पाखंडी वामपंथी विचारधारा पश्चिमी मूल्य एवं समाज के लिए खतरनाक – ब्रिटन की सत्ताधारी पार्टी के प्रमुख की चेतावनी

पाखंडी वामपंथी विचारधारा लंडन – पश्चिमी देशों में पाखंडी वामपंथी विचारधारा के गुटों द्वारा क्लेशदायक और नकली मेलोड्रामा जारी होकर, यह बात पश्चिमी मूल्य और समाज के लिए खतरनाक होने की चेतावनी ब्रिटिश नेता ऑलिव्हर डाऊडन ने दी। यह पाखंडी वामपंथी विचारधारा समाज की अवनति का लक्षण होकर, बाह्य शक्तियों के खिलाफ संघर्ष करने के बजाए पश्चिमी समाज अपनों पर ही आलोचना और हमले कर रहा है, इन शब्दों में डाऊडन ने ‘कॅन्सल कल्चर’ को लक्ष्य किया। डाऊडन ये ब्रिटेन की सत्ताधारी ‘कॉन्झर्व्हेटिव्ह पार्टी’ के सहअध्यक्ष होकर, पिछले कुछ सालों से वामपंथी विचारधारा के विरोध में आक्रामक भूमिका रख रहे हैं।

पाखंडी वामपंथी विचारधारा अमरिकी अभ्यासगुट ‘हेरिटेज फाऊंडेशन’ ने आयोजित किये एक कार्यक्रम में डाऊडन ने पाखंडी वामपंथी विचारधारा को आड़े हाथ लिया। ‘पिछले कुछ सालों में पाखंडी वामपंथी विचारधारा सभी जगहों पर फैलती हुई दिखाई दे रही है। स्कूल्स, कॉलेजेस, सरकारी यंत्रणाएँ और बड़ी कंपनियों में भी उसका प्रवेश हो चुका है। यह पाखंडी वामपंथी विचारधारा समाज की अवनति का लक्षण है। अपना लक्ष्य अब बाह्य शक्तियों के साथ संघर्ष करना यह होना चाहिए। लेकिन ऐसे दौर में हम आत्म-आलोचना पर ज़ोर देते हुए अपनों पर ही हमले कर रहे हैं’, इन शब्दों में डाऊडन ने पाखंडी वामपंथी विचारधारा की कड़ी आलोचना की।

पाखंडी वामपंथी विचारधारा ‘अमरीका और ब्रिटेन यह दो भिन्न समाज हैं। लेकिन हमारे पारंपरिक मूल्य समान हैं। इस पृष्ठभूमि पर हमें पाखंडी वामपंथी विचारधारा के गुटों द्वारा किए जा रहे क्लेशदायक और नकली मेलोड्रामा का शिकार नहीं होना चाहिए। यह विचारधारा पश्चिमी मूल्यों के लिए खतरनाक होकर, हमारे समाज के आत्मविश्वास को कमज़ोर बनाने का काम कर रही है’, ऐसा आरोप ‘कॉन्झर्व्हेटिव्ह पार्टी’ के सहअध्यक्ष ने किया। गणित का संबंध उपनिवेशवाद से जोड़ना अथवा सर्वनामों को लेकर आक्रामक भूमिका अपनाना इन जैसी बातों की ओर ज़्यादा ध्यान देने की जरूरत नहीं है, यह भी डाऊडन ने इस समय जताया।

अमरीका की पाखंडी वामपंथी विचारधारा और आंदोलनों का ब्रिटेन में पड़ रहा प्रभाव, यह मुद्दा पिछले कुछ सालों से चर्चा में आया है। अमरीका में हुए ‘ब्लॅक लाईव्हज् मॅटर’ इन प्रदर्शनों को समर्थन देने के लिए ब्रिटेन में भी जुलूस निकाले गए थे। बात जुलूसों तक ही मर्यादित न रहते हुए, ब्रिटेन के गुटों ने देश के कॉलेजों को तथा इतिहास के व्यक्तित्वों को लक्ष्य करने की शुरुआत की थी। इस पृष्ठभूमि पर प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन की सरकार ने आक्रामक भूमिका अपनाई होकर, वामपंथी पाखंडी विचारधारा और बहिष्कार की संस्कृति बर्दाश्त नहीं की जायेगी, ऐसी चेतावनी दी है। डाऊडन का बयान इसी का भाग है।

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