वैश्‍विक अर्थव्यवस्था के लिए बना मंदी का खतरा अधिक बढ़ा – आर्थिक विशेषज्ञों की गंभीर चिंता

लंदन – विश्‍व भर के देशों के कर्ज़ का कुल भार साल २०२२ में लगभग १० प्रतिशत बढ़कर ७१ लाख करोड़ डॉलर्स से भी अधिक हो जाएगा, ऐसा इशारा एसेट मैनेजमेंट क्षेत्र की ‘जेनेस हेंडरसन’ कंपनी ने अपनी रपट में दिया हैं| इस वर्ष अमरीका, जापान और चीन समेत अन्य देश भी प्रचंड़ मात्रा में कर्ज़ उठाएँगे, यह दवा इस रपट में है| इसी बीच ‘बैंक ऑफ अमरीका’ ने महंगाई काफी बढ़ेगी, यह इशारा दिया| फिलहाल विश्‍वभर में शुरू गतिविधियों पर गौर करें तो मंदी की भयंकर लहर का विश्‍व को सामना करना होगा, यह इशारा विश्‍वभर के आर्थिक विशेषज्ञ दे रहे हैं|

कोरोना की महामारी के कारण वैश्‍विक अर्थव्यवस्था को काफी बड़ा नुकसान उठाना पड़ा| जागतिक अर्थव्यवस्था इससे उभर रही थी तभी साल २०२२ में यूक्रैन युद्ध शुरू हुआ| यह युद्ध और इसके बाद अमरीका ने रशिया पर लगाए सख्त प्रतिबंधों का झटका वैश्‍विक स्तर पर महसूस हो रहा हैं| ऐसें में ही चीन ने ‘ज़ीरो कोविड पॉलिसी’ के नाम से अपना शांघाय जैसा प्रमुख शहर बंद कर रखा हैं| इस सबका असर जागतिक अर्थव्यवस्था पर होता दिख रहा हैं| कुछ आर्थिक विशेषज्ञ तो अब यह अनुमान जता रहे है कि, मंदी की लहर आएगी नहीं, बल्कि विश्‍व मंदी का सामना कर रहा हैं| अमरीका के आर्थिक विशेषज्ञ इस स्थिति के लिए बायडेन की नीति ज़िम्मेदार होने की आलोचना कर रहे हैं|

अमरिकी वित्त क्षेत्र के विशेषज्ञ तो जनता को यह इशारा दे रहे है कि, जल्द ही प्रचंड़ महंगाई का सामना करना होगा| बायडेन प्रशासन की नीति के साथ ही अमरीका की फेडरल रिजर्व ने अपनी नीति में किया बदलाव इसके लिए ज़िम्मेदार होगा, ऐसा इन विशेषज्ञों का कहना हैं| इी के साथ अमरीका पर कर्ज़ का भार प्रचंड़ मात्रा में बढ़ रहा  हैं, इस बात पर भी यह आर्थिक विशेषज्ञ ध्यान आकर्षित कर रहे हैं| अमरीका ही नहीं, बल्कि चीन और जापान इन पहले तीन स्थानों की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के कर्ज़ की मात्रा बढ़ने का अहसास आर्थिक विशेषज्ञ करा रहे हैं|

साल २०२२ में विश्‍व के कर्ज़ में ९.५ प्रतिशत से भी अधिक बढ़ोतरी होगी और यह कर्ज़ बढ़कर ७१ ट्रिलियन डॉलर्स तक जा पहुँचेगा ऐसा कहकर ‘जेनेस हेंडरसन’ ने विश्‍व के सामने काफी बड़ा आर्थिक संकट खड़ा होने का अहसास कराया हैं| कोरोना की महामारी के कारण बनी आर्थिक समस्या और इसके बाद छिड़े यूक्रैन युद्ध की वजह से यह स्थिति उभर रही हैं, ऐसा आर्थिक विशेषज्ञ कह रहे हैं|

अनाज़, बिजली और ईंधन की किल्लत का सामना कर रहें देशों की स्थिति अधिक खराब हुई हैं| कुछ देशों में जनता सड़क पर उतरकर प्रदर्शन कर रही हैं और जल्द ही अनाज़, बिजली और ईंधन की किल्लत के गंभीर परिणाम प्रमुख देशों में भी दिखाई दे सकते हैं| ऐसी स्थिति में राजनीतिक और आर्थिक स्तर पर स्थिरता बनाए रखने की चुनौती देशों के सामने खड़ी हुई हैं| अगले दिनों में अस्थिरता बढ़ने पर आर्थिक विकास में रोड़ा लग सकता हैं और स्थिति अधिक खतरनाक हो जाएगी, ऐसी चिंता कुछ ज़िम्मेदार विश्‍लेषक जता रहे हैं| महासत्ता बनी अमरीका भी इस अस्थिरता एवं अराजकता के प्रभाव से अलग नहीं रह सकेगी, इसका अहसास अमरीका के आर्थिक विशेषज्ञ करा रहे हैं|

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