भारत पांचवें क्रमांक की अर्थव्यवस्था बना

नई दिल्ली – भारत अब ब्रिटेन से आगे बढकर विश्व में पांचवे क्रमांक की अर्थव्यवस्था बना है। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने अपने आँकड़े जारी करके यह ऐलान किया। भारत का जीडीपी तकरीबन ३.५ ट्रिलियन डॉलर है और ब्रिटेन का जीडीपी ३.२ ट्रिलियन डॉलर्स होने की जानकारी अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने दी। यह खबर प्रसिद्ध होने के बाद पूरे देश में संतोष का माहौल है। विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में अब अमरीका, चीन, जापान और जर्मनी के बाद अब भारत पांचवे स्थान पर पहुँचा है। दस साल पहले भारत का समावेश विश्व के पहले प्रमुख दस अर्थव्यवस्थाओं में भी नहीं था, इस पर विश्लेषक ध्यान आखर्षित कर रहे हैं।

पांचवें क्रमांक की अर्थव्यवस्थाभारतीय अर्थव्यवस्था का यह प्रदर्शन आश्वासक है, फिर भी भारत और ब्रिटेन की जनसंख्या में काफी बड़ा फर्क है। इस वजह से भारत की प्रति व्यक्ति आय केवल २,५०० डॉलर्स और ब्रिटेन का ४७ हज़ार डॉलर्स है, इसे नज़रअंदाज़ नहीं जा सकता, ऐसा उद्योग क्षेत्र के कुछ लोगों का कहना है। चाहे जो भी हो पर, सबसे अधिक विकास दर से प्रगति कर रही भारतीय अर्थव्यवस्था का ब्रिटेन जैसे देश आगे बढ़नेवाला प्रदर्शन ध्यान आकर्षित करता रहा है। किसी समय भारत पर राज करनेवाले ब्रिटेन से ही आगे बढ़कर भारत पांचवे क्रमांक की अर्थव्यवस्था बना है, और यह देश का आत्मविश्वास बढ़ानेवाली बात है, ऐसा उद्योग क्षेत्र के ही कुछ लोगों ने कहा है।

मुद्रकोष यह जानकारी साझा कर रही थी, तभी स्टेंट बैंक ऑफ इंडिया ने अनुमान दर्ज़ किया है कि, साल २०२७ में भारत जर्मनी को और २०२९ में जापान से भी आगे बढ़कर तीसरे क्रमांक की अर्थव्यवस्था बनेगा। स्टेट बैंक ऑफ ईंडिया के प्रमुख आर्थिक सलाहकार सौम्या कांति घोष की इस रपट में भारत अगले पांच सालों में जर्मनी को और सात सालों में जापान से भी आगे बढ़कर विश्व में तीसरे क्रमांक की अर्थव्यवस्था बनेगा, यह दावा किया गया है। इस वित्तीय साल की पहली तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था ने १३.५ प्रतिशत विकास गति रखी, इसका दाखिला भी इस रपट में दिया गया है।

प्रगति की यही गति बरकरार रखने में देश कामयाब रहा तो इस वित्तीय साल में भारत ६.७ से ७.७ प्रतिशत विकासदर प्राप्त कर सकेगा। विश्व के अन्य किसी भी प्रमुख देश ने इस वित्तीय वर्ष में इस तरह का प्रदर्शन करने की उम्मीद नहीं है। इस वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था की यह छलांग ध्यान आकर्षित करती है। इसके बावजूद भारत को असावधान रहना मुमकिन नहीं होगा क्योंकि, वैश्विक अर्थव्यवस्था पर मंदी का साया है और इसका असर भारत के निर्यात पर पड़ सकता है, इस पर विश्लेषक ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। इस कारण आर्थिक मोर्चे से आत्मविश्वास बढ़ाने वाली इन खबरों के साथ ही भारत को अंतरराष्ट्रीय स्थिति पर ध्यान रखकर सावधानीपूर्वक कदम बढ़ाने की आवश्यकता है, ऐसा जानकारों का कहना है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.