भारत-ईरान-अफ़गानिस्तान सहयोग पाक़िस्तान के लिए ख़तरनाक साबित होगा

पाक़िस्तान के पूर्व लष्करी अधिकारियों की चेतावनी

IndiaIranAfghan threat to Pak‘भारत, अफ़गानिस्तान और ईरान के बीच विकसित हो रहा नितिविषयक सहयोग पाक़िस्तान की सुरक्षा के लिए ख़तरनाक साबित होगा। इससे पाक़िस्तान एकाकी पड़ सकता है और इसके भयानक परिणाम अपने देश को सहने पड़ेंगे’ ऐसी चेतावनी पाक़िस्तान के पूर्व लष्करी अधिकारियों ने एक परिषद के दौरान दी है। पिछले हफ़्ते भर से पाक़िस्तान के माध्यम भी, अपने देश को भारत ने एकाकी बना दिया है, यह कहते हुए उसके ख़िलाफ़ शोर मचा रहे हैं।

‘नॅशनल सिक्युरिटी डिटरन्स अँड रिजनल स्टॅबिलिटी इन साऊथ एशिया’ इस विषय पर पाक़िस्तान में परिसंवाद आयोजित किया था। एक अभ्यासगुट द्वारा इस परिसंवाद का आयोजन किया गया था। पाक़िस्तान के पूर्व रक्षा सचिव तथा पाक़िस्तान के लष्कर में अधिकारी रह चुके पूर्व लेफ़्टनंट जनरल ‘असिफ़ यासिन मलिक़’ ने – भारत, ईरान तथा अफ़गानिस्तान में विकसित हो रहे सामरिक सहयोग पर गंभीर चिंता ज़ाहिर की। इन तीन देशों के संगठन के कारण पाक़िस्तान अपने ही क्षेत्र में एकाकी पड़ गया है और इन तीन देशों की एकता के कारण पाक़िस्तान की सुरक्षा को ख़तरा पैदा हुआ है, ऐसा दावा मलिक़ ने किया।

पाक़िस्तान के सामने खड़ी हुई इस चुनौति के लिए खुद पाक़िस्तान ने ही की हुईं कुछ ग़लतियाँ ज़िम्मेदार हैं। साथ ही, दूसरे देशों की पाक़िस्तानविरोधी नीतियों के कारण यह ख़तरा अधिक ही बढ़ गया है, ऐसा मलिक़ ने आगे कहा। पाक़िस्तान जब गंभीर हालातों में से गुज़र रहा है, तब विदेश मंत्रालय अपनी अकार्यक्षमता प्रदर्शित कर रहा है, ऐसी आलोचना मलिक़ ने की। इस परिसंवाद में उपस्थितों को संबोधित करते समय पाक़िस्तानी लष्कर के पूर्व लेफ़्टनंट जनरल नदीम लोधी ने भी – ‘भारत-ईरान-अफ़गानिस्तान में विकसित हो रहा नीतिविषयक सहयोग पाक़िस्तान के लिए ख़तरनाक बन चुका है’ ऐसा कहा है।

भारत विकसित कर रहे ईरान के ‘छाबर’ बंदरगाह प्रकल्प के कारण, पाक़िस्तान एवं चीन के सहयोग से विकसित हो रहे ‘ग्वादर’ बंदरगाह प्रकल्प पर असर हो रहे होने की चिंता भी लोधी ने ज़ाहिर की। ऐसे हालातों में, इस संकट से बाहर निकलने के लिए पाक़िस्तान को चाहिए कि वह चीन के साथ अपनी नीतिविषयक साज़ेदारी को और भी बढ़ायें, ऐसा मशवरा लोधी ने दिया है। उसी समय, ‘पाक़िस्तान को एकाकी बना रहे इन तीन देशों में से ईरान पाक़िस्तान की चिंता को मद्देनज़र कर सकता है। चीन के प्रभाव का इस्तेमाल कर पाक़िस्तान इस गिरफ़्त से बाहर निकल सकता है, ऐसा भी लोधी ने कहा।

इसी दौरान पाक़िस्तान के माध्यम भी, हमारे देश को भारत, ईरान तथा अफ़गानिस्तान के द्वारा घिरा जा रहा है, ऐसा शोर मचा रहे हैं। लेकिन इस परिस्थिति के लिए खुद पाक़िस्तान ही ज़िम्मेदार होने की आलोचना भी कुछ जानकारों ने की है। ‘पाक़िस्तान हमें अफ़गानिस्तान तक, यानी कि मध्य एशियाई देशों तक जाने का मार्ग खुला कर दें’ ऐसा आवाहन भारत ने पाक़िस्तान से किया था। उसे पाक़िस्तान ने प्रतिसाद दिया नहीं है। वैसे ही, अफ़गानिस्तान इस मामले में कर रहे माँग की भी पाक़िस्तान ने परवाह नहीं की है। इसके परिणामस्वरूप भारत ने ईरान के छाबर बंदरगाह को विकसित करके पाक़िस्तान को इस क्षेत्र में एकाकी बना दिया है। इस कारण, पाक़िस्तान पर गुजरे इन हालातों के लिए अन्य कोई नहीं, बल्कि पाक़िस्तान ने ही अपनायी हुईं भारतविद्वेषी नीतियाँ ज़िम्मेदार हैं, ऐसी खरी खरी इन जानकारों ने सुनायी है।

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