हाँगकाँग में चीन विरोधी प्रदर्शनों में लहराया भारत का राष्ट्रध्वज

हाँगकाँग – गुरूवार के दिन हाँगकाँग में ‘चायना नैशनल डे’ के अवसर पर आयोजित किए गए चीन विरोधी प्रदर्शनों के दौरान युवक के हाथ में लहरा रहे भारतीय राष्ट्रध्वज ने माध्यमों का ध्यान आकर्षित किया। चीन के खिलाफ़ आक्रामकता के साथ लड़ रहे भारत के लिए यह हमारे समर्थन होने का बयान संबंधित युवक ने किया। लद्दाख की गलवान वैली में भारत ने चीन को जोरदार सबक सिखाने के बाद भारत का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थान ऊंचा हुआ हैं। इससे चीन के खिलाफ़ संघर्ष कर रहे देशों एवं गुटों के लिए भारत एक नए आशास्थान के तौर पर उभर रहा है, यह बात हाँगकाँग की घटना से दिख रही है।

Indian-flag-hong-kongगुरूवार के दिन चीन के दमन तंत्र के खिलाफ़ हाँगकाँग के रास्तों पर बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी उतरे थे। इस दौरान एक युवक ने हाथ में पकड़ा भारतीय राष्ट्रध्वज सभी का ध्यान आकर्षित कर रहा था। यह राष्ट्रध्वज देखकर पत्रकारों ने इस युवक से सवाल भी किए। इस पर जवाब देते समय संबंधित युवक ने कहा कि, ‘भारत चीन के खिलाफ़ लड़ रहा है। इस कारण भारत हमारा मित्र बनता है। हम भारत के साथ हैं।’ इस युवक का नाम प्रसिद्ध नहीं किया गया है। लेकिन, उसके फोटो सोशल मीडिया पर प्रसिद्ध हुए हैं।

भारत ने चीन को झटका देने के बाद विश्‍वभर में अब भारत का राष्ट्रध्वज चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत के विरोध के प्रतीक के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है, यह प्रतिक्रिया जम्मू-कश्‍मीर के पूर्व पुलिस महासंचालक एस.पी.वैद ने दर्ज़ की है। भारत के पूर्व सेनाप्रमुख वेद मलिक ने भी इस घटना का समर्थन किया है और भारत का झंड़ा विस्तारवादी हुकूमत के विरोध के धैर्य का प्रतीक बनने की बात कहकर हाँगकाँग की घटना का संज्ञान लिया।

हाँगकाँग में ४५ हज़ार भारतीय नागरिक निवास कर रहे हैं। भारत और हाँगकाँग के रिश्‍ते बड़े अच्छे हैं। इसी कारण हाँगकाँग के निवासियों के लिए भारत अब चीन के खिलाफ़ लड़ रहा आक्रामक देश बना हैं। अमरीका और ब्रिटेन की तरह ही हाँगकाँग के नागरिक भारत की ओर बड़ी उम्मीद से देख रहे हैं। असल में दक्षिणी एशियाई युवक चीन के खिलाफ़ जारी जंग में भारत के साथ खड़े होने की बात इस अवसर पर सामने आयी है।

बीते कई वर्षों से जारी चीन के दमन तंत्र के विरोध में हाँगकाँग की जनता संघर्ष कर रही है। जून महीने में चीन की हुकूमत ने नया कानून पारित करके हाँगकाँग पर कब्ज़ा करने के बाद यह जंग शुरू हुई है। हज़ारों प्रदर्शनकारी अभी भी चीन के विरोध में रास्तों पर उतरकर निर्दयी कम्युनिस्ट हुकूमत के खिलाफ़ गुस्सा व्यक्त कर रहे हैं। इन प्रदर्शनाकरियों का उत्पीड़न करके चीन यह प्रदर्शन कुचलने की कोशिश कर रहा है। गुरूवार के दिन हुए प्रदर्शनों के दौरान भी ६० लोगों को गिरफ्तार किया गया। लेकिन, चीन के विरोध में जारी यह लड़ाई हाँगकाँग आज़ाद होने तक बरकरार रहेगी, यह इशारा हाँगकाँग स्थित जनतांत्रिक गुट और नेताओं ने दिया है।

इससे पहले कनाड़ा एवं अमरीका में हुए चीन विरोधी प्रदर्शनों में भारतीय नागरिकों के साथ तैवान एवं तिब्बती वंश के नागरिक भी शामिल हुए थे। भारत ने तैवान और तिब्बत के मुद्दे पर अपनाई आक्रामक भूमिका भी इसका एक कारण बना है। विश्‍वभर में चीन के विरोध में गठित हो रहे मोर्चे और इसमें भारत की बढ़ती अहमियत चीन को अच्छा खासा बेचैन करनेवाली साबित हो सकती है।

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