिंजो ऐबे, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री मैल्कम टर्नबुल, रशिया के प्रधानमंत्री दिमित्री मेदवेदेव और चीन के प्रधानमंत्री ली केकियांग से मुलाकात की है। सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी एवं अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष में द्विपक्षीय चर्चा होने वाली है।

आसियान तथा ईस्ट आशिया समिट में शामिल होने के लिए प्रधानमंत्री मोदी मनीला में दाखिल हुए हैं। इस जगह सभी राष्ट्रप्रमुख के लिए आयोजित किए विशेष मेजवानी के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी इनकी अन्य राष्ट्रप्रमुख से मुलाकात हुई है। यह भेंट औपचारिक स्वरूप की थी। सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी एवं अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प इनके साथ द्विपक्षीय चर्चा होने वाली है। अंतरराष्ट्रीय स्तर के अनेक मुद्दों पर बडी उथलपुथल शुरू होते हुए, फिलिपाईन्स में आयोजित किए इस परिषद पर सारी दुनिया ने ध्यान केंद्रित किया है।

प्रधानमंत्री मोदी, मुलाकात, ईस्ट आशिया परिषद्, भारत, चर्चा, फिलिपाईन्स, व्हिएतनाम, उत्तर कोरियाउत्तर कोरिया के परमाणु परीक्षण की वजह से फैली हुई अस्थिरता, चीन के अति महत्वाकांक्षी आर्थिक एवं सामरिक नीतियों की वजह से निर्माण हुआ असमतोल, इत्यादि की पृष्ठभूमि पर आसियान की भूमिका को बहुत बड़ा महत्व प्राप्त हुआ है। अमरिका एवं जापान आसियान के साथ अपने सहयोग का विस्तार कर रहा है और इन देशों के पीछे अपना सामर्थ्य निर्माण कर रहा है। भारत ने पिछले कई वर्षों से इस क्षेत्र के देशों के साथ सहयोग नियोजनबद्ध रूप से बढ़त हासिल की है। इंडोनेशिया, फिलीपाइन्स, व्हिएतनाम, मलेशिया, थायलैंड, सिंगापुर, म्यानमार, कंबोडिया, लाओस और ब्रुनेई यह देश सदस्य होनेवाले आसियान के सदस्य देश और भारतीय वित्तव्यवस्था का गणित ३.८ ट्रिलियन डॉलर तक गया है।

सन २०१५ में भारत एवं आसियान में व्यापार ६५.०४ अब्ज डॉलर्स पर गया था। यह प्रमाण भारत के जागतिक व्यापार का १० प्रतिशत हिस्सा माना जाता है। पिछले १७ वर्षों में आसियान से भारत में लगभग ७० अब्ज डॉलर के निवेश हुए हैं और भारत ने १७ वर्षों में आसियान में लगभग ४० अब्ज डॉलर्स का निवेश करने की बात कही जा रही है।

चीन जैसे बलशाली देश के वर्चस्व को आवाहन देने के लिए आसियान के सदस्य देश भारत से सहयोग की अपेक्षा कर रहे हैं। भारतने भी इन देशों को सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है और आनेवाले समय में इस क्षेत्र में भारत सभी स्तर पर निवेश बढ़ाएगा ऐसे स्पष्ट संकेत भारत से दिए जा रहे हैं।

भारत के ‘एक्ट ईस्ट’ नीति को अमरिका ने समर्थन दिया था। चीन के बढ़ते सामर्थ्य की वजह से तथा धौसियो की नीतियों की वजह से दहशत में आए हुए आसियान देशों के साथ भारत के सहयोग पर चीन की अस्वस्थता दिखाई दे रही है। विशेष तौर पर व्हिएतनाम जैसे देश के साथ भारत की ईंधन विशेषक सहयोग पर चीनने आक्षेप जताया था। यह सहयोग अंतरराष्ट्रीय नियमों के चौखट में होने की बात कहकर भारत एवं व्हिएतनामने चीन को प्रतिउत्तर दिया था।

सोमवार को होने वाले प्रधानमंत्री मोदी एवं अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष इनकी द्विपक्षीय चर्चा में इस क्षेत्र के सागरी परिवहन की स्वतंत्रता एवं स्थिरता के विषय पर जोर दिया जाएगा, ऐसे संकेत मिल रहे हैं। व्हिएतनाम के अपने दौरे में बोलते हुए राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्पने भारत के नेतृत्व की प्रशंसा की थी। यह बात चीन को अधिक अस्वस्थ करने वाली हो सकती है। भारत के प्रधानमंत्री मोदी देश को एक करने के लिए प्रयत्न कर रहे हैं, ऐसा कहकर ट्रम्पने भारत के जनतंत्रवादी व्यवस्था की प्रशंसा की थी।

