भारत पाकिस्तान की सहायता नहीं कर सकता – विदेश मंत्री एस.जयशंकर का खुलासा

पुणे – भीषण भूकंप से दहले तुर्की और सीरिया एवं आर्थिक संकट से घिरे श्रीलंका को भारत ने काफी बड़ी सहायता प्रदान की। लेकिन, अनाज, ईंधन और दवाईयों की किल्लत का सामना कर रहे पाकिस्तान को भारत सहायता क्यो नहीं मुहैया कराता, ऐसा सवाल कुछ लोगों का है। पाकिस्तान की आम जनता यह उम्मीद रखती है कि, भारत सहायता प्रदान करे। ऐसी स्थिति में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत पाकिस्तान को सहायता प्रदान नहीं कर सकता, यह घोषित किया है। जिस देश में आतंकवाद को उद्योग के तौर पर देखा जाता है, उस देश की भारत कैसे सहायता कर सकेगा, ऐसा उल्टा सवाल विदेश मंत्री जयशंकर ने किया।

एस.जयशंकरपूणे में आयोजित एक समारोह में बोलते हुए जयशंकर ने पाकिस्तान संबंधित भारत की भूमिका स्पष्ट की। पिछले कुछ महीनों से पाकिस्तान की सरकार सीधे नहीं, लेकिन, अप्रत्यक्ष ढ़ंग से भारत से सहायता पाने की उम्मीद जताती देखी गई थी। लेकिन, फिलहाल दोनों देशों के बीच राजनीतिक स्तर की बातचीत पुरी तरह से बंद हैं और यह प्रक्रिया शुरू हुए बिना भारत की सहायता की उम्मीद नहीं कर सकते, इसका अहसास पाकिस्तान को हुआ हैं। इसी वजह से कुछ दिन पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने भारत के साथ लड़े तीन युद्ध से पाकिस्तान को सही सबक मिली, ऐसा कहकर भारत के सामने चर्चा का प्रस्ताव रखा था। इसपर पाकिस्तान से तीखीं प्रतिक्रियाएं सामने आने के बाद वह यह प्रस्ताव पीछे लेने के लिए मज़बूर हुए थे। लेकिन, उसके बाद पाकिस्तानी सेना के पूर्व प्रमुख ने भी भारत के साथ चर्चा करने के मुद्दे पर बड़ा बयान किया था।

सैन्य और सुरक्षा के दायरे के बाहर जाकर पाकिस्तान और भारत की चर्चा हो सकती हैं, ऐसा बयान पाकिस्तान के पूर्व सेना अधिकारी मेजर जनरल अथर अब्बास ने किया था। मौजूदा पाकिस्तान की स्थिति काफी खराब हुई हैं और ज़रूरी सामान खरीदने के लिए भी देश की तिजोरी में पर्याप्त निधी बचा नहीं हैं। अनाज़, सब्जी, फलों के साथ ईंधन और दवाईयों जैसे सामान की किल्लत पाकिस्तानी जनता को परेशान कर रही हैं और इससे गुस्सा हुए नागरिक सड़क पर उतर कर अपना असंतोष व्यक्त कर रहे हैं। इस संकट से सीर्फ और सीर्फ भारत ही में बाहर निकाल सकता हैं, इसका अहसास पाकिस्तान में स्थित भारत द्वेर्षी पत्रकार और जानकारों को भी हुआ है। उन्होंने किए बयान इसी की साक्ष देते हैं।

हमें भारत जैसा नेतृत्व चाहिये, ऐसा बयान पाकिस्तान के कुछ लोग खुले आम करने लगे हैं और पिछले साल भारत ने की हुई चमकाने वाली प्रगति का दाखिला भी यह लोग दे रहे हैं। ऐसी स्थिति में विदेश मंत्री जयशंकर ने भारत की भूमिका स्पष्ट की। जिस देश में आतंकवाद को उद्योग के तौर पर देखा जाता है, उसे भारत सहायता कैसे मुहैया कर सकता है, ऐसा सवाल विदेश मंत्री जयशंकर ने किया। इसके अलावा देश की आर्थिक रचना ठिक करने से पहले इस देश को अपनी राजनीतिक और सामाजिक घड़ी ठिक करनी होगी, ऐसा कहकर जयशंकर ने पाकिस्तान की सामाजिक रचना में होने वाली बुनियादी खामियों पर ध्यान आकर्षित किया।

