गिलगित-बाल्टिस्तान में चुनाव करके भारत को चुनौती ना दे – पाकिस्तान की सरकार को देसी विश्‍लेषकों का इशारा

ग्लास्गो – गिलगित-बाल्टिस्तान में चुनाव करके इस क्षेत्र को पाकिस्तान का पांचवां प्रांत घोषित करने का प्रधानमंत्री इम्रान खान के निर्णय का पाकिस्तान में ही विरोध हो रहा है। इस दौरान इम्रान खान की अपनी ही पार्टी में इस निर्णय के खिलाफ़ स्वर उठ रहे हैं। प्रधानमंत्री इम्रान चीन के दबाव में गिलगित-बाल्टिस्तान में चुनाव करा रहे हैं, ऐसी आलोचना होने लगी है। ‘पीओके’ और गिलगित-बाल्टिस्तान के नेताओं ने भी यह चुनाव करने के खिलाफ़ बगावत करने की धमकी दी है। इसी बीच गिलगित-बाल्टिस्तान के साथ ‘पीओके’ भी भारत का अभिन्न अंग है और पाकिस्तान तुरंत ही गिलगित-बाल्टिस्तान को खाली करें, यह इशारा भारत ने लगभग एक महीना पहले किया था।

Gilgit-Baltistanपाकिस्तान के प्रधानमंत्री इम्रान खान ने नवंबर १५ के दिन गिलगित-बाल्टिस्तान में चुनावों का ऐलान किया है। इसके लिए इम्रान खान की सरकार ने २० उम्मीदवारों की सूचि भी घोषित की है। लेकिन, इम्रान खान की ‘पाकिस्तान तेहरिक ए इन्साफ’ (पीटीआय) दल में ही संबंधित निर्णय पर आलोचना हो रही है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने संबंधित उम्मीदवारों की सूचना इस्लामाबाद स्थित चीन के दूतावास में भेजकर मंजूरी प्राप्त करने की बात भी सामने आयी है। इससे गुस्सा हुए ‘पीटीआय’ के नेताओं ने गिलगित-बाल्टिस्तान में बगावत करने की धमकी दी है और घोषित उम्मीदवारों के खिलाफ़ चुनाव में उतरने की बात स्पष्ट की। तभी, स्थानीय नेता सज्जाद राजा, इब्राहम नागरी, मुहम्मद शरीफ खान ने यह चुनाव यानी महज़ एक नाटक होने का बयान करके इम्रान खान की सरकार के खिलाफ़ बगावत का झंड़ा लहराया है। स्थानीय लोग भी इस चुनाव को पीठ दिखाएंगे, यह दावा मुहम्मद शरीफ खान ने किया।

प्रधानमंत्री इम्रान खान और पाकिस्तान की सेना चीन के दबाव में ही गिलगित-बाल्टिस्तान में यह चुनाव करा रही है, यह आरोप भी हो रहे हैं। भारत ने लगभग एक वर्ष पहले ही जम्मू-कश्‍मीर को विशेष दर्जा प्रदान करनेवाली धारा ३७० और ३५-ए को हटाने का निर्णय किया था। इसके बाद पाकिस्तान की सरकार को भारत विरोधी गतिविधियों को कामयाबी हासिल नहीं हुई है। इस बड़ी नाकामी से बचने के लिए प्रधानमंत्री इम्रान खान ने गिलगित-बाल्टिस्तान में चुनाव कराने का निर्णय किया है, यह आरोप भी हो रहे हैं। लेकिन, इस निर्णय के बड़े परिणाम पाकिस्तान को भुगतने पड़ेंगे, यह चिंता पाकिस्तान के विपक्षी नेता व्यक्त कर रहे हैं। तभी पाकिस्तान सरकार के इस निर्णय का भारत काफ़ी अलग तरिके से इस्तेमाल कर सकेगा और ‘पीओके’ समेत गिलगित-बाल्टिस्तान को खोने की घटना का पाकिस्तान को सामना करना पड़ेगा, यह इशारा भी कुछ विश्‍लेषक दे रहे हैं।

पाकिस्तान ने गिलगित-बाल्टिस्तान में चुनाव आयोजित किए तो इसके परिणाम भी भुगतने पड़ेंगे, यह इशारा भारत ने पहले ही पाकिस्तान को दिया था। इस पृष्ठभूमि पर प्रधानमंत्री इम्रान खान ने गिलगित-बाल्टिस्तान को लेकर निर्णय करने से पहले आवश्‍यक पूर्व तैयारी की है क्या, यह सवाल पाकिस्तान के पत्रकार उठा रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रभाव काफ़ी बढ़ चुका है। इसी कारण जम्मू-कश्‍मीर को प्रदान किया गया विशेष दर्जा हटाने के बाद किसी भी देश और अंतरराष्ट्रीय संस्था ने भारत का सीधा विरोध करने का साहस नहीं दिखाया था, इस ओर पाकिस्तानी विश्‍लेषक ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में गिलगित-बाल्टिस्तान से संबंधित साहस दिखाने से पाकिस्तान बचे, यह बात पत्रकार एवं विश्‍लेषक कह रहे हैं।

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