दलाई लामा को आश्रय देनेवाले भारत की, अमरीका ने की प्रशंसा

तैपेई – तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा ने ताइवान में अपने समर्थकों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संवाद किया। दलाई लामा ने कहा कि वे ताइवान जाने के लिए उत्सुक हैं। वहीं, ताइवान दलाई लामा का स्वागत करने के लिए उत्सुक है, ऐसी घोषणा ताइवान के विदेश मंत्रालय ने की। तिब्बत और ताइवान ये दोनों, चीन के लिए अत्यधिक संवेदनशील मुद्दे माने जाते हैं। तिब्बत और ताइवान चीन की ‘रेड़ लाईनें’ हैं और यदि उनका उल्लंघन किया गया, तो चिनी प्रकोप का सामना करना पड़ेगा, ऐसी धमकियाँ चीन द्वारा लगातार दीं जातीं हैं। ऐसे में, ताइवान के लोगों के साथ तिब्बती नेता दलाई लामा का संवाद, चीन की असुरक्षितता का एक नया कारण बन सकता है। उसी में, पिछले छह दशकों से तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा और तिब्बती लोगों को आश्रय देने के लिए भारत का विशेष शुक्रिया अदा कर, अमरीका ने चीन को थप्पड़ ही लगवाया है|

दलाई लामा को आश्रय

तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा ने, दो दिन पहले अपने जन्मदिन के उपलक्ष्य में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से ताइवान में अपने हजार से अधिक समर्थकों को संबोधित किया। दलाई लामा हमेशा दुनिया भर के अपने अनुयायियों को संबोधित करते रहते हैं। लेकिन इस बार, दलाई लामा ने ताइवान के लोगों के साथ ठेंठ संवाद करके चीन को बेचैन कर दिया है। ‘ताइवान के लोग मेरे दिल के बहुत क़रीब हैं और मैं हमेशा उनके बारे में सोचता रहता हूँ’, ऐसा लामा ने इस समय कहा। साथ ही, दलाई लामा ने सन २००९ में की हुई ताइवान की अपनी पहली यात्रा की भी याद जगाई। ‘हम एक बार फिर ताइवान का दौरा करना चाहते हैं| जल्द ही राजनीतिक माहौल बदल जाएगा और हम ताइवान का दौरा करेंगे’, ऐसी सदिच्छा उन्होंने व्यक्त की|

ताइवान ने अगले कुछ ही घंटों में, दलाई लामा द्वारा प्रदर्शित इच्छा पर प्रतिक्रिया दी। ताइवान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि ‘दलाई लामा का स्वागत करने के लिए देश उत्सुक है।’ ताइवान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता योआन ओऊ ने कहा कि ‘तिब्बत और ताइवान के लिए उचित समय देखकर आदरणीय दलाई लामा का स्वागत किया जाएगा”| फिलहाल चीन की विस्तारवादी नीति की दुनिया भर में आलोचना हो रही है। ऐसे में, तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा द्वारा ताइवान के लोगों को संबोधित किया जाना और ताइवान द्वारा तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा को यात्रा के लिये आमंत्रित किया जाना, यह चीन की चिंताओं में बढ़ोतरी करनेवाली गतिविधि साबित होती है।

तिब्बत के भूभाग को निगल कर, चीन ने वहाँ के लोगों को मूलभूत, राजनीतिक और धार्मिक अधिकारों से भी वंचित कर दिया है। साथ ही, तिब्बत की विशेषतापूर्ण धार्मिक संस्कृति को नष्ट करने की भयंकर नीति चीन की कम्युनिस्ट हुक़ूमत ने अपनाई है। ना केवल तिब्बती स्वतंत्रता, बल्कि चीन द्वारा तिब्बत की स्वायत्तता की माँग को भी ठुकराया गया है। आज तक चीन ने अपनी आर्थिक, राजनीतिक और लष्करी ताक़त के बलबूते पर तिब्बती लोगों की आवाज़ को दबाया है। लेकिन अब हालात बदल चुके हैं।

कोरोनोवायरस के फ़ैलाव के लिए चीन ज़िम्मेदार होने की बात स्पष्ट हुई होकर, उससे दुनिया भर में चीन की बेइज़्ज़ती हुई है। हाँगकाँग और ताइवान के मसले पर चीन ने किये आक्रमक फैसलों का दुनिया भर से कड़ा विरोध किया जा रहा है। तिब्बत की आजादी की माँग करनेवाले विधेयक को पारित करने के लिए अमरिकी काँग्रेस में गतिविधियाँ शुरू हैं। ऐसे में, ताइवान के लोगों के साथ दलाई लामा का संवाद, यह चीन के लिए काफ़ी बड़ी घटना साबित होती है। इसी बीच, दलाई लामा के ८५ वें जन्मदिन के उपलक्ष्य में अमरीका ने, दलाई लामा और तिब्बतियों को आश्रय देनेवाले भारत की प्रशंसा की है, यह मुद्दा भी चीन की परेशानी बढ़ानेवाला हो सकता है। तिब्बत, ताइवान, अमरीका और भारत से जुड़ीं इन खबरों पर चीन से कड़ी प्रतिक्रया आ सकती है।   लेकिन वर्तमान समय चीन के लिए अनुकूल नहीं है, इसका एहसास हुई चीन की कम्युनिस्ट हुक़ूमत, इसपर चुप रहने की संभावना से भी इन्कार नहीं किया जा सकता है।

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