भारत के ‘इंटरसेप्टर’ परीक्षण के कारण पाक़िस्तान बेचैन

क्षेत्रीय सत्तासमतोल ढ़ह रहा होने का दोषारोपण

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दुश्मन के द्वारा दागे गये बॅलिस्टिक क्षेपणास्त्र का अचूकता से निशाना साधकर भारत की हवाई सुरक्षा मज़बूत करनेवाले, संपूर्णत: स्वदेशी बनावट के सुपरसॉनिक ‘इंटरसेप्टर’ के सफल परीक्षण के बाद पाक़िस्तान बेचैन हो उठा है। ‘इस परीक्षण से दक्षिण एशिया का सत्तासंतुलन बिगड़ जायेगा’ ऐसा आरोप पाक़िस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ के सलाहगार सरताझ अझिज़ ने किया होकर, इस मुद्दे को आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने की धमकी दी है।

रविवार को भारत ने संपूर्णत: भारतीय बनावट के अतिआधुनिक बहुस्तरीय ‘अ‍ॅड़वान्स एअर डिफ़ेन्स’ (एएडी) ‘इंटरसेप्टर’ क्षेपणास्त्र का परीक्षण किया। इस सुपरसॉनिक ‘इंटरसेप्टर’ ने बंगाल की खाड़ी में स्थित एक जहाज़ में से दागे गये ‘पृथ्वी’ क्षेपणास्त्र को छेदने में सफलता पायी थी। भारत के ‘रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला’ (डीआरडीओ) के अधिकारी ने, रविवार का परीक्षण सफल हुआ होने की जानकारी दी थी। इस ‘इंटरसेप्टर’ क्षेपणास्त्र के लिए स्वतंत्र मोबाईल लाँचर विकसित किया गया होकर, क्षेपणास्त्र में ‘नेविगेशन सिस्टिम’, ‘हायटेक कॉम्प्युटर’ एवं ‘इलेक्ट्रो-मेकॅनिकल अ‍ॅक्टिवेटर’ का समावेश है।

भारत की स्वदेशी बनावट की ‘मिसाईल डिफ़ेन्स’ यंत्रणा के इस सफल परीक्षण पर पाक़िस्तान ने तीव्र प्रतिक्रिया दी है। भारत के सुपरसॉनिक ‘इंटरसेप्टर’ के परीक्षण पर चिंता ज़ाहिर करते हुए, ‘लगातार किये जा रहे परीक्षणों के कारण दक्षिण एशिया क्षेत्र में सत्तासमतोल बिगड़ जायेगा’, ऐसा पाक़िस्तानी प्रधानमंत्री के सलाहगार अझिज़ ने कहा है। ‘पाक़िस्तान अपनी हवाईसुरक्षा के मामले में असावधान नहीं रहेगा। यदि ज़रूरत पड़ी, तो हम अतिआधुनिक तंत्रज्ञान ख़रीद लेंगे’ ऐसा भी पाक़िस्तानी सलाहगार ने स्पष्ट किया।

‘फिलहाल भारत एवं अमरीका के बीच सहयोग बढ़ा है। चीन को रोकने के लिए भारत को मज़बूत करना अमरीका को आवश्यक प्रतीत हो रहा है’ ऐसी टिप्पनी भी अझिज़ ने की। ‘भारत के क्षेपणास्त्र कार्यक्रम के कारण ढ़हे जा रहे क्षेत्रीय सत्तासमतोल का मुद्दा पाक़िस्तान आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर यक़ीनन ही उपस्थित करेगा’ ऐसी चेतावनी भी सलाहगार अझिज़ ने दी।

दुश्मनों के हमले से प्रमुख शहरों एवं स्थानों की रक्षा करने के लिए भारत बॅलिस्टिक क्षेपणास्त्रभेदी यंत्रणा तैनात करने के प्रयास में है। इसके लिए सन १९९९ के ‘कारगिल युद्ध’ के बाद, भारत ने ‘अ‍ॅड़वान्स एअर डिफ़ेन्स’ (एएडी) क्षेपणास्त्र कार्यक्रम की शुरुआत की। इसके तहत, द्विस्तरीय क्षेपणास्त्रभेदी यंत्रणा विकसित की गयी। पृथ्वी के वातावरण के उपरी स्तर में और वातावरण के नीचले स्तर में बॅलिस्टिक क्षेपणास्त्र को छेदनेवाली ‘एएडी’ क्षेपणास्त्रविरोधी यंत्रणा विकसित करने में भारत को सफलता मिली है। फिलहाल २ हज़ार किलोमीटर तक की दूरी पर के क्षेपणास्त्रों का छेद करने की क्षमता ‘एएडी’ में है, उसे और भी बढ़ाने के प्रयास जारी हैं।

सन २००७ से लेकर भारत ने ‘एएडी’ के १२ परीक्षण किये हैं और वे सभी सफल हुए हैं। इसके अलावा भारत रशिया की ‘एस-४००’ यह क्षेपणास्त्रभेदी यंत्रणा को भी ख़रीदने के प्रयास में है।

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