केंद्र सरकार जल्द ही विदेश व्यापार की नई नीति का ऐलान करेगी

नई दिल्ली – केंद्र सरकार जल्द ही विदेश व्यापार की नई नीति (एफटीपी) का ऐलान करेगी। निर्यात बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करने वाली इस नई व्यापार नीति का ऐलान सितंबर से पहले होगा, ऐसी जानकारी वाणिज्य विभाग के अधिकारी ने साझा की। यूक्रेन युद्ध के साथ अन्य भू-राजनीतिक गतिविधियों की सीरिज़, कोरोना का संकट, बिगड़ी हुई सप्लाई चेन की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था को भी बड़ा नुकसान पहुँच रहा है। भारतीय अर्थव्यवस्था भी इससे गुजर रही है। लेकिन, मौजूदा समय में विश्व में सबसे अधिक तेज़ विकसित हो रही भारतीय अर्थव्यवस्था को और नई उंचाई प्रदान करने के लिए सरकार ने कुछ लक्ष्य तय किए हैं। चीन के लिए विकल्प के तौर पर भारत को उत्पादन का प्रमुख केंद्र बनाने के लिए सरकार की कोशिश जारी है। साथ ही भारत की कुल सालाना निर्यात सन २०३० तक एक ट्रिलियन डॉलर्स तक बढ़ाने का उद्देशय सरकार ने पहले ही तय किया है। इस पृष्ठभूमि पर सामने आ रही नई नीति अहमियत रखती है।

व्यापार की नई नीतिपहले की ‘एफटीपी’ नीति साल २०१५ में बनायी गई थी। यह नीति साल २०२० तक लागू थी। लेकिन, २०२० में कोरोना की महामारी शुरू होने के बाद सरकार ने नई नीति को पेश किए बिना पहले की नीति की अवधि २०२१ तक बढ़ाई थी। कोरोना की तीसरी लहर के कारण नई विदेशी व्यापार की नीति लाने की प्रक्रिया में फिर से देरी हुई और पुरानी नीति की अवधि सितंबर २०२२ तक बडाई गई।

इस दौरान कोरोना के कारण चीन पर गुस्सा होने से कई देशों ने अपनी कंपनियों के कारखाने चीन से अन्य देशों में स्थानांतरित करने का निर्णय किया। साथ ही ब्रेक्ज़िट, बिगड़ी हुई सप्लाई चेन के कारण यूरोपिय देशों को भारतीय बाज़ार आकर्षित कर रहा है। भारत सरकार ने भी वैश्विक स्तर पर उभरे इस अवसर का लाभ उठाने के लिए देश को वैश्विक उत्पादक केंद्र के तौर पर विकसित करने पर जोर देना शुरू किया। साथ ही देश में उत्पादित सामान को वैश्विक बाज़ार में निर्यात करने के लिए व्यापार सुलभ नीति पर जोर दिया गया।

इस पृष्ठभूमि पर साल २०१५ से २० के दौरान लागू की हुई विदेशी व्यापार नीति की समय सीमा सितंबर में खत्म हो रही है और इस दौरान नई ‘एफटीपी’ नीति लाने की तैयारी जारी है। सितंबर से पहले इस नीति का ऐलान होगा, ऐसा वरिष्ठ अधिकारी ने कहा। इस नीति में निर्यात बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन देने का लक्ष्य तय किया गया है। देश के अधिकाधिक जिलों में जिला निर्यात केंद्र स्थापित करने की योजना इसी नीति का हिस्सा रहेगी। प्रायोगिक स्तर पर यह योजना देश के कुछ जिलों में शुरू की गई है, फिर भी देश के अन्य जिलों में वहां के निर्यात क्षमता के उत्पादन पहचानकर उन जिलों को संबंधित सामान के हब के तौर पर विकसित करने के लिए इसी नीति के तहत नियम तैयार किए जाएँगे। साथ ही योजना का ६० प्रतिशत खर्च केंद्र सरकार इसी ‘एफटीपी’ नीति के तहत करेगी।

वाणिज्य मंत्रालय की ‘डायरोक्टरेट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड’ (डीजीएफटी) शाखा यह नीति तैयार कर रही है। जल्द ही जिलों को निर्यात केंद्र के तौर पर विकसित करने की योजना के लिए आवश्यक निधि का प्रस्ताव भी इसी के तहत वित्त मंत्रालय को दिया जाएगा, यह जानकारी वर्णित अधिकारी ने प्रदान की।

साल २०२१ में भारत का निर्यात विक्रमी ४२० अरब डॉलर्स तक पहुँचा था। साथ ही २५४ अरब डॉलर्स के सेवा निर्यात को मिलाकर भारत का कुल निर्यात ६७४ अरब डॉलर्स हुआ। यह निर्यात साल २०३० तक एक लाख करोड़ डॉलर्स से अधिक बढ़ाने का ध्येय केंद्र सरकार ने तय किया है। इस वजह से नई ‘एफटीपी’ नीति काफी अहम साबित होगी।

फिलहाल भारत सरकार विभिन्न देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौता करने पर जोर दे रही है। दो महीने पहले भारत ने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के साथ मुक्त व्यापार समझौता किया है। साथ ही ऑस्ट्रेलिया के साथ भी इसी तरह से समझौता हुआ। कनाड़ा, ब्रिटेन, यूरोपियन महासंघ एवं इस्रायल के साथ फिलहाल ‘एफटीए’ के लिए बातचीत जारी है। भारत आक्रामकता के साथ इन देशों से बातचीत कर रहा है। ऐसी पृष्ठभूमि पर सितंबर से पहले ऐलान हो रही नई विदेश व्यापार नीति की अहमियत बढ़ी है।

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