अफ़गानिस्तान को ‘स्ट्रैटेजिक डेप्थ’ के तौर पर देखने के दिन गए – पाकिस्तान को लगाई भारत ने फटकार

संयुक्त राष्ट्र संघ – अपनी भारत विरोधी नीति के हिस्से के तौर पर अफ़गानिस्तान का इस्तेमाल करने के इरादे रखनेवाले पाकिस्तान को भारत ने कड़ा संदेश भेजा है। अफ़गानिस्तान को बतौर स्ट्रैटेजिक डेप्थ यानी रणनीतिक हिस्सा देखनेवालों के दिन खत्म हो गए, ऐसा इशारा भारत के राजनीतिक अधिकारी ने संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में दिया। अफ़गानिस्तान का रणनीतिक इस्तेमाल करने की नीति की वजह से अफ़गान जनता की यातानाएँ बढ़ी हैं और इस क्षेत्र में इसी की वजह से अराजकता फैली थी। ऐसी तीखी आलोचना भारत ने की। सीधे नाम लिए बिना आज तक पाकिस्तान की ऐसी साज़िशों की वजह से अफ़गानिस्तान के हाल बुरा है, यह भारत के राजनीतिक अधिकारी ने स्पष्ट किया। साथ ही भारत अंतरराष्ट्रीय समुदाय की सहायता से अफ़गानिस्तान में शांति और स्थिरता स्थापित करके यहां की जनता की सहायता करेगा, ऐसी गवाही भारत ने सुरक्षा परिषद में दी है।

भारत के विदेश मंत्रालय के सविच (पश्चिम विभाग) संजय वर्मा संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में अफ़गानिस्तान संबंधित परिषद में बोल रहे थे। किसी का नाम लिए बिना वर्मा ने पाकिस्तान ही अफ़गानिस्तान की मौजूदा स्थिति के लिए ज़िम्मेदार होने का आरोप लगाया। पाकिस्तान के सेना अधिकारी अफ़गानिस्तान को लगातार ‘स्ट्रैटेजिक डेप्थ’ की नज़र से देखते रहे हैं और उन्होंने यह स्पष्टरूप से माना भी था। भारत के खिलाफ अफ़गानिस्तान की भूमि का रणनीतिक रचना के लिए इस्तेमाल करने का इरादा ही पाकिस्तान की इस ‘स्ट्रैटेजिक डेप्थ’ की साज़िश में था। इसके लिए पाकिस्तान ने अफ़गानिस्तान में आतंकवाद फैलाया और इसका परिणाम अफ़गानी जनता आज भी भुगत रही है। इस इतिहास को संजय वर्मा ने दोहराया और पाकिस्तान को उसका नाम लिए बिना लक्ष्य किया।

लेकिन, अब अफ़गानिस्तान का बतौर ‘स्ट्रैटेजिक डेप्थ’ ज़िक्र करने के दिन खत्म हो गए हैं, यह कहकर अफ़गानिस्तान में सत्ता स्थापित करके एक वर्ष बित जाने के बाद तालिबानी हुकूमत को भारत की अहमियत समझ में आयी है। इसी वजह से हम भारत विरोधी नहीं, अफ़गानिस्तान के विकास के लिए भारत पहले की तरह योगदान दे और यहां की विकास परियजोनाएं पूरी करे, ऐसी गुहार तालिबान लगा रहा है। भारत की इन परियोजनाओं को एवं भारत के दूतावास की सुरक्षा की जाएगी, यह ऐलान भी तालिबानी नेताओं ने किया था। इसके ज़रिये हम पाकिस्तान के सुर-ताल पर नहीं नाचेंगे, यही संदेश तालिबानी हुकूमत ने भारत को दिया है। इसके अनुसार भारतीय अधिकारियों का दल हाल ही में अफ़गानिस्तान गया था, ऐसी खबरें भी प्रसिद्ध हुई थीं। इसकी वजह से पाकिस्तान की बेचैनी की बात भी सामने आयी थी।

ऐसी स्थिति में अफ़गानिस्तान के प्रति वर्मा का बयान ध्यान आकर्षित कर रहा है। अफ़गानिस्तान और पाकिस्तान की ड्युरंड लाईन पर मुठभेड़ पाकिस्तान और तालिबान के बीच नया संघर्ष छिड़ने की बात दर्शा रहा है। इस पृष्ठभूमि पर पाकिस्तान को अब अफ़गानिस्तान को इसके आगे ‘स्ट्रैटेजिक डेप्थ’ की नजर से देखना मुमकिन नहीं होगा। इसका मतलब तालिबान पर पाकिस्तान का प्रभाव अब खत्म हुआ है। इस पर ध्यान आकर्षित करते हुए अफ़गानिस्तान की भूमि फिर से ‘लश्कर-ए- तोयबा’, और ‘जैश-ए-मोहम्मद’ के आतंकी इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे, इसका ध्यान रखने का आवाहन वर्मा ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से किया। साथ ही अफ़गानिस्तान में नशीले पदार्थों का व्यापार शुरू ना हो, इस पर खास ध्यान देने की आवश्यकता है, यह कहकर नशीले पदार्थों का व्यापार और आतंकवाद का सीधा संबंध होने के मुद्दे पर भी वर्मा ने ध्यान आकर्षित किया।

अफ़गानी जनता के लिए मानवी सहायता देने के अलावा सभी अफ़गानी समुदायों का प्रतिनिधित्व करनेवाली सर्वसमावेशक सरकार स्थापित करना, आतंकवाद और नशीले पदार्थों की तस्करी को रोकना एवं महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यांकों के अधिकारों की सुरक्षा भी अफ़गानिस्तान में भारत की प्राथमिकताएं हैं, ऐसा संजय वर्मा ने कहा। इसके ज़रिये वर्मा ने भारत को तालिबान की हुकूमत से होने वाली उम्मीदें स्पष्ट कीं। इसी बीच तालिबान की हुकूमत भारत से सहयोग स्थापित करने के लिए उत्सुक है, लेकिन, पाकिस्तान के साथ इसे अच्छे ताल्लुकात नहीं रखने हैं, इस पर पाकिस्तान के कूटनीतिक चिंता जता रहे हैं। इनमें से कुछ तो ड्युरंड लाईन के संघर्ष के लिए भारत ही ज़िम्मेदार होने का आरोप लगा रहे ह।

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