मतभेदों को दरकिनार करके भारत-रशिया ने किया रणनीतिक सहयोग मजबूत करने का निर्णय – हाँगकाँग स्थित अखबार का दावा

नई दिल्ली – अफ़गानिस्तान में तालिबान की हुकूमत स्थापित होने से बढ़ा खतरा, मध्य एशियाई देशों पर पड़ा चीन का प्रभाव और इस क्षेत्र में अमरीका की गतिविधियाँ, इन तीन मुद्दों पर अपने हित एकसमान होने का अहसास भारत और रशिया को हुआ है। इसी वजह से भूतपूर्व के मतभेद दरकिनार करके दोनों देश फिर से मज़बूत सहयोग स्थापित कर रहे हैं, यह दावा हाँगकाँग स्थित ‘द साऊथ चायना मॉर्निंग पोस्ट’ नामक अखबार ने किया है। रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के दौरान इन दोनों देशों के सहयोग का नया पर्व शुरू होने का बयान इस अखबार ने किया है।

रणनीतिक सहयोगभारत का ‘क्वाड’ में समावेश एवं अमरीका के साथ भारत की बढ़ती नज़दिकीयों से बेचैन हुई रशिया ने अपना असंतोष अलग-अलग तरह से व्यक्त किया था। पिछले वर्ष भारत की यात्रा पर आए रशिया के विदेशमंत्री लैवरोव पाकिस्तान भी गए थे। तो, भारत के विदेशमंत्री जयशंकर ने अपनी रशिया यात्रा के बाद जॉर्जिया जाकर प्रत्युत्तर दिया था। केवल इतना ही नहीं बल्कि, अफ़गानिस्तान के मुद्दे पर परिषद का आयोजन करनेवाली रशिया ने भारत को इससे दूर रखा था। इस तरह से दोनों देशों के बीच दुरियाँ बढ़ रही थीं, तो अपने हितों की सुरक्षा के लिए भारत और रशिया को एक-दूसरे के सहयोग की आवश्‍यकता होने का अहसास हुआ, यह दावा इस अखबार में किया गया।

अफ़गानिस्तान में अपने हितों के लिए रशिया ने पाकिस्तान का साथ दिया था। तालिबान अब पहले जैसी नहीं रही और इस बार तालिबान का बर्ताव अलग होगा, इस पर पाकिस्तान ने रशिया को आश्‍वस्त किया था। लेकिन, पहले के और वर्तमान के तालिबान में रत्तीभर भी फरक नहीं है, यह बात रशिया ने समय पर जानी। इसके बाद भारत और मध्य एशियाई देशों की सहायता से अफ़गानिस्तान को अपने खिलाफ होने से रोकने के लिए रशिया ने अपनी गतिविधियाँ शुरू की। इसके साथ ही मध्य एशियाई देशों पर बढ़ता हुआ चीन का प्रभाव रोकने के लिए भी रशिया को भारत के सहयोग की आवश्‍यकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.