पहली तिमाही में देश का ‘करंट अकाउंट’ १९.८ अरब डॉलर्स ‘सरप्लस’ रहा

नई दिल्ली – मौजूदा आर्थिक वर्ष की पहली तिमाही में देश का करंट अकाउंट १९.८ अरब डॉलर्स से सरप्लस रहा। यह अब तक का नया रेकॉर्ड है। यह सरप्लस देश के ‘जीडीपी’ की तुलना में ३.९ प्रतिशत था। रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया ने बुधवार को यह जानकारी साझा की। कोरोना वायरस के दौर में व्यापारी घाटा कम हुआ है। इससे देश का करंट अकाउंट सरप्लस हुआ। इससे रुपए को मज़बूती प्राप्त होगी, ऐसा विश्‍लेषकों का कहना है।

‘करंट अकाउंट’

लॉकडाउन की वजह से आर्थिक वर्ष २०२०-२१ की पहली तिमाही में निर्यात की तुलना में आयात में अधिक गिरावट हुई। इसका असर देश के विदेश व्यापार पर हुआ है। वर्ष २०१९-२० की पहली तिमाही में देश के करंट अकाउंट में १५ अरब डॉलर्स का घाटा था। यह जीडीपी की तुलना में २.१ प्रतिशत था। इस पृष्ठभूमि पर नए आर्थिक वर्ष की पहली तिमाही का रिज़ल्ट ध्यान आकर्षित करता है।

इस वर्ष अप्रैल से जून के दौरान देश ने ६२.२ अरब डॉलर्स का आयात किया। इसी बीच देश का कुल निर्यात ५२.३ अरब डॉलर्स रहा। इससे व्यापारी घाटा १० अरब डॉलर्स तक सीमित रहा। बीते वर्ष इसी तिमाही में आयात १२९.५ अरब डॉलर्स और निर्यात ८२.७ अरब डॉलर्स था। इसकी वजह से व्यापारी घाटा ४६.८ अरब डॉलर्स था।

पहली तिमाही में भारतीय सेवा क्षेत्र से ४६.८ अरब डॉलर्स प्राप्त हुए हैं और २६.३ अरब डॉलर्स खर्च हुए हैं। इसकी वजह से इस क्षेत्र का सरप्सस करीबन २० अरब डॉलर्स रहा। इसके अलावा अन्य क्षेत्र से प्राप्त हो रहे और खर्च हुए डॉलर्स के कुल आँकड़ों के अनुसार देश के करंट अकाउंट में फिलहाल १२२.४ अरब डॉलर्स जमा हुए और १०२.६ डॉलर्स खर्च हुए हैं। इसके चलते करंट अकाउंट सरप्लस १९.८ अरब डॉलर्स दर्ज हुआ है। व्यापारी घाटे में बड़ी मात्रा में कटौती होने से वर्तमान आर्थिक वर्ष की पहली तिमाही में करंट अकाउंट सरप्लस होने में सहायता प्राप्त हुई।

कोरोना की महामारी की वजह से मार्च के अन्त से देश में लॉकडाउन घोषित होने के बाद माँग में भारी गिरावट होने से आयात भी कम हुआ था। लेकिन, उसी समय कपड़े अभियांत्रिक सामान, गहनों का निर्यात भी कम हुआ। इसके अलावा क्रूड़ ऑईल और अन्य सामान की किमतों में गिरावट देखी गई और मांग भी कम हुई। इससे आयात कम हो रहा हैं। अप्रैल और मई की तुलना में जून में देश के निर्यात में सुधार होने की बात भी आँकड़ों से स्पष्ट हुई है।

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