जापान भारत के उत्तर-पूर्व राज्यों में निवेश करेगा

नई दिल्ली: डोकलाम की सीमा पर भारत और चीन की सेना एक दूसरों के सामने तैनात  है, भारत के उत्तर पूर्व राज्य में मूलभूत सुविधा के विकास के लिए जापान ने कदम उठाया है। इसके लिए ‘इण्डिया जापान कोओर्डिनेशन फोरम’ की स्थापना होने की घोषणा राजधानी नई दिल्ली में हुई है। भारत और जापान के बिच के सहयोगी संबंध चीन को अस्वस्थ करेंगे और इसपर चीन से तीव्र प्रतिक्रिया अपेक्षित है।

मूलभूत सुविधा

कुछ दिनों पहले भारत ने सागरी क्षेत्र में ‘मलाबार’ युद्धाभ्यास का आयोजन किया था। इस  युद्धाभ्यास में भारत और जापान के साथ  अमरीका का नौदल भी शामिल हुआ था। यह  युद्धाभ्यास यानी  चीनविरोधी  साज़िश होने का आरोप किया जा रहा होकर, उसपर चीन में से संतप्त प्रतिक्रियाएँ उठी। ‘डोकलाम’ विवाद में भारत चीन को चुनौती दे रहा है क्योकि भारत के इस साहस के पीछे  अमरीका और जापान का समर्थन है यह बयान भी चीन ने दिया। ऐसे में ‘इण्डिया जापान कोओर्डिनेशन फोरम’ की स्थापना यह चीन के द्वेष को बढ़ावा देने की बात होगी।

इस साल के अप्रेल महीने में ‘जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी’ने उत्तर पूर्व भारत के मूलभूत सुविधाओं के विकास कार्य का पहले स्तर का करार किया था। इसके नुसार जापान पहले स्तर में उत्तर पूर्व भारत के विकास के लिए ६१ करोड़ डॉलर्स निवेश करेगा। इस निवेश के उपयोग से चीन की सीमा लगत मिझोरम और मेघालय मे महामार्ग का निर्माण होगा।

यह सहयोग अधिक दृढ़ करने के लिए ‘इण्डिया जापान कोओर्डिनेशन फोरम’ की स्थापना होने की घोषणा राजधानी नई दिल्ली में हुई है। जापान के भारत मे नियुक्त राजदूत केन्जी हिरामत्सू और भारत के उत्तर पूर्व प्रान्त विकास मंत्रालय के सचिव नविन वर्मा इस कार्यक्रम में उपस्थित थे। उत्तर पूर्व भारत में रास्ते और रेल के साथ उर्जा, जल आपूर्ति, वन व्यवस्थापन एवं जल व्यवस्थापन इत्यादि क्षेत्र में जापान निवेश करने की घोषणा की गयी।

पहले भी जापान ने भारत और चीन की सीमा लगत उत्तर पूर्व राज्यों में सडक निर्माण के लिए सहायता करने की घोषणा की थी। उस समय अरुणाचल यह भारत का भूभाग होने की घोषणा की थी और चीन ने जापान को धमकाने का प्रयास किया था।

भारत और चीन के बीच के सीमा विवाद में जापान आपनी टांग न अड़ाए यह चीन के सरकारी अख़बार ने कहा है। साथ ही जापान का सुनकर भारत चीन से बैर नहीं करेगा यह विश्वास चीन के सरकारी माध्यम ने व्यक्त किया था। उस वक्त भारत और चीन के संबंध अच्छे होने से दोनों देश अपने सीमा का प्रश्न गहनता से सुलझाएगा यह चीनी माध्यमों ने कहा था।

लेकिन  डोकलाम में चल रहे   सीमा विवाद को लेकर चीन ने भारत के खिलाफ़ बहुत ही सख़्त भूमिका अपनायी होकर, सिर्फ़ चीन की सरकारी मीड़िया ही नहीं  पर चीन का विदेश मंत्रालय और लष्करी अधिकारी भी भारत को युद्ध की धमकियाँ दे रहे है। चीन के  राष्ट्राध्यक्ष  ने चीन अपनी भूमि किसीके हात नहीं लगने देगी यह चेतावनी दी है। उनका रुख़ भारत हि था, यह विश्लेषको का मानना है।

चीन ऐसी स्थिति में भारत के खिलाफ़ आक्रामक होते समय  अमरीका और जापान भारत के पीछे समर्थन में खड़े होने का सन्देश दे रहे है। अमरीका  के विदेशमंत्री खुलेआम इस विवाद में किसी के भी पक्ष में न होना दिखाई दे रहा है, पर अमरीका  के भूतपूर्व अधिकारी एवं विश्लेषक चीन ने भारत की क्षमता न देखते सीमा विवाद छेड़ने का बयान दे रहे है। उसी समय जापान ने भारत से सहयोग अधिक बढ़ाने का यह महुरत चुनना चीन के साथ सारी दुनिया के लिए सुयोग्य सन्देश है।

जापान के साथ ऑस्ट्रेलिया ने भी खुलकर भारत चीन विवाद में भारत का पक्ष लिया है और यह देखते चीन ऑस्ट्रेलिया को भी चेतावनी देनी शुरू की है।

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