सरकार रक्षा बलों के लिए ७० हज़ार एके-१०३ राइफल की खरीद करेगी – भारत-रशिया के बीच ‘इमर्जन्सी’ समझौता

नई दिल्ली – रक्षाबलों के लिए ७० हज़ार अत्याधुनिक एके-१०३ राइफलों की खरीद करने के संदर्भ में भारत ने रशिया के साथ समझौता किया है। आपत्कालीन शस्त्र खरीद के प्रावधान के तहत पिछले हफ्ते में यह समझौता संपन्न होने की खबर है। इन राइफल की खरीद यह सभी सशस्त्र बलों के लिए की जानेवाली है ऐसा हालांकि बताया जा रहा है, फिर भी इनमें से अधिकांश राइफल वायुसेना को प्रदान की जाएंगी। उसी के साथ, रशिया से एके-२०३ राइफल की खरीद के संदर्भ में जल्द ही समझौता हो सकता है, ऐसी भी खबर है।

70k-ak-103-rafaelअफ़गानिस्तान तालिबान के कब्ज़े में जाने के बाद आतंकवादी कारणों में फिर से बढ़ेंगे, ऐसी संभावना जताई जाती है। पच्चीस साल पहले अफगानिस्तान में तालिबान सत्ता में आने के बाद जम्मू कश्मीर में आतंकवादी कारनामों में वृद्धि हुई दिखाई दी थी। इस पृष्ठभूमि पर यह खरीद समझौता संपन्न हो रहा है। आतंकवाद विरोधी कार्रवाई में ये राइफल्स बहुत ही उपयोगी साबित होंगी, ऐसा दावा किया जाता है। कुल ७० हज़ार एके-१०३ राइफल की खरीद की जाएगी और रक्षा बलों के पास होनेवाली पुरानी इन्सास राइफल्स की जगह इन नई राइफल्स का इस्तेमाल होगा।

भारतीय लष्कर को लगभग सात लाख नए राइफल्स की आवश्यकता है। साथ ही, वायुसेना और नौसेना के लिए भी अत्याधुनिक राइफल्स की आवश्यकता है। वायुसेना को लगभग डेढ़ लाख अत्याधुनिक ऍसॉल्ट राइफल्स की आवश्यकता है। सरकार ने इससे पहले अमरीका से ७० हज़ार सिग राइफल्स की खरीद की थी; वहीं, और ७२ हज़ार सिग राइफल्स की खरीद के लिए कुछ ही महीने पहले आपत्कालीन खरीद को मंजूरी मिली है। अमरीका से प्राप्त सिग राइफल्स, पिछले साल चीन सीमा पर तैनात जवानों को इन्सास राइफल्स के स्थान पर प्रदान कीं गईं थीं। साथ ही, जम्मू-कश्मीर में तैनात जवानों को भी ये राइफल्स दीं गईं थीं। इसके साथ १६ हज़ार निगेव्ह लाईट मशिन गन्स (एलएनजी) की खरीद इस्रायल से की गई है। अब रशिया से एके-१०३ राइफल्स की खरीद की जा रही है।

भारत ने इससे पहले ही रशिया के साथ एके-२०३ राइफल्स की खरीद के संदर्भ में भी सन २०१८ में समझौता संपन्न किया था। इसके अनुसार, उत्तर प्रदेश में प्रोजेक्ट स्थापित करके वहीं पर सात लाख एके-२०३ इन एके श्रेणी की सबसे अत्याधुनिक राइफल्स का उत्पादन किया जानेवाला है। इस संदर्भ में अंतिम समझौता अभी नहीं हुआ है। इस संदर्भ में चर्चा पूरी होने की जानकारी सामने आ रही होकर, ‘रसोबोर्न एक्सपोर्ट’ इस रशियन विभाग के साथ अंतिम समझौता जल्द ही होने की संभावना है।

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