ज्यादा तर विश्व ही पाकिस्तान को सहायता प्रदान कर सकेगा, लेकिन, अपने देश में पाकिस्तान को यह सभी सुधार करने ही होंगे और इसके लिए सख्त निर्णय करके उचित निर्णय करने होंगे, ऐसा स्पष्ट अहसास विदेश मंत्री जयशंकर ने कराया। आधुनिक इतिहास में भारत को भी समय समय पर इस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। ३० वर्ष पहले भारत के सामने भी आर्थिक संकट खड़ा हुआ था। लेकिन भारत ने सही समय पर सही निर्णय किए, इसकी याद जयशंकर ने ताज़ा की। पाकिस्तान ऐसे निर्णय करने के लिए तैयार नहीं और इसी वजह से यह देश संकट से बाहर निकलना कठिन होने के संकेत जयशंकर ने इसके ज़रिये दिए हैं।

देश अपनी सुरक्षा के लिए किसी भी स्तर पर जाएगा – विदेश मंत्री एस.जयशंकर

राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए किसी भी स्तर पर जाने के लिए तैयार देश, ऐसी भारत की छवि पूरे विश्व में खड़ी हुई है, ऐसा बयान विदेश एस.जयशंकर ने ने किया है। भारत को झटका देकर कोई भी पीछे धकेल नहीं सकता और हमने निर्धारित किए मर्यादा रेखा का उल्लंघन भारत कभी भी बर्दाश्त नहीं करता, यह कहकर जयशंकर ने भारत के विदेश एवं सुरक्षा नीति में हुए आक्रामक बदलाव बयान किए।

उत्तरी सीमा पर देश की सुरक्षा को चुनौती मिली थी। लेकिन, भारत ने इसका पूरी सक्षमता से मुकाबला किया, यह कहकर जयशंकर ने हम पुख्ता किसके बारे में बयान कर रहे हैं, इसके संकेत भी दिए। साल २०१६ और २०१९ में देश की सुरक्षा को उत्तरी सीमा से चुनौती मिली थी। लेकिन, भारत ने इसका सक्षमता से सामना किया, इसकी याद जयशंकर ने ताज़ा की।

डोकलाम और गलवान में चीनी सेना से हुए संघर्ष के बाद भारत की सैन्य क्षमता बड़ी तीव्रता से विश्व के सामने आयी। साथ ही अपनी सुरक्षा के मुद्दे पर भारत यकिनन चीन जैसे ताकतवर देश से भी टकराव कर सकता हैं, यह भी इससे दुनिया के सामने आया था। इसकी गूंज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुनाई पड़ी थी। इसका अस्पष्ट दाखिला भी भारतीय विदेश मंत्री के इस बयान से प्राप्त हो रहा है।

इसी बीच, एलएसी पर भारत और चीन के बीच अभी तनाव बना हैं, यह दावा भारत लगातार कर रहा हैं। सीमा पर तनाव होने के बावजूद चीन से भारत में हो रही आयात में काफी वृद्धि हुई है। इस आयात के लिए भारतीय उद्योग का भी योगदान रहा है और इसका दोष कुछ हद तक भारतीय उद्योग क्षेत्र को भी देना होगा, ऐसा जयशंकर ने कहा।

अपनी सप्लाई चेन विकसित करने के बजाय भारतीय उद्योग ने चीन से आयात जारी रखी और इससे भारत को भारी झटके लगे, ऐसी आलोचना जयशंकर ने की। सेवा क्षेत्र पर देश अधिक ध्यान केंद्रित करे, उत्पादन को अनदेखा किया तो भी चलेगा, इस तरह की नीति पहले के दौर में अपनाई गई थी। इससे रणनीतिक स्र पर भारत को भारी नुकसान पहुंचा और मौजूदा समय पर भारत को इसके परिणाम भुगतने पड़ रहे हैं, ऐसा दावा जयशंकर ने किया।

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