भारत की आर्थिक प्रगति का संज्ञान पूरे विश्व में लिया जा रहा है – केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन

नई दिल्ली/सेउल – इस वर्ष आर्थिक मंदी शुरू होगी या नहीं, इसपर अभी आर्थिक विशेषज्ञों की सहमति नहीं हुई है। लेकिन, भारतीय अर्थव्यवस्था सबसे अधिक तेज़ गति से प्रगति करेगी, इसपर आर्थिक विशेषज्ञों की सहमति होती दिख रही है। उत्पाद से जुड़ी सप्लाई चेन के संकट से विश्व के प्रमुख देशों की अर्थव्यवस्थाओं को भी नुकसान पहुंचेगा, ऐसे दावे किए जा रहे हैं। लेकिन, भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए यह संकट लाभ पहुंचाएगा, यह विश्वास आर्थिक विशेषज्ञ व्यक्त कर रहे हैैं। ‘वर्ल्ड इकॉनॉमिक फोरम’ की रपट में यह बात स्पष्ट की गई है। यह रपट जारी हो रही थी तभी भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने भारत जैसे विकासशील देशों ने विश्व के विकास ‘इंजिन’ के तौर पर काम करना ज़रूरी होने का बयान किया। 

आर्थिक प्रगति

‘एशियन डेवलपमेंट बैंक’ (एडीबी) की बैठक के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री सीतारामन दक्षिण कोरिया के दौरे पर हैं। दक्षिण कोरिया की राजधानी सेउल में भारतीय समुदाय को संबोधित करते समय वित्त मंत्री ने देश की आर्थिक प्रगति का संज्ञान पुरा विश्व ले रहा हैं, यह कहकर इसपर संतोष व्यक्त किया। लेकिन, यह संज्ञान सीर्फ भारत सबसे अधिक विकास दर से आर्थिक प्रगति कर रहा हैं, इसके लिए नहीं लिगाय गया है। बल्कि, कोरोना की महामारी और उसके बाद उभरी आर्थिक चुनौतियों का भारत ने जिस तरह से सामना किया, इसका संज्ञान पूरे विश्व को लेना ही पड़ा, ऐसा सीतारामन ने आगे कहा।

विकसित देशों की अर्थव्यवस्था संकटों से घिरी हैं और ऐसी स्थिति में भी भारत और अन्य कुछ विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था प्रगति करती दिख रही है। अगले कसौटी के दौर में भी आर्थिक प्रगति की यही गति कायम रखने के लिए विकास शील देशों ने अधिक ऊर्जा दिखानी होगी। वैस्विक अर्थव्यवस्था के इंजन के तौर पर विकासशील देशों ने काम करना काफी अहम साबित होगा। इससे विश्व पर मंड़रा रहा आर्थिक संकट हटाना मुमकिन होगा, यह विश्वास वित्त मंत्री सीतारामन ने व्यक्त किया।

ऐसे दौर में ‘जी २०’ की अध्यक्षता भारत को प्राप्त होना, ध्यान आकर्षित करता है। ‘जी २०’ के सदस्य इंडोनेशिया, भारत और ब्राज़ील विकासशील देश हैं और उनकी वजह से इस परिषद में ‘ग्लोबल साउथ’ की आवाज़ बुलंद होगी, यह भरोसा सीतारामन ने व्यक्त किया। अगले तीन वर्ष विश्व अर्थव्यवस्था के लिए काफी अहम साबित होंगे। इस दौरान वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में ‘रिसेट’ यानी फेर रचना एवं स्थिति के अनुसार एडजेस्टमेंट यानी मेल करने की प्रक्रिया पूरी होगी, यह दावा भारतीय वित्त मंत्री ने किया। आर्टिफिशल इंटेलिजेन्स, डीप डाटा एनालिटिक्स और इंटरनेट ऑफ थिंग्ज्‌‍ का आगे के समय में काफी बड़ा इस्तेमाल होगा, इसका अहसास भी सीतारामन ने इस दौरान कराया।

आगे के समय में इन बदलावों का सामना करने की तैयारी भारत ने रखी हैं। डिजिटल पेमेंट, सिस्टिम’ करदाताओं से प्रत्यक्ष संपर्क किए बिना हो रहा कर संकलन और डिजिटल आईडी जैसी प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल भारत में शुरू हुआ है। साथ ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस समेत भविष्य के अहम प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने के लिए भारतीय कंपनियां तैयार हुई हैं। ऐसी स्थिति में दक्षिण कोरिया में सीतारामन ने यह आवाहन किया की, अनिवासी भारतीय भारत के प्रौद्योगिकी और अनुसंधान क्षेत्र में योगदान प्रदान करें। 

English मराठी 

Leave a Reply

Your email address will not be published.