रशिया ने निर्यात कम करने पर कच्चे तेल की कीमत ३८० डॉलर्स तक उछलेगी – जे.पी.मॉर्गन चेस के विश्लेषक का इशारा

जे.पी.मॉर्गन चेसवॉशिंग्टन – रशिया-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद अमरीका एवं यूरोपिय देशों ने रशियन ईंधन क्षेत्र पर प्रतिबंध लगाए हैं। इन प्रतिबंधों के विरोध में सख्त प्रत्युत्तर देने का इशारा रशियन नेतृत्व लगातार दे रहा था। इस पृष्ठभूमि पर यदि रशिया ने कच्चे तेल का निर्यात घटाया तो ईंधन बाज़ार को बड़ा नुकसान पहुँचेगा और तेल की कीमत काफी उछलकर प्रति बैरल ३८० डॉलर्स पर जा पहुँचेगी, ऐसी चेतावनी शीर्ष वित्तसंस्था ‘जे.पी.मॉर्गन चेस’ ने दी। अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की कीमत फिलहाल प्रति बैरल ११० डॉलर्स है।

रशिया ने यूक्रेन में सैन्य अभियान शुरू करके तीन महीनों से अधिक का समय बीत चुका है। इस दौरान अमरीका और यूरोपिय देशों ने रशियन अर्थव्यवस्था के साथ अन्य कई क्षेत्रों को लक्ष्य करनेवाले कई सख्त प्रतिबंध लगाए हैं। इनमें रशियन अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जा रहे ईंधन क्षेत्र का भी समावेश है। यूरोप के कुछ देशों ने रशिया से ईंधन वायु पाना बंद किया है। ऐसे में यूरोपिय महासंघ ने अगले साल तक रशिया से आयात हो रहे कच्चे तेल का आयात लगभग ८० प्रतिशत कम करने का निर्णय किया। लेकिन, रशियन ईंधन पर पूरी रोक लगाना यूरोपिय देशों के लिए अब तक मुमकिन नहीं हो पाया है।

जे.पी.मॉर्गन चेससाथ ही दूसरी ओर रशिया ने यूरोप के कुछ देशों की ईंधन वायु की सप्लाई रोक दी है। पिछले महीने जर्मनी के साथ प्रमुख देशों को हो रही नैसर्गिक ईंधन वायु की सप्लाई भी कम कर दी गई। रशिया की इस गतिविधि से यूरोपिय देश काफी बड़े खौफ में हैं और उनके पैरों तले ज़मीन खिसक रही है। ऐसे में कई देशों में ईंधन एवं बिजली की राशनिंग भी शुरू हुई है। जर्मनी जैसे देश ने महंगे ईंधन के लिए सबसिडी प्रदान करने का रास्ता भी चुना है। साथ ही जनता ईंधन और ऊर्जा का इस्तेमाल कम करें, यह आवाहन भी किया।

ईंधन वायु के बाद रशिया कच्चे तेल को लेकर भी यही निर्णय ले सकती है, ऐसी संभावना जतायी जा रही थी। अमरीका की प्रमुख वित्तसंस्था ‘जे.पी.मॉर्गन चेस’ का इशारा ध्यान आकर्षित कर रहा है। ‘नज़दिकी समय में रशिया कच्चे तेल के कारोबार में शामिल होने से दूर रहकर निर्यात कम करने का निर्णय कर सकती है। कच्चे तेल की कीमतों के लिए यह सबसे बड़ा झटका होगा। पश्चिमी देशों को नुकसान पहुँचाने के लिए ही रशिया ऐसा कदम उठा सकती है। कच्चे तेल के बाज़ार की मौजूदा स्थिति रशिया के पक्ष में हैं’, ऐसा जे.पी.मॉर्गन चेस के विश्लेषकों ने कहा है।

कुछ दिन पहले ही ‘जी ७’ गुट ने रशियन तेल की कीमत पर नियंत्रण लगाने के संकेत दिए थे। इस पृष्ठभूमि पर रशिया निर्यात कम करने का निर्णय कर सकती है, ऐसा जे.पी.मॉर्गन चेस के विशेषज्ञों ने कहा है। रशियन अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति पर गौर करें तो रशिया प्रतिदिन ५० लाख बैरल्स ईंधन उत्पादन कम कर सकती है, इस ओर भी विशेषज्ञों ने ध्यान आकर्षित किया। इससे पहले अप्रैल में रशिया के उप-प्रधानमंत्री एलेक्झांडर नोवाक ने कच्चे तेल की कीमत प्रति बैरल ३०० डॉलर्स तक उछल सकती है, यह इशारा दिया था।

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