श्रीलंका में राजनयिक उथलपुथल की पृष्ठभूमि पर भारतीय नौसेनाप्रमुख श्रीलंका यात्रा पर

कोलंबो: भारतीय नौसेनाप्रमुख ऍडमिरल सुनील लान्बा श्रीलंका यात्रा पर आये हैं| भारत और श्रीलंका की नौसेना में हरसाल आयोजित होने वाले ‘गॅले डायलॉग’ के लिए ऍडमिरल लान्बा शरीक होने आये हैं| साथ ही, अपनी इस यात्रा के दौरान नौसेनाप्रमुख श्रीलंका के राष्ट्राध्यक्ष मैत्रिपाला सिरिसेना, प्रधानमंत्री रानील विक्रमसिंघे और श्रीलंका की रक्षादल के प्रमुखों से मिलकर चर्चा करने वाले है| भारतीय नौसेनाप्रमुख श्रीलंका यात्रा पर आये है, उसी समय श्रीलंका के भूतपूर्व राष्ट्राध्यक्ष महिंदा राजपक्षे चीन यात्रा पर गये हैं| पिछले कुछ दिनो से राजपक्षे के समर्थन में खड़े हुए, श्रीलंका की विरोधी पार्टी के नेता लष्करी बग़ावत करके राष्ट्राध्यक्ष सिरिसेना की सरकार गिराने के लिए तैयारी कर रहे हैं| इसी पृष्ठभूमि पर, भारतीय नौसेनाप्रमुख की श्रीलंका यात्रा और श्रीलंका के भूतपूर्व राष्ट्राध्यक्ष की चीनयात्रा को बेहद महत्त्व प्राप्त हुआ है|

भारतीय नौसेनाप्रमुखसन २०१५ में श्रीलंका में राष्ट्राध्यक्ष सिरिसेना की सरकार सत्ता में आने के बाद, इस देश की विदेश नीति में भारी बदलाव हुए हैं| इससे पहले श्रीलंका के राष्ट्राध्यक्ष रहे महिंदा राजपक्षे ने, श्रीलंका की नीति पूरी तरह से चीन-केंद्रित रखी थी| इस वजह से, भारत के हितसंबंधों को बड़ा ख़तरा पैदा हो गया था| इसके अलावा अमरीका और अन्य पश्‍चिमी देश श्रीलंका के खिलाफ हुए थे| लेकिन राजपक्षे की सरकार ने किसी की भी परवाह ना करते हुए चीन को समर्थन दिया| साथ ही, राजपक्षे का कारोबार एकतांत्रिक होकर तानाशाही की दिशा में झुकनेवाला था, ऐसा इल्ज़ाम उनके विरोधक लगा रहे थे| इसका झटका राजपक्षे को लगा और श्रीलंकन मतदाताओं ने सिरिसेना की सरकार को चुना| लेकिन राजपक्षे इतनी असानी से सत्ता छोडने के लिए तैयार नही थे| सेना और पुलीस अधिकारियों को साथ लेकर चुनाव रद करने की तैयारी राजपक्षे ने की थी| लेकिन उनकी यह कोशिश सफल नहीं हो पाई|

राजपक्षे की यह हार यानी चीन के लिए भी झटका था| कुछ समय बाद राष्ट्राध्यक्ष सिरिसेना ने श्रीलंका की विदेश नीति में बदलाव करके चीन का प्रभाव कम किया| साथ ही, देश का हित देखकर, चीन के साथ तय किये गये कुछ प्रकल्प रद भी कर दिये| इसके अलावा, भारत के साथ मित्रतापूर्ण सहयोग और भी अधिक दृढ़ करके सिरिसेना ने, श्रीलंका में लोकतंत्र और मज़बूत करने की कोशिश की| इसके कारण बेचैन हुए राजपक्षे, श्रीलंका में सेना की बग़ावत कराने की कोशिश में थे, ऐसे आसार दिखने लगे हैं| इसके लिए, श्रीलंका के विरोधी दलों के साथ एकजूट दिखाकर और सेना पर नियंत्रण हासिल करके राजपक्षे ने सिरिसेना को घेरने की योजना प्लान की है|

राजपक्षे की नीति को चीन का समर्थन मिल रहा है, ऐसी आशंका जताई जा रही है| राजपक्षे के पास सत्ता आना, यह चीन के लिए महत्त्वपूर्ण माना जाता है| इससे, हिंदी महासागर क्षेत्र में भारत को चुनौतियाँ दे सकनेवाला अपनी नौसेना का अड्डा श्रीलंका में खड़ा करना चीन के लिए आसान हो जायेगा| साथ ही, राष्ट्राध्यक्ष सिरिसेना की, भारत के साथ मित्रता बरक़रार रखने की नीति की वजह से इस क्षेत्र में चीन का प्रभाव खत्म होगा, ऐसा डर चीन को लग रहा है| इस कारण चीन राजपक्षे के पीछे अपनी पूरी ताकत खड़ा करेगा| फिलहाल राजपक्षे चीन की यात्रा पर हैं| उनकी चीन यात्रा की टायमिंग सबका ध्यान खींच रही है|

लेकिन यदि जबरन श्रीलंका में लोकंतत्रवादी सरकार गिराने के लिए बग़ावत की गयी, तो भारत चुप नहीं बैठेगा, ऐसी चेतावनी श्रीलंका के मंत्रिमंडल के सदस्यों ने कुछ दिन पहले दी थी| भारत अपने साथ मित्रतापूर्ण संबंध रखनेवाले राष्ट्राध्यक्ष सिरिसेना की सरकार को मदद करेगा, ऐसा श्रीलंकन सरकार के सामाजिक सेवा विभाग के मंत्री दिसनायके ने कहा था| इन घटनाओं की पृष्ठभूमि पर, भारतीय नौसेना प्रमुख की श्रीलंका यात्रा ग़ौरतलब साबित होती है| इससे श्रीलंका में चीन और भारत इनके हितसंबंधों की टक्कर होने के आसार दिखायी दे रहे हैं| आनेवाले समय में इसका अनुभव होगा, ऐसा दावा मीडिया द्वारा किया जा रहा है|

Leave a Reply

Your email address will not be published.