आशिया-प्रशांत क्षेत्र के चुनौतियों पर भारत-अमरिका-जापान एवं ऑस्ट्रेलिया मे चर्चा

मनीला: फिलिपाईन्स की राजधानी मनीला में भारत आसियान शिखर परिषद और इस्ट आशिया परिषद की पृष्ठभूमि पर भारत, अमरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के वरिष्ठ अधिकारियों में चर्चा हुई है। चीन के बढ़ते सामर्थ्य की वजह से इस क्षेत्र में असमतोल एवं अस्थिरता निर्माण हुई है। इसीलिए इन ४ देशों का सहयोग इस क्षेत्र में समतोल तथा स्थिरता प्रस्थापित करने के लिए महत्वपूर्ण होगा, ऐसा दावा किया जा रहा है। इस दृष्टि से ४ देशों के इस समूहने उठाया यह पहला कदम माना जा रहा है। कुछ दिनों पहले जापान एवं अमरिकाने इस चर्चा का प्रस्ताव दिया था।

पिछले महीने में जापान के विदेश मंत्री तारो बानोने भारत, अमरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया में रक्षा विषयक चर्चा का प्रस्ताव प्रस्तुत किया था। अमरिकाने इसका समर्थन किया था। हिंद महासागर से पैसेफिक महासागर तक के क्षेत्र में स्थिरता, सुव्यवस्था एवं परिवहन की स्वतंत्रता के लिए अमरिका इन देशों से चर्चा करेगा ऐसी घोषणा अमरिका के दक्षिण एवं मध्य आशिया विभाग के उपमंत्री ऐलिस जी वेल्सने की थी। भारत एवं ऑस्ट्रेलियाने भी इस प्रस्ताव का स्वागत किया था। हलाकि इस पर चीन से प्रतिक्रिया आयी थी। इन ४ देशों की चर्चा एवं सहयोग दूसरे किसी देश के विरोध में ना हो, ऐसी अपेक्षा चीन के विदेश मंत्रालयने व्यक्त की थी। सौम्य राजनैतिक भाषा में चीनने यह इशारा दिया था। यह इशारा इस देश की अस्वस्थता व्यक्त करनेवाला होने की बात स्पष्ट हुई थी।

इसके बाद हफ्ते भर में ही इन चारो देशों के वरिष्ठ अधिकारियों में आशिया-प्रशांत क्षेत्र के विभिन्न मुद्दों पर विस्तृत चर्चा संपन्न हुई है। इन चार देशों में संगठित सहयोग की शुरुआत होने की बात कही जा रही है। मुक्त, समृद्धि और सर्व समावेशक आशिया एवं प्रशांत क्षेत्र यह जागतिक एवं क्षेत्रीय हित के लिए आवश्यक होने की बात पर, इस बैठक में एकमत हुआ है। इस क्षेत्र में आतंकवाद और अन्य रक्षा विषयक चुनोतियों पर इस समय दीर्घ चर्चा होने की बात भारत के विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारीने कही है। भारतने उस समय अपने ‘एक्ट ईस्ट’ नीति रेखांकित करने की बात अधिकारीने स्पष्ट की है।

चीन एक ही समय पर हिंद महासागर क्षेत्र एवं पैसिफिक महासागर क्षेत्र पर भी वर्चस्व दिखाने का प्रयत्न कर रहा है। उसके लिए चीनने नियोजन बद्ध तैयारी की है। चीनी नौदल की युद्ध नौका, विनाशिका एवं पनडुब्बियां इस सागरी क्षेत्र में अन्य देशों की सीमा में प्रवेश करने की बात अनेक बार सामने आई थी। हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के नैसर्गिक प्रभाव को चुनौती देने की संपूर्ण तयारी चीनने करने की बात उजागर हुई थी।

चीन के इन आक्रामक गतिविधियों पर ध्यान देकर अमरिकाने इंडो पैसिफिक सागरी क्षेत्र का विचार करके, इस क्षेत्र में भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया के सामरिक सहयोग की संकल्पना प्रस्तुत की थी। तथा भारत पेसिफिक महासागर क्षेत्र में भी अपना प्रभाव बढ़ाएं ऐसा आग्रह अमरिका, जापान एवं ऑस्ट्रेलियाने किया था। इस पर अमरिकाने भारत के साथ सभी स्तर पर सहयोग बढ़ाएं हैं और दोनों देशों में संपन्न हुए ‘लॉजिस्टिक एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट’ यह करार उसी का भाग माना जा रहा है। इस करार के अनुसार जापान में अमरिकी नौदल के तल पर भारतीय युद्धनौका को इंधन प्रदान किया गया था। भारत, अमरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया में हुइ चर्चा से पहले शुरू हुआ यह सहयोग सूचक होकर इससे आने वाले समय में, यह सहयोग अधिक व्यापक होंगा, ऐसे स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं।

 

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