‘हाँगकाँग’ की कार्रवाई से चीन ने ‘तैवान’ को हमेशा के लिए खो दिया – अमरिकी विश्‍लेषक डेव्हिड रॉश का दावा

वॉशिंग्टन – हाँगकाँग पर कब्जा करनेवाली चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत को तैवान का विलयन करना कभी भी संभव नहीं होगा, यह दावा अमरिकी विश्‍लेषक डेविड रॉश ने किया। बीते कुछ महीनों में चीन ने तैवान के खिलाफ़ आक्रामक हरकतें शुरू की हैं। बीते सप्ताह में तैवान के विदेशमंत्री ने अपना देश नेक्स्ट हाँगकाँग साबित हो सकता है, यह डर भी व्यक्त किया था। इस पृष्ठभूमि पर रॉश ने किया यह दावा ध्यान आकर्षित करता है।

us-china-hongkongचीन की हुकूमत ने हाँगकाँग पर अपनी पकड़ और भी मज़बूत की है। इसी की वजह से चीन मुमकिन है तैवान का कभी भी वियलन नहीं कर सकेगा। चीन ने हाँगकाँग पर किए कब्ज़े के लिए चुकाई हुई किमत तैवान हो सकता है। हाँगकाँग में हुई घटनाओं ने तैवान चीन से और भी दूर हुआ है, संभवत: हाँगकाँग की वजह से तैवान हमेशा के लिए चीन से दूर हुआ है, यह भी कहना मुमकिन होने का दावा रॉश ने एक निजी समाचार चैनल के कार्यक्रम के दौरान किया।

तैवान पर कब्ज़ा करने के लिए लष्करी ताकत का इस्तेमाल करने का विकल्प चीन की हुकूमत ने हमेशा ही खुला रखा है। लेकिन, चीन इस विकल्प का इस्तेमाल करेगा क्या, इससे संबंधित आशंका है। लष्करी हमला करके तैवान पर कब्ज़ा करने पर चीन के अमरीका के साथ संबंध बिगड़ने का खतरा है। फिलहाल दोनों देशों के संबंध शीतयुद्ध जैसे होने के दौरान यह संभावना कम होने की बात रॉश ने कही।

us-china-hongkongअमरीका और तैवान के बीच अधिकृत स्तर पर किसी भी तरह का रक्षा समझौता नहीं हुआ है। फिर भी चीन ने तैवान पर हमला करने की कोशिश की तो अमरीका यकिनन इस पर प्रत्युत्तर देने के लिए आगे बढ़ेगी, इस ओर विश्‍लेषकों ने ध्यान आकर्षित किया। इसकी वजह से अमरीका और चीन के बीच जारी शीतयुद्ध असल युद्ध में परिवर्तित हो सकता है, यह इशारा भी रॉश ने दिया।

चीन की हुकूमत ने 30 जून से हाँगकाँग में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून का अमल शुरू किया है। हाँगकाँग में जारी चीन विरोधी गतिविधियां रोकने के लिए यह कानून लाने के दावे किए जा रहे हैं। लेकिन, असल में इसके माध्यम से हाँगकाँग के प्रशासन के साथ सभी कारोबारों पर चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत ने नियंत्रण प्राप्त किया है। चीन के इस निर्णय पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने कड़ी प्रतिक्रिया दर्ज़ की है और कार्रवाई के लिए कदम भी उठाए हैं। लेकिन, फिर भी चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत ने हाँगकाँग के निर्णय से पीछे हटने से स्पष्ट इन्कार किया है।

us-china-hongkongबल्कि हाँगकाँग के साथ अब साउथ चायना सी का कुछ क्षेत्र और तैवान पर कब्ज़ा करने के लिए चीन ने लष्करी स्तर पर गतिविधियां शुरू की हैं। इसका एहसास होने पर अमरीका और तैवान ने चीन को प्रत्युत्तर देने के लिए कदम उठाना शुरू किया है। चीन की लष्करी आक्रामकता पर लगाम लगाने के लिए अमरीका ने इंडो-पैसेफिक के प्रमुख देशों का मोर्चा बनाया है और इसके माध्यम से चीन पर दबाव बढ़ाया जा रहा है। इस पृष्ठभूमि पर अमरिकी विश्‍लेषक रॉश ने किया दावा अहम साबित होता है।

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