चीन से आयात हो रहे सामान पर अंकुश लगाने के लिए सरकार की तैयारी

नई दिल्ली – देश की जनता के मन में चीन के विरोध में गुस्सा उमड़ रहा है और चिनी सामान का बहिष्कार करने का आवाहन सोशल मीडिया पर बड़े ज़ोर से हो रहा है। भारतीय जनता में देखें जा रहे इस गुस्से का बड़ा झटका अगले दिनों में लगेगा, हमें बड़ा मार्केट खोना होगा, इसका एहसास चीन को भी हुआ है। भारत सरकार भी चीन से हो रही अनावश्‍यक आयात पर अंकुश लगाने की दिशा में कदम उठा रही है। सरकार ने करीबन ३०० आयात वस्तुओं पर सीमा शुल्क बढ़ाने का विचार शुरू किया है। इसमें प्रमुखता से चीन से आयात हो रहे सामान का समावेश है। साथ ही, ई-कॉमर्स कंपनियों को अपने उत्पाद की ऑनलाईन बिक्री करते वक्त, इसका निर्माण भारत में हुआ है या नहीं, यह स्पष्ट रूप से दिखाना अनिवार्य किया जाएगा, ऐसी ख़बर भी प्राप्त हुई है।

China-Products-Banसरकार आर्थिक मोरचे पर चीन को सबक सिखाने की जोरदार तैयारी कर रही है। चीन और भारत के बीच ७६ अरब डॉलर्स का व्यापार होता है। लेकिन, चीन से भारत में ६४.४ अरब डॉलर्स की आयात होती है; वहीं, भारत से चीन में मात्र १५.५ अरब डॉलर्स की निर्यात होती है। भारत को चीन के साथ व्यापार में लगभग ४७ अरब डॉलर्स का नुकसान उठाना पड़ रहा हैं और यह बड़ी चिंता का विषय है। भारत ने हालाँकि चिनी कंपनियों के लिए अपने बाज़ार पूरी तरह खुले किए हैं, लेकिन चीन ने ऐसा नहीं किया है। साथ ही, भारत सरकार की चिंता को भी उसने समय समय पर अनदेखा किया है।

लद्दाख में चीन ने की हुई दगाबाज़ी और स्थानीय स्तर पर उत्पादन बढ़ाने के लिए एवं ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देने के लिए सरकार ३०० आयात वस्तुओं पर लगें सीमा शुल्क में बड़ी बढ़ोतरी करने का विचार कर रही है। इन वस्तुओं में प्रमुखता से चिनी वस्तुओं का समावेश है और चीन से हो रही अनावश्‍यक आयात पर अंकुश लगाने का उद्देश्‍य इसके पीछे है। इस बारे में अभी अंतिम निर्णय होना बाक़ी है और जल्द ही अंतिम निर्णय की घोषणा होगी, ऐसा समाचार भी प्राप्त हुआ है।

साथ ही, ई-कॉमर्स कंपनियों को अपने उत्पादन की ऑनलाईन बिक्री करते समय, उसका निर्माण भारत में हुआ है या किसी अन्य देश में, इसकी जानकारी स्पष्ट तौर पर देनी होगी। फिलहाल सरकार ई-कॉमर्स की नीति तय कर रही है और यह नियम इसी नीति का हिस्सा होगा, ऐसी जानकारी वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के हवाले से प्राप्त हो रही है। यह एक प्रकार से चेकमार्क रहेगा। इससे ग्राहकों को ‘मेड़ इन इंडिया’ और अन्य देशों में बने सामान की जानकारी तुरंत और आसानी से प्राप्त होगी। इससे ‘मेड़ इन इंडिया’ वस्तुओं की खरीद का निर्णय करने में आसानी होगी। साथ ही, चिनी वस्तुओं की खरीद करना टालना भी ग्राहकों के लिए संभव होगा, ऐसा इस अधिकारी ने कहा।

सरकार ने बीएसएनएल और एमटीएनएल जैसी दूरसंचार कंपनियों को, चिनी कंपनियों से सामान की खरीद ना करने के निर्देश पहले ही दिए हैं। साथ ही, रेल्वे प्रशासन ने एक चिनी कंपनी को प्रदान किया हुआ ४७१ करोड़ रुपयों का कान्ट्रैक्ट रद किया था। केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगमंत्री नितीन गडकरी ने, अब भारत चीन पर निर्भर नहीं रह सकता। हमें स्थानीय उत्पादन बढ़ाने के लिए अनुसंधान करने पर ध्यान केंद्रित करने की ज़रूरत है, यह भी उन्होंने कहा है। फिलहाल चिनी उत्पादनों की क़ीमतें आकर्षक हैं। भारत में स्थित इलेक्ट्रॉनिक कंपनियाँ ये उपकरण, पुर्जे चीन से आयात करके अच्छा मुनाफा प्राप्त करते हैं। लेकिन, यह बात भविष्य के लिए अच्छी नहीं होगी, यह बयान भी गडकरी ने किया।

इसी बीच, ‘चीन ने बाज़ार में स्थापित किया वर्चस्व ठुकराने के लिए भारतीयों को संकल्प करना होगा। इससे शुरू में तकलीफ होगी, लेकिन अपनी चीन पर बनी निर्भरता खत्म होगी। चीन का बहिष्कार करना यानी कर्करोग ठीक होने जैसा है’ यह निवेदन लद्दाख स्थित वैज्ञानिक पर्यावरण विशेषज्ञ सोनम वँगचुक ने किया है। चीन से बड़ी मात्रा में सामान की आयात होने से भारत में उत्पादन में गिरावट हुई है। यदि, हम चिनी सामान का बहिष्कार करने का कड़ा निर्णय करते हैं, तो भारत अगले कुछ वर्षों में उत्पादन क्षमता बढ़ा सकेगा, यह विश्‍वास सोनम वँगचुक ने जताया